Ranchi: नियोजन नीति पर युवाओं का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. अब वे आंदोलित हो गए है. इसे लेकर शनिवार को संथाल परगना के पांच जिलों में बंद का आह्वान किया गया था. ओबीसी आरक्षण फार्मूला को लेकर भी नाराजगी है. अब राज्य के सभी जिलों में आंदोलन और तेज करने की रणनीति तैयार की गयी है. इस बीच जीपीएससी और जेएसएससी ने नियुक्तियां भी निकाल दी है, जिससे उनका गुस्सा और बढ़ गया है. उनका कहना है कि जब राज्य भर के युवाओं ने 60:40 की नीति को खारिज कर दिया गया है, तो नई नीति बनाए वगैर सरकार नियुक्तियां क्यों निकाल रही है. युवा चाहते हैं कि पहले नियोजन नीति बने, फिर नियुक्तियां निकालीं जाएं. वे मानते हैं कि नियोजन नीति पर सरकार राजनीति कर रही है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. शुभम संदेश की टीम ने राज्य भर के युवाओं से बातचीत कर उनकी राय जानी है. पेश है रिपोर्ट..
60: 40 का नीति युवाओं के साथ अन्याय है : प्रदीप कुमार यादव
जमशेदपुर के छात्र नेता प्रदीप कुमार यादव ने कहा कि मौजूदा सरकार सत्ता में आई थी तो चुनावी घोषणा में झारखंड के नौजवान और बेरोजगार से वादा किया था कि हम एक ऐसी नीति बनाएंगे जिसके तहत झारखंड के शत-प्रतिशत युवाओं को नियुक्ति में प्राथमिकता मिले. परंतु आज बड़ी दुर्भाग्य की बात है यह सरकार 60/40 का नीति लाई है जो झारखंडी युवाओं के साथ सरासर अन्याय है और हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं.
सरकार ने युवाओं को छलने का काम किया : कामेश्वर प्रसाद
जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज के छात्र कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बना कि झारखंड के लोगों की भलाई हो. लेकिन पिछले 22 साल से सब सरकारों ने झारखंड को लूटने और युवाओं को छलने का काम किया है. झारखंड के युवा पास के राज्य बिहार, बंगाल आदि में नौकरी के लिए फॉर्म भर नहीं सकते, लेकिन अपने राज्य में दूसरे बाहरी राज्यों के छात्रों के साथ कंपटीशन करना पड़ रहा. क्या यह झारखंडी के साथ धोखा नही है? यह 60/40 की नीति स्वीकार नहीं है.
इसका खमियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा : अखिल सिंह
जमशेदपुर के छात्र नेता अखिल सिंह ने कहा कि इसके चलते आज लाखों की तादाद में छात्र रोड पर और आक्रोशित है जिसका खामियाजा सरकार को आने वाले दिनों में भुगतना पड़ेगा. अतः सरकार जल्द से जल्द इस नीति को वापस ले और झारखंडी युवाओं के हित में नयी नियोजन नीति लाकर नियुक्ति प्रक्रिया को पुनः बहाल करें नहीं तो आगे उग्र आंदोलन करने के लिए युवा मजबूर हो जाएंगे. नियोजन नीति को लेकर संथाल में आहूत बंद का हम समर्थन करते हैं.
सरकार का किया गया वादा अब भी अधूरा : अंजलि शर्मा
जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज की छात्रा अंजलि शर्मा ने कहा कि झारखंड राज्य का गठन हुए 22 साल हो गए, लेकिन अभी तक स्पष्ट नियोजन नीति तैयार नहीं हो सकी है. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान हेमंत सोरेन ने रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन वह आज तक अधूरा है. राज्य में अनेक पद रिक्त हैं. लेकिन बहाली नहीं निकल रही है. इस वजह से युवा दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं. राज्य का विकास भी अवरुद्ध है. सरकार ने नियोजन नीति बनाई भी तो 60:40 का फार्मूला ला दिया, जिसका हम विरोध करते हैं. सरकार इसे जल्द वापस ले और फिर से अस्पष्ट नियोजन नीति ले आए.
1932 खतियान आधारित नीति के वादे का क्या हुआ : अजीत महतो
धनबाद के पंचायत समिति सदस्य बाघमारा के अजीत महतो ने कहा कि झारखंड में जिस प्रकार हेमंत सोरेन की सरकार में 1932 का वादा कर छात्रों और नौजवानों का बहुमत अपनी ओर किया था, वह आज देखने को नहीं मिल रहा है. छात्र सड़क पर हैं. 1932 खतियान आधारित नीति का वादा कर आज 60/40 की नीति की बात की जा रही है, जो छात्रों को किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं.
