Header Image
lagatar.in
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • रामगढ़
      • हजारीबाग
      • गिरिडीह
      • चतरा
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
      • गोड्डा
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • ओपिनियन
  • खेल
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • व्यापार
Friday, May 9, 2025
lagatar.in
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • रामगढ़
      • हजारीबाग
      • गिरिडीह
      • चतरा
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
      • गोड्डा
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • ओपिनियन
  • खेल
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • व्यापार
lagatar.in
No Result
View All Result
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • ओपिनियन
  • खेल
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • व्यापार

केरल और तमिलनाडु के जनादेश के राष्ट्रीय महत्व और मायने

info@lagatar.in by info@lagatar.in
May 4, 2021
in ओपिनियन
Share on FacebookShare on Twitter

Faisal Anurag

सांस्कृतिक अस्मिता वाले राज्यों के राष्ट्रीय दल हाशिए पर ही हैं. केरल और तमिलनाडु के ताजा चुनाव परिणाम इसे एक बार फिर प्रमाणित करते हैं. 2 मई के चुनाव परिणामों के बाद जितनी चर्चा बंगाल की हुई है, उसकी तुलना में इन दोनों राज्यों को नजरअंदाज ही किया गया हैं. हालांकि इन राज्यों के चुनाव परिणाम भी दूरगामी असर वाले हैं. लेकिन कथित हिंदी की राजनीति और मीडिया के लिए यह गंभर विमर्श का विषय नहीं बन पाया. कथित राष्ट्रीय मीडिया तो बंगाल पर ही सीमित रहा.

केरल और तमिलनाडु की राजनीति में जो नए बदलाव आए हैं, वे कई मायनों में खास हैं. एक तो दक्षिण के इन दो राज्यों में राजनीति समान्यजन के विकास पर केंद्रित है और दोनों ही राज्यों की अपनी सांस्कृतिक समझ और विरासत है. दक्षिण के तीन अन्य राज्यों में इन दोनों की तुलना में क्षेत्रीय पहचान का सवाल तो है, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय पार्टियों से परहेज नहीं है. कनार्टक में तो भाजपा मजबूत है लेकिन आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में वह अब भी अकेले सत्ता की दावेदारी करने की स्थिति में नहीं है. आंध्रप्रदेश से तेलांगना के विभाजन होने के पहले तक कांग्रेस सत्ता में थी. लेकिन राज्य विभाजन के उसके फैसले के बाद दोनों ही राज्यों में वह हाशिए से अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है.

लेकिन कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की तुलना में केरल और तमिलनाडु की राजनीति और मुद्दे भी भिन्न हैं. केरल में 60 साल में पहली बार किसी सत्तारूढ़ पार्टी की वापसी हुई है और तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन की पेरियारधारा की वापसी. केरल में हर पांच साल में सत्तारूढ़ दल को बाहर की राह दिखाने का रिवाज टूटा. आखिर ऐसा कैसे संभव हो पाया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यूडीएफ ने केरल में भारी कामयाबी हासिल की थी, लेकिन पंचायत चुनावों में पासा बदल गया. दरअसल केरल में लंबे समय के बाद एक ऐसे नेता की पहचान को मान्यता मिली है तो मुसीबत के समय सक्रियता के साथ मुकाबला करता नजर आता है. पी विजयन ने पिछले पांच सालों में तीन आपदाओं का मुकाबला किया है. निफा वायरस, बाढ़ और कोरोना. कोरोना के उभार के साथ ही केरल एक सफल मॉडल के रूप में उभरा है. इसका एक बड़ा कारण तो स्वास्थ्य संरचना पर लंबे समय से किए गए निवेश की भूमिका है. जिसने कम्युनिटी स्तर पर एक ऐसे सचेत ढांचे का निर्माण कर रखा है. हिंदी इलाकों के राज्य तो मंदिर मस्जिद के झगड़ों में ही फंस कर रह गए हैं.

