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Lagatar Desk : देश के प्रमुख डॉक्टरों ने कोविड-19 वायरस की दूसरी लहर को लेकर लोगों में फैली चिंता और डर के माहौल को कम करने की कोशिश की है. एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया, नारायणा हेल्थ के चेयरमैन डॉ देवी शेट्टी और मेदांता अस्पताल के डॉ नरेश त्रेहान ने एक चर्चा में कहा कि कोविड-19 से बहुत ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है. इसका इलाज हो रहा है और लोग ठीक हो रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि रेमेडिसविर कोई जादू की छड़ी नहीं है और हर मरीज को इसकी जरूरत नहीं है.
बदन दर्द, सर्दी-खांसी, अपच, उल्टी हो तो टेस्ट करायें
नारायणा हेल्थ के चेयरमैन डॉ देवी शेट्टी कहते हैं कि यदि आपको बदन दर्द, सर्दी-खांसी, अपच, उल्टी जैसा कोई लक्षण हैं, तो आपको मेरा एक महत्वपूर्ण संदेश है- अपना COVID19 परीक्षण करवायें. यह सबसे महत्वपूर्ण है. डॉ शेट्टी ने कहा कि एक संभावना है कि आप बिना लक्षणवाले मरीज हों. ऐसी हालत में डॉक्टर आपको घर पर रहने, खुद को अलग-थलग करने, मास्क पहनने और हर 6 घंटे में अपने ऑक्सीजन लेवल की जांच करने के लिए कहेंगे. डॉ शेट्टी कहते हैं कि अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 94% से ऊपर है, तो कोई समस्या नहीं है. लेकिन अगर यह व्यायाम के बाद घट रहा है तो आपको डॉक्टर को कॉल करने की जरूरत है. यह सबसे जरूरी है कि आपको सही समय पर सही उपचार मिले.
बीमारी से ज्यादा घबराहट बढ़ा रही समस्या
डॉ गुलेरिया ने कहा कि 85 फीसदी से अधिक लोग बिना किसी विशिष्ट उपचार और बिना रेमेडिसविर के ठीक हो जायेंगे. अधिकांश मरीजों में सामान्य सर्दी, गले में खराश आदि जैसे लक्षण होंगे. 5-7 दिनों में वे इन लक्षणों के सामान्य उपचार से ठीक हो जायेंगे. केवल 15 प्रतिशत लोगों को मध्यम दर्जे की बीमारी हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह समझना जरूरी है कि हममें से अधिकांश जो घर में आइसोलेशन में या अस्पताल में हैं, पैनिक न करें. घबराहट से उनकी समस्या बढ़ रही है. उन्हें वास्तव में किसी विशिष्ट उपचार की जरूरत नहीं है. केवल कुछ प्रतिशत मरीजों को ही रेमेडिसविर की आवश्यकता होती है. इसे जादू की छड़ी न समझें.
ऑक्सीजन और बेड का उपयोग जिम्मेदारी से करें
डॉ गुलेरिया ने कहा कि ऑक्सीजन एक उपचार है. यह एक दवा की तरह है. ऑक्सीजन को थोड़े-थोड़े अंतराल पर लेना ऑक्सीजन की बर्बादी है. ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जिससे पता चले है कि यह मरीज की किसी भी तरह मदद कर सकता है. इसलिए किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए. मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ नरेश त्रेहान कहते हैं कि बहुत कम प्रतिशत लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है. अस्पतालों के बेड का उपयोग विवेकपूर्ण और जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए. यह जिम्मेदारी हम सभी पर है. उन्होंने कहा कि अगर हमें विवेकशील होकर इस्तेमाल करें, तो आज हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन है. मैं जनता को बताना चाहता हूं कि अगर आपको ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है, तो सुरक्षा कवच के रूप में इसका इस्तेमाल न करें. यह ऑक्सीजन की बर्बादी है. और इससे वे लोग ऑक्सीजन से वंचित हो जायेंगे, जिन्हें इसकी जरूरत है.
रेमेडिसविर सबके लिए नहीं, टीका बीमारी को गंभीर होने से बचायेगा
डॉ त्रेहान ने बताया कि हमने अब एक प्रोटोकॉल बनाया है, जिसमें रेमेडिसविर सभी पॉजिटिव मरीजों को नहीं दिया जायेगा. डॉक्टर मरीज की जांच के नतीजे, लक्षण आदि को देखने के बाद इसे देते हैं. रेमेडिसविर कोई ‘रामबाण’ नहीं है. यह केवल उन लोगों में वायरल लोड को कम करता है, जिन्हें इसकी जरूरत होती है. वैक्सीन पर चर्चा करते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि वैक्सीन आपकी बीमारी को गंभीर होने से रोकता है. यह आपको संक्रमित होने से नहीं बचा सकता. यह समझना जरूरी है कि टीके के बाद भी किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव हो सकती है. इसलिए वैक्सीन लेने के बाद भी मास्क पहनना जरूरी है.
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