Chaibasa (Sukesh kumar) : 1857–59 के विद्रोह में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा उमर कैद की सजा पाने वाले कोल्हान के गोनो पिंगुवा का नाम झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी की सूची में शामिल करने की मांग झारखंड प्रदेश तृणमूल युवा कांग्रेस अध्यक्ष सन्नी सिंकु ने की है. उन्होंने कहा कि गोनो पिंगुआ पोराहाट के राजा अर्जुन सिंह के प्रमुख सहयोगी और सिंहभूम में जनजातीय संघर्ष के प्रमुख नायक थे. प्रख्यात इतिहासकारों द्वारा गोनो पिंगुआ को एक जननायक के रूप में रेखांकित करने के बावजूद वे आज भी गुमनाम ही हैं.
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जननायक थे गोनो पिंगुआ
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ राजा अर्जुन सिंह की बगावत के कारण जब पोड़ाहाट और सरायकेला के राजाओं ने क्षेत्र को छोड़ दिया था तब गोनो पिंगुवा ने ही सिंहभूम के ‘हो’ विद्रोहियों को संगठित किया था. इसके बाद उन्हें नेता स्वीकार किया गया था. यही वजह है राजा अर्जुन सिंह ने गोनो पिंगुवा को गोनो सरदार का उपाधि दी थी. जिसके लिए ताल-पत्र पर अधिकार-पत्र, एक पगड़ी और एक घोड़ा उन्हें दिया था, साथ ही उसे घोड़ा भी भेंट की गई थी. उनके नेतृत्व में सेरेंगसिया घाटी में ब्रिटिश हुकूमत की सेना को परास्त करने के लिए सैन्य संगठन तैयार किया गया था. कुशल सैन्य संगठन और दबंग व्यक्तित्व के मालिक होने के कारण कोल्हान में वे खासा लोकप्रिय थे. उनके खिलाफ ब्रिटिश हुकूमत ने कई अपराधिक घटनाक्रम पर मुकदमा दायर किया. जिसके कारण गोनो पिंगुवा को ब्रिटिश हुकूमत ने उम्र कैद का सजा सुनाई.
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