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Manish Singh
कई लोग यह सवाल उठाते हैं कि कोरोना से मौतें तो राज्यों में हो रही हैं. उत्तरप्रदेश में ही नहीं, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड में भी मर रहे हैं. फिर लोग मुख्यमंत्रियों पर सवाल क्यों नहीं उठाते. सवाल सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर क्यों उठा रहे हैं. यह बायस्ड है. पर ऐसे लोगों को कुछ बातों को समझना होगा. तभी आप असली जिम्मेदार को देख पायेंगे.
पहली – आयात-निर्यात की नीति, केंद्र बनाता है. राज्य नहीं. दवा, वैक्सीन का कृत्रिम अभाव, निर्यातलिप्सा की वजह से बना है. (अदार पूनावाला ने लंदन में प्रोपर्टी खरीद ली. क्यों ? इसलिए कि विदेश का पैसा विदेश में ठिकाने लगाना था. निर्यात की अनुमति न मिलती तो तब पूनावाला इलेक्टरल बॉन्ड नहीं खरीद पाते.
दूसरी – इसी वैक्सीन माफिया के फायदे के लिए ये कोविशील्ड की अनुमति को केंद्र सरकार लटकाए रखा. मगर पिछली बार जब मामले बढ़े, तो मजबूरी में उसे अनुमति दी. कंपीटीशन खड़ा हो गया. अब तीसरा कंपीटीटर नहीं चाहिए था. इसलिए विदेश में धड़ल्ले से बन, बिक व यूज हो रही थी. स्पूतनिक वगैरह को लोकल ट्रायल की शर्त रख दी. यानी छह आठ महीने लटकाने का प्लान था. राहुल गांधी के पत्र के बाद इसे भी मजबूरी में अनुमति करनी पड़ी. यानी पूरे वक्त ये दवाओं का कृत्रिम अभाव पैदा करते रहे.
तीसरी – पीएम केयर के नाम पर हर कंपनी का सीएसआर (CSR) का पैसा अपने पास खींच लिया. क्या किया उसका? ठेके दिये अनाम और गैर अनुभवी कंपनी को. वक्त पर सप्लाई नहीं मिली. नतीजा देश भर के अस्पताल दवाओं, इक्विपमेंट की कमी से जूझ रहे हैं.
चौथी – सीएम फोन कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं, रेमेडीसीविर इंजेक्शन चाहिए. पीएम नहीं बात कर सकते. क्योंकि वह रैली कर रहे हैं. रेमेडीसीविर क्यों नहीं है. क्योंकि दवा कंपनियों को तेजी से लाइसेंस नहीं दे रहे.
पाचवीं – दवा नहीं, तो मरीज का जल्दी सुधार नहीं. दो दिन की जगह पांच दिन बेड ऑक्युपाई हो रहा है. जाहिर है बेड की कमी होगी. अब आप दीजिये स्टेट (राज्य) को दोष. क्योंकि हेल्थ तो स्टेट का मसला है.
इन तथ्यों के बाद भी अगर प्रधानमंत्री मोदी को दोषी बताने वालों को बायस्ड या पक्षपाती बताया जाता है, तो समझ लीजिये, बताने वाला कौन हो सकता है. वह भूल रहे हैं, उनका घऱ- परिवार भी इसी देश के किसी राज्य के किसी मुहल्ले-गांव में रह रहा है.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.
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