60:40 की नीति किसी कीमत पर हमें मंजूर नहीं : रोहित महतो
धनबाद के छात्र नेता रोहित महतो ने कहा कि झारखंड में 60/40 की नीति नहीं चलने वाली. किसी भी कीमत में हम इसे लागू नहीं होने देंगे. झारखंड के युवा बहुत दिनों के बाद जगा है. उसी का नतीजा है कि आज मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र दुमका में विरोध देखने को मिल रहा है. आदिवासी गैर आदिवासी दोनों साथ खड़े हुए हैं. वे नारा लगा रहे हैं कि 60/40 की नीति नहीं चलेगी.
झारखंड के युवा हक और अधिकार लेकर रहेंगे : मनोज
धनबाद के मनोज महतो ने कहा कि झारखंड में 2016 की नीति का परिणाम था कि रघुवर सरकार सत्ता से गई. इसलिए सरकार को सोचना चाहिए कि सरकार मूलवासी छात्रों को अनदेखा करने का काम नहीं करे. झारखंड में 60/40 की नीति नही चलेगी. झारखंड के युवाओं को संघर्ष करना पड़ा तो करेंगे, लेकिन हक और अधिकार लेकर रहेंगे.
मूलवासी व आदिवासी छात्रों को प्राथमिकता देनी होगी : राजा दास
धनबाद के राजा दास ने कहा कि झारखंड में बाहरी छात्रों को जिस तरह नौकरी देने के लिए सरकार तरह-तरह की योजना बना रही है, इसका हम पुरजोर विरोध करेंगे. झारखंड में मूलवासी और आदिवासी छात्रों को प्राथमिकता देनी होगी. तभी झारखंड बनने के उद्देश्य की पूर्ति होगी.
हमें यह सब नहीं चाहिए, सिर्फ 1932 दे दीजिए : कुश महतो
धनबाद के पंचायत समिति सदस्य गोविंदपुर कुश महतो ने कहा कि सरकार झारखंड के युवाओं से मुर्गा बेचवाना चाहती है. हमें धोती साड़ी नहीं चाहिए. आप बिना नीति नियम के किस को नौकरी दे रहे हैं. हमें यह सब नहीं चाहिए, सिर्फ 1932 दे दीजिए. आपको परमानेंट जीवन भर के लिए सीएम बनाएंगे.
नियोजन नीति पर सरकार की मंशा साफ नहीं : शाहनवाज
चंदवा निवासी शाहनवाज का कहना है कि नियोजन नीति के नाम पर सिर्फ राजनीति हो रही है. उनका कहना है कि वर्तमान में झारखंड में 1932 के खतियान से स्थानीय और नियोजन नीति बननी चाहिए. 60/40 की नीति समस्याओं की जड़ है. झारखंड सरकार की मंशा साफ है तो 32 पर अडिग रहकर यहां की जनता का उद्धार करे.
ज्यादा से ज्यादा झारखंडी युवा रोजगार से जुड़ेंगे : सूरज मुंडा
रामगढ़ के सूरज मुंडा कहते हैं कि राज्य में नियोजन नीति बनने से झारखंडी युवाओं को काफी लाभ मिलेगा. इसलिए नियोजन नीति को जल्द से जल्द सरकार को बनाना चाहिए. 60/40 की बात कही से उचित नहीं है क्योंकि कई राज्यों में नियोजन नीति के आधार पर स्थानीय युवाओं को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है. झारखंड में भी यहां के स्थानीय को रोजगार में ज्यादा प्राथमिकता मिलना चाहिए .
सरकार सभी बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित कर नीति तैयार करे : अशोक मुंडा
रामगढ़ के अशोक मुंडा कहते हैं कि झारखंड की नियोजन नीति ऐसी बननी चाहिए कि राज्य के युवाओं को अधिकार तो मिले ही मिले साथ ही अन्य राज्यों के लोग जो यहां रह रहे हैं उनको भी नियोजन में अधिकार मिले. सरकार को सभी बिंदुओं पर ध्यान रखकर नियोजन नीति बनानी चाहिए.
