Bismay Alankar
Hazaribagh: हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा को लोग ढूंढने में लगे हैं. अभी जबकि कोरोना का कहर जारी है और लोगों को चिकित्सीय सुविधा सही तरीके से मिल नहीं पा रही है, ऐसे में हजारीबाग के दोनों जनप्रतिनिधियों सांसद जयंत सिन्हा और विधायक मनीष जायसवाल का हजारीबाग में नहीं होना लोगों को सोचने पर विवश कर रहा है कि ऐसी विकट परिस्थिति में आखिर जनप्रतिनिधि हैं कहां ?
इस बार इन दोनों को इसलिए भी लोग ढूंढ रहे हैं, क्योंकि होली के पहले से ही मनीष जायसवाल और जयंत सिन्हा ने रामनवमी जुलूस को लेकर खूब माहौल बनाया था. यहां मनीष जायसवाल ने रामनवमी जुलूस को कोरोना के तत्कालीन गाइडलाइन में ढील देकर निकाले जाने की मांग मुख्यमंत्री से की थी. वहीं जयंत सिन्हा ने दो कदम आगे जाकर यह कहा था कोई कुछ भी कर ले वह जुलूस जरूर निकालेंगे चाहे उन्हें अकेला ही क्यों ना चलना पड़े.
इन बयानों के बाद शहर में एक वातावरण बन गया था कि चाहे कुछ भी हो इस बार रामनवमी का जुलूस निकलेगा. तब युवाओं ने जोश में कोरोना के गाइडलाइन को ना मानते हुए बड़ी संख्या में एकत्रित होकर जुलूस निकाला था. इसके बाद SDO और एसडीपीओ की गाड़ी पर पत्थर फेंकने और इन अधिकारियों के साथ अभद्र व्यवहार का आरोप लगा था. इसमें 3 दर्जन से अधिक लोगों पर एफआइआर दर्ज हुआ था.
अब हजारीबाग की जनता अपने सांसद को खोज रही है. 2 दिन बचे हैं रामनवमी के जुलूस में कम से कम इसी बहाने हजारीबाग आ जाएं और अपने लोकसभा क्षेत्र के लोगों की सुध ले लें. देखा गया है कि जब इस तरह की समस्या होती है तो सांसद या तो दिल्ली प्रवास में रहते हैं या फिर विदेश भ्रमण में रहते हैं. पिछले साल के कोरोनाकाल में भी वे नहीं थे. बहाना लॉक डाउन का था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है.
ऑक्सीजन की कमी
आज जिस तरह से अस्पताल में ऑक्सीजन और बेड के लिए लोग तड़प रहे हैं और अंतिम संस्कार में दिक्कत हो रही है, इसके लिए प्रयासरत होते तो अच्छा होता. पूरे 1 महीने में जयंत सिन्हा सिर्फ 3 दिन हजारीबाग रहे. इन तीन दिनों में एक बार भी अस्पताल की व्यवस्था को देख लेते तो शायद कुछ भला हो जाता. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.