Sanjeet Yadav
Palamu: बढ़ती महंगाई की मार आज सब पर पड़ रही है. मजदूर इससे अलग नहीं हैं. वे भी इससे परेशान हैं. मेदिनीनगर के मजदूर भी परेशान हैं. वे चाह कर भी कुछ नही कर पा रहे हैं. ऐसी ही स्थिति पलामू जिले के मजदूरों की है. उनकी दर्दभरी दास्तान कुछ सोचने को विवश करती है.
सदीक चौक पर काम करने आये मजदूर राजेंद्र राम, सत्येंद्र, महेंद्र कुमार एवं अन्य मजदूरों ने बताया कि परिवार के लिए हमलोग घर छोड़कर शहरों में मजदूरी करते हैं. हमें 350 रुपये मजदूरी मिलती है. कोरोनाकाल के समय से देश में महंगाई चरम पर है. जीना मुश्किल हो गया है. बताया कि इस महंगाई में बच्चों को अच्छा भोजन भी देना मुश्किल हो रहा है.
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कहा कि कुछ अच्छी चीजें बनाने के लिए सामान की खरीदारी दुकान में करने जाते हैं तो सरसों तेल या रिफाइंड तेल डेढ़ सौ रुपए प्रति लीटर पड़ जाता है. आटा 28 रुपया केजी, मैदा 25 रुपया केजी, गुड़ चीनी 50 रुपया केजी हो गया है. चाह कर भी हमलोग खरीदारी नहीं कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि 1 दिन का मजदूरी 350 रुपया है. गांव से शहर आने जाने में ही 50 रुपया किराया लग जाता है.
पढ़ाई में भी खर्च होता है
कहा कि छुट्टी के समय 20 रुपया का सत्तू खा लेते हैं. जो बचता है उसमें में घर परिवार चलाना है. बच्चों की पढ़ाई और बीमारी भी देखनी पड़ती है. कभी-कभी तो प्रतिदिन काम भी नहीं मिलता है. ऐसे में हमलोग चाह कर भी कुछ कर नहीं सकते हैं. मजदूरों ने बताया कि अगर केंद्र और राज्य सरकार मिलकर पलामू में फैक्ट्री लगाती तो काफी लोगों को काम मिलता. काफी हद तक बेरोजगारी दूर हो सकती थी. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.