LagatarDesk : कोरोना संक्रमण भारत में तेजी से फैल रहा है. इसको देखते सुप्रीम कोर्ट ने मार्च-अगस्त 2020 के दौरान कर्ज की किस्त के भुगतान पर छूट की अवधि के लिए सभी लोन खातों पर ब्याज पर ब्याज यानी चक्रवृद्धि ब्याज को माफ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकारी बैंकों को करीब 1800 से 2000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार पर 2020-21 में 5500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है.
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आईबीए ने बैंकों को ब्याज पर ब्याज छूट की भरपाई करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सिर्फ उन खातों तक सीमित है जिन्होंने भुगतान की छूट का फायदा लिया है. सरकार को इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने पत्र लिखकर बैंकों को चक्रवृद्धि ब्याज छूट की भरपाई करने को कहा है. सरकार ने फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं सुनाया है. सभी पहलुओं पर विचार विमर्श के बाद इस पर सरकार फैसला करेगी.
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कोर्ट के फैसले से 2 करोड़ से अधिक लोगों को होगा लाभ
सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि लोन मोरेटोरियम को और नहीं बढ़ाया जा सकता. ब्याज को इस दौरान पूरी तरह से माफ भी नहीं किया जा सकता है. हालांकि कोर्ट के इस फैसले से लगभग दो करोड़ से अधिक लोगों को इसका फायदा होगा.
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एक मार्च से 31 अगस्त तक की किस्तों के भुगतान पर दी थी छूट
RBI ने पिछले साल कोरोना महामारी की कारण सभी लोन पर एक मार्च से 31 मई 2020 तक की किस्तों के भुगतान पर छूट दी थी. बाद में इस अवधि को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था. बैंक किस्त के भुगतान की छूट की अवधि पर चक्रवृद्धि ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज में छूट मिलेगा. उदाहरण के लिए यदि किसी ग्राहक ने तीन महीने के लिए किस्त भुगतान की छूट ली है, तो तीन महीने के लिए उसका चक्रवृद्धि ब्याज माफ किया जायेगा.
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25 फीसदी कर्जदारों ने उठाया फायदा
जानकारी के अनुसार, शुरू में इसका फायदा 60 फीसदी कर्जदारों ने उठाया था. लेकिन लॉकडाउन में छूट के बाद यह आंकड़ा 40 फीसदी से भी नीचे पहुंच गया था. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग 25 फीसदी के निचले स्तर पर पहुंच गया है.
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