राज्य के सभी लोगों को रोजगार मिलना चाहिए : अनिल कुमार
रामगढ़ के अनिल कुमार कहते हैं कि राज्य में नियोजन के आधार पर जिस तरह से माहौल तैयार किया जा रहा है. इससे झारखंड में रह रहे लोग दो भाग में हो जाएंगे. एक तो वे जो यहां 1932 आधारित स्थानीय लोग होंगे और दूसरा वह लोग होंगे तो झारखंड में पिछले 50 वर्षों से निवास करते आ रहे हैं. इसलिए मुझे लगता है कि 60/40 की रेस्यू से झारखंड में नियोजन नीति बननी चाहिए. इससे सभी लोगों को रोजगार मिल पाएगा.
अब तक नियोजन नीति नहीं बनना दुर्भाग्य की बात : मुकेश प्रजापति
रामगढ़ के मुकेश प्रजापति कहते हैं कि झारखंड अलग राज्य होने के इतने वर्षों बाद भी झारखंड में स्थानीय नियोजन नीति नहीं बनना दुर्भाग्य की बात है. नियोजन नीति के असमंजसता के कारण झारखंडी युवाओं को सही अधिकार नहीं मिल पा रहा है. जिससे झारखंड के कई युवा दर-दर रोजगार के लिए भटक रहे हैं. सरकार को स्थानीय नियोजन नीति पर विशेष फोकस करना चाहिए.
बेवजह हो रहा बवाल,सरकार की नीति सही है : हार्दित सिंह
आरागुंडी, लातेहार के हार्दित सिंह ने कहा कि लोग बेवजह ही सरकार की नियोजन नीति पर बवाल कर रहे हैं. यह नीति सबों के हित के लिए है. 60/40 का फार्मूजा सही है. इससे 60 प्रतिशत झारखंड के मूल निवासी एवं 40 प्रतिशत अन्य लोगों के लिए आरक्षण दिया जा रहा है. इसमें गलत क्या है. जो लोग आंदोलन कर रहे हैं वे झारखंड का भला नहीं चाहते हैं. ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए.
झारखंड के युवाओं का हक मारा जाएगा : शकुंतला पांडेय
गायत्रीनगर, लातेहार की शकुंतला पांडेय ने कहा कि सरकार की नियोजन नीति में कई प्रकार की विसंगतियां है. नियोजन नीति में सभी वर्गों का ध्यान रखा जाना चाहिए. झारखंड के युवाओं को नौकरियों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए. सरकार 60/40 का जो फार्मूला लायी है, उससे झारखंड के युवाओं का हक मारा जायेगा. 40 प्रतिशत ओपेन ऑल कर झारखंड सरकार ने अन्य राज्यों के युवाओं को ही यहां नौकरी का अवसर दे दिया है, इससे झारखंड के युवाओं का हक मारा जायेगा.
सरकार की नियोजन नीति बिल्कुल सही नहीं है: गजेंद्र प्रसाद शौंडिक
लातेहार मेन रोड के गजेंद्र प्रसाद शौंडिक ने कहा कि सरकार की नियोजन नीति सही नहीं है. यहां तक सरकार ने झारखंड के सात राज्यों में ओबीसी का आरक्षण शून्य कर दिया है. इसमें लातेहार जिला भी शामिल है. लातेहार में ओबीसी समुदाय की जनसंख्या 45 से 50 प्रतिशत है, बावजूद इसके ओबीसी को यहां आरक्षण नहीं दिया गया है. यह ओबीसी के छात्रो के साथ एक बड़ा अन्याय है. इसके लिए पूरे प्रदेश में आंदोलन भी किया जा रहा है.
साहिबगंज में तीर- धनुष से लैस छात्र सड़क पर उतरे, दुकानें बंद करायीं
साहिबगंज। नियोजन नीति का छात्र और युवा सड़क पर उतरकर विरोध कर रहे हैं. साहिबगंज कॉलेज परिसर स्थित आदिवासी कल्याण छात्रावास के छात्रों ने शनिवार सुबह बाजार बंद करा दिया. छात्र राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी 60/40 वाली नियोजन नीति का विरोध कर रहे हैं. छात्रों ने टमटम स्टैंड, ग्रीन होटल मोड़, स्टेशन के समीप मुख्य मार्ग सहित कई जगहों पर सड़क जाम की. विरोध-प्रदर्शन कर रहे छात्र तीर- धनुष से लैस थे. इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी है. छात्रों ने व्अयवसायियों से अपनी-अपनी दुकान बंद रखने की अपील की. सुबह में दुकानदार अपनी-अपनी दुकान खोलने पहुंचे थे, लेकिन आंदोलनकारियों का रुख देखकर दुकानें बंद कर दीं.
छात्रों में आक्रोश, सरकार नियोजन नीति को वापस ले : शकुंतला सरदार
चक्रधरपुर निवासी छात्रा शकुंतला सरदार ने कहा कि नियोजन नीति के विरोध में पूरे झारखंड में छात्र आंदोलनरत हैं. चक्रधरपुर में भी छात्रों ने व्यापक रूप से रैली निकालकर अपना विरोध प्रदर्शन किया था, जब तक नियोजन नीति वापस नहीं ली जाती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा. झारखंड के विभागों में पद खाली पड़े हैं, लेकिन युवाओं को नौकरी से नहीं जोड़ा जा रहा है. झारखंड में पढ़ाई करने के बाद यहां के युवा नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. सरकार नियोजन नीति को मजाक बना रही है. झारखंड से सटे अन्य राज्यों में वहां के विद्यार्थियों को कई सुविधाएं मिल पाती हैं, लेकिन हमारे झारखंड राज्य में ऐसा नहीं है.
नीति को लेकर छात्रों में नाराजगी है,सरकार सोचे : बासिल हेम्ब्रम
चक्रधरपुर निवासी छात्र नेता बासिल हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड में नियोजन नीति को लेकर छात्रों में नाराजगी है. इस बात की जानकारी सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी है, लेकिन इसके बावजूद छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की जा रही है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यहां 60:40 का फार्मूला नहीं चलेगा. 90:10 के फॉर्मूला पर नियोजन नीति लागू की जाए. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर आदिवासी बहुल के लोग निवास करते हैं. ऐसे में नौकरी की पहली प्राथमिकता आदिवासियों को मिलनी चाहिए. राज्य सरकार को अपनी नियोजन नीति पर विचार करने की जरूरत है.
झारखंड की भाषा-संस्कृति पर लगेगा ग्रहण : बसंत महतो
चक्रधरपुर के छात्र नेता बसंत महतो ने कहा कि हमारे झारखंड में अगर दूसरे राज्य से लोग आकर नौकरी करेंगे तो यहां की भाषा और संस्कृति पर भी ग्रहण लगेगा. क्योंकि दूसरे राज्य के लोगों की संस्कृति सभ्यता अलग होगी. झारखंड राज्य में नियोजन नीति 90:10 के फार्मूले पर होनी चाहिए. राज्य के युवा मजबूरीवश दूसरे राज्य में नौकरी की तलाश के लिए जाते हैं, अगर अपने राज्य क्षेत्र में काम मिलेगा तो यहां से पलायन नहीं होगा. छात्रों का आंदोलन तेज हो चुका है. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी आंदोलन जारी रहेगा. राज्य सरकार नियोजन नीति को लेकर फिर से विचार करें, अन्यथा इसका खामियाजा सरकार को ही उठाना होगा.
नियोजन नीति पर सरकार की मंशा साफ नहीं : मुबारक खान
गिरिडीह के जिले के गावां प्रखंड निवासी मुबारक खान ने कहा कि नियोजन नीति के सवाल पर राज्य सरकार की मंशा साफ नहीं है. नियोजन नीति के लागू होने के बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए थी. हेमंत सोरेन की सरकार 60:40 के फॉर्मूले पर नियोजन नीति लाने की तैयारी कर रही है. इससे दूसरे राज्य के लोगों को ज्यादा लाभ मिलेगा. वर्तमान सरकार युवाओं की भावनाओ के साथ खिलवाड़ करना बंद करें नही तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
राज्य के सभी युवाओं को मिले नौकरी : रंजीत मंडल
गिरिडीह के गांडेय प्रखंड निवासी रंजीत मंडल ने कहा कि झारखंड के युवाओं के लिए नियोजन नीति में 60/40 का फॉर्मूला गलत है. इस राज्य के युवाओं को नौकरी में एक सौ प्रतिशत का आरक्षण मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के बाद भी झारखंड के लोग गरीब है. उन्हें नियोजन नीति में मौका मिलना चाहिए. झारखंड गठन का उद्देश्य भी यही था. इससे राज्य को विकास तो होगा ही राज्य को सभी युवाओं को रोजगार भी मिल