केरल में विजयन ने दो साल से लगातार विधायक रहे अनेक बड़े नेताओं को टिकट नहीं दिया. बावजूद वामफ्रंट को 2016 की तुलना में ज्यादा सीटें और वोट हासिल हुए. क्या देश के किसी भी अन्य राज्य में यह कल्पना किया जा सकता है कि कोई पार्टी अपने ताकतवर और लोकप्रिय नेता को चुनाव नहीं लड़ने को कहे और वह नेता पूरे अनुशासन के साथ पार्टी का फैसला माने और सक्रिय प्रचार करे. केरल में यह संभव हुआ. कांग्रेस के नेता जब गुटबाजी के परेशान दल से भाग रहे थे तब विजयन अपने गठबंधन की ताकत बढ़ा रहे थे. केरल कांग्रेस जो यूडीएफ की बड़ी पार्टनर रही उसे एलडीएफ में शामिल किया और उसके लिए एलडीएफ ने सम्मानजनक सीट तय किया. देश के किसी भी अन्य राज्य में इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है.
दक्षिण की राजनीति न केवल अपनी क्षेत्रीय संस्कृति की पैरोकार है, बल्कि उसके लिए विकास के सवाल ही केंद्र में हैं. शिक्षा,स्वास्थ्य सहित विकास के अन्य मानकों पर इसी कारण ये राज्य अव्वल हैं. तमिलनाडु में व्यक्तिपूजा तो है, लेकिन वहां भी विकास को नजरअंदाज करने की ताकत किसी में नहीं है. तमिलनाडु में अन्ना द्रमुक दस सालों बाद सत्ता से बाहर हुई है. वहां की मीडिया में लिखा जा रहा है कि अन्ना द्रमुक को भारतीय जनता पार्टी का साथ महंगा साबित हुआ है. वैसे तो स्टॉलिन के द्रमुक ने सत्ता में दस साल बाद वापसी की है. लेकिन पेरियार के विचारों पर चलने वाले स्टॉलिन की एक नयी छवि बन कर उभरी है. वे करूणानिधि के पुत्र जरूर हैं लेकिन उनकी राजनीति अपने पिता से भिन्न है.

इस समय पूरे तमिलनाडु में एक ऐसे नेता हैं जिनके भीतर संघर्ष करने की जबरदस्त क्षमता है. उनके उभार से नरेंद्र मोदी विरोधी राष्ट्रीय प्रतिरोध के विपक्षी स्वर को बड़ी ताकत मिली है. हालांकि अन्ना द्रमुक इस बात लिए संतोष कर सकता है कि बिना किसी विरासत के उसके नेता पनीरसेलवन ने जयललिता के बाद पार्टी का नेतृत्व किया है. तमिलनाडु राजनीति के जानकारों का मत है कि इस बार भी पनीरसेलवन की सरकार के खिलाफ उतना सत्ता विरोधी रूझान नहीं था जितना कि केंद्र की भाजपा सरकार के प्रति. इसका लाभ ही स्टॉलिन को मिला है.

Share76Tweet47Send
Previous Post

दो महिला की कहानी- एक ने राज्य को कोरोना से उबारा, दूसरी ने कहाः मैं डोनर ब्रेस्ट मिल्क (स्तनपान) दे सकती हूं

Next Post

कोरोना के भय से सहमें यात्री, 13 विमान सेवाओं में केवल 639 यात्री

Recent News

  • जम्मू, राजौरी, पठानकोट, अमृतसर, पोखरण में ड्रोन हमले, भारत ने नाकाम किये May 9, 2025
  • पलामूः 551 फीट ऊंचा दुर्गा मंदिर निर्माण के भूमि पूजन में भाग लेंगे CM May 9, 2025
  • पथ निर्माण विभाग के 15 कार्यपालक अभियंताओं को मिली प्रोन्नति May 9, 2025
  • रांचीः CUJ के 5 छात्रों का अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में कैंपस प्लेसमेंट May 9, 2025
  • कांग्रेस ने देश के कई शहरों में जय हिंद यात्रा निकाली, सेना को सलामी दी May 9, 2025

© 2025 Lagatar Media Pvt. Ltd.

Social icon element need JNews Essential plugin to be activated.
Footer Ad 1 Footer Ad 2
No Result
View All Result
हमारे whatsapp चैनल को फॉलो करें हमारे whatsapp चैनल को फॉलो करें
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • रामगढ़
      • हजारीबाग
      • गिरिडीह
      • चतरा
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
      • गोड्डा
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • ओपिनियन
  • खेल
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • व्यापार

© 2025 Lagatar Media Pvt. Ltd.