Ranchi: स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी चिकित्सकों के लिए एक आदेश जारी किया गया है. इस आदेश के अनुसार, रिम्स को छोड़कर सभी मेडिकल कॉलेज व 24 जिलों के सरकारी डॉक्टर को बीमारी के लिए भी मिलने वाले अवकाश के लिए मेडिकल बोर्ड से अनुशंसा कराना होगा. इसके बाद ही चिकित्सक छुट्टी में जा सकेंगे. विभाग के इस आदेश का झासा ने विरोध शुरू कर दिया है. झासा का कहना है कि केवल स्वास्थ्य विभाग के सभी सरकारी चिकित्सा पदाधिकारियों को बीमार होने पर भी छुट्टी पर रोक लगाई गई है और मेडिकल बोर्ड के समक्ष सशरीर उपस्थित होने को कहा गया है. यह कितना अप्रासंगिक है. विभाग ने इसी साल 15 जुलाई को अधिसूचना जारी की थी कि सक्षम स्तर से अवकाश स्वीकृत होने के उपरांत ही कोई भी पदाधिकारी अवकाश पर प्रस्थान करना सुनिश्चित करेंगे. फिर से नए अधिसूचना की जरूरत क्या थी?
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स्वास्थ विभाग के आदेश पर झासा ने उठाए सवाल
झासा ने सवाल उठाया है कि क्या इस तरह के आदेश केवल स्वास्थ्य विभाग में निकाला जाना उचित है? क्या यह सरकारी सेवक के मूलभूत अधिकारों में दखल नहीं है? झासा के अध्यक्ष डॉ. पीपी शाह ने कहा कि अधिसूचना में जिस झारखंड सेवा संहिता के नियम 152 की बात की गई है, उसका चिकित्सक संघ शत प्रतिशत अनुपालन करता है. इस अधिसूचना में किसी भी तरह का अवकाश सक्षम प्राधिकारी से लिया जाना वर्णित है, ना कि मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा से. इस अधिसूचना में कार्मिक, प्रशासनिक एवं राजभाषा विभाग के एक अधिसूचना को आधार बनाया गया है, तो यह आदेश समस्त विभागों के लिए क्यों नहीं लागू किया गया?
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बेवजह चिकित्सकों को परेशान करने की हो रही है कोशिश
झासा के राज्य सचिव डॉ ठाकुर मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि हम आंदोलन नहीं चाहते. लेकिन स्वास्थ्य विभाग को भी इस बाबत अपनी सोच चिकित्सकों के प्रति सकारात्मक रखनी होगी. बेवजह चिकित्सकों को परेशान करने की कोशिश की जा रही है. चिकित्सकों में इस अधिसूचना को लेकर अत्याधिक रोष है. संघ ने इससे संबंधित एक बैठक 13 अक्टूबर को आईएमए भवन में बुलाई है.
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