Ranchi : झारखंड विधानसभा में आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी का मुद्दा गूंजा. विधायक प्रदीप यादव ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में समान काम के लिए समान वेतन का मामला उठाया. कहा कि राज्य में एक ही काम के लिए 3 तरह का वेतन दिया जा रहा है. स्थायी कर्मी को लाखों वेतन मिल रहा है, वहीं अस्थायी कर्मी को बहुत कम वेतन दिया जा रहा है. आलम यह है कि 8 हजार की नौकरी के लिए 35 हजार ऑनलाइन घूस लिया जा रहा है. आउटसोर्सिंग दोहन का जरिया बन गया है. अगर अस्थायी नियुक्ति को सरकार अवैध मानती है तो इस काम पर लगे लोगों पर सरकार रोक क्यों नहीं लगती.
सरकार की ओर से जवाब देते हुए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि नियुक्ति को लेकर सरकार का अपना नियम है. हमें संविधान के अनुरूप काम करना पड़ता है. संविधान से बाहर जाकर कोई निर्णय नहीं ले सकते. कहा कि नियमित कर्मचारी ओपन बाजार से लिए जाते हैं. परीक्षा ली जाती है. उन्हें कई प्रोसेस से गुजरना पड़ता है. हजारों लोग परीक्षा में बैठते हैं. कुछ सेलेक्ट होते हैं. अधिकांश रिजेक्ट होते हैं. जहां तक संविदा या अस्थायी कर्मी की बात है, इसकी नियुक्ति राज्य या क्षेत्रीय कमिटी करती है. विकास आयुक्त के नेतृत्व में इसे लेकर एक कमेटी बनी है. समिति की रिपोर्ट आने के बाद सरकार उस पर फैसला लेगी.
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