Bermo : शहीद तिलका मांझी की जयंती के अवसर पर झारखंड राज्य किसान सभा व सीटू ने गोमिया के स्वांग पंचायत सचिवालय में उतरी छोटानागपुर प्रमंडलीय किसान-मजदूरों का अधिवेशन आयोजित किया. अध्यक्षता श्यामसुंदर महतो और भागीरथ शर्मा ने की. अधिवेशन को संबोधित करते हुए किसान सभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष कृष्णा प्रसाद ने केंद्र की मोदी सरकार को किसान विरोधी करार दिया. कहा कि केंद्र सरकार ने 2014 में किसान विरोधी भूमि अध्यादेश लाया. देशव्यापी विरोध के कारण वापस लेना पड़ा. तीन कृषि कानूनों के विरोध में 13 माह तक किसान आन्दोलन चला. आंदोलन के दौरान 715 किसानों की शहादत के बाद कृषि कानून को वापस लेना पड़ा. सरकार का केन्द्रीय बजट भी घोर किसान-मजदूर विरोधी है. जिसे लेकर 9 फरवरी को देशव्यापी काला दिवस मनाया गया.
उन्होंने कहा कि केरल सरकार 2800 रू क्विंटल धान खरीदती है. जबकि झारखंड में 10 से 12 रू में धान खरिदी जाती है. किसान हितों से जुड़े इन सभी सवालों को लेकर 5 अप्रेल को किसानों-मजदूरों को दिल्ली रैली में आह्वान किया गया है.
झारखंड राज्य किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुफल महतो ने कहा कि 40 प्रतिशत से ज्यादा खनिज संपदा झारखंड में है. इसके बावजूद झारखंड में सबसे ज्यादा गरीबी, भुखमरी, पलायन, विस्थापन, हाथियों का आतंक, जबरन भूमि अधिग्रहण कायम है. सर्वाधिक महंगाई, बेरोजगारी, निजीकरण के खिलाफ सीएनटी, एसपीटी एक्ट, जल, जंगल और जमीन की रक्षा के मुद्दों को लेकर कर झारखंड में किसान आन्दोलन तेज़ करने की जरूरत है.
सीटू राज्य उपाध्यक्ष रामचंद्र ठाकुर ने कहा जो लोग आजादी के संघर्ष में अंग्रेजों के साथ थे, वे आज सत्ता में आने के बाद किसान-मजदूरों के अधिकारों पर हमला कर रहे हैं. इस कन्वेंशन में बोकारो, कोडरमा, धनबाद, रामगढ़, हजारीबाग, गिरीडीह जिला से 200 से ज्यादा किसान प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
अधिवेशन को सीटू नेता प्रदीप विश्वास, किसान सभा के कोषाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार, संयुक्त सचिव असीम सरकार, परशुराम महतो, सकुर अंसारी, विनय महतो, लोबिंद महतो ने संबोधित किया. संचालन राकेश कुमार ने किया.
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