Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) विजया दशमी के दिन बुधवार को महिलाओं ने सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गा को विदाई दी. शारदीय नवरात्रि में नौ दिन तक भक्ति भाव से मां दुर्गा की पूजा के बाद दसवें दिन धूमधाम से विजयादशमी मनाई गई. इसी के साथ नौ दिनों का दुर्गोत्सव संपन्न हो गया. शहर में जगह-जगह पंडालों में स्थापित मां दुर्गा के कलश का विसर्जन भी विधि-विधान से कर दिया गया. हरि मंदिर हीरापुर, जिला परिषद पंडाल, एसएसएलएनटी रोड़ दुर्गा मंडप सहित विभिन्न पंडालों में घट का विसर्जन किया गया. हरि मंदिर में इस अवसर पर 90 महिलाएं एक ही परिधान धारण कर विसर्जन में सम्मिलित हुई.
मां दुर्गा से मांगा सौभाग्य का वरदान
इस मौके पर सिंदूर खेला की रस्म अदायगी हुई. महिलाओं ने सिंदूर खेला के बहाने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर शुभकामना व्यक्त की और मां दुर्गा से सौभाग्य का वरदान मांगा. मां दुर्गा की विदाई के समय महिलाओं की आंखें नम थी. हालांकि नाचते-गाते मां को विदाई दी गयी.
धूमधाम से हुआ परंपरा का निर्वाह
विजयादशमी के दिन बंगाल में सिंदूर खेलने की परंपरा है, जिसे सिंदूर खेला कहा जाता है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं पंडालों में मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. पश्चिम बंगाल से सटे झारखंड के धनबाद जिले में भी इस परंपरा का निर्वाह धूमधाम से किया जाता है.
लाल रंग की साड़ी, मांग में ढेर सारा सिंदूर
सुहागिन महिलाएं लाल रंग की साड़ी पहनती हैं और मांग में ढेर सारा सिंदूर भर कर पंडाल जाती हैं. वहां वे मां दुर्गा को उलूध्वनि निकालकर विदा करती हैं. सभी शादीशुदा महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाती हैं. उसके बाद देवी दुर्गा को पान और मिठाई का भोग लगाती हैं. आखिर में एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं. सिन्दूर लगाने की इसी प्रथा को सिन्दूर खेला कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं सिंदूर खेला में शामिल होती हैं, उनके पति की उम्र लम्बी होती है और उनका सुहाग सलामत रहता है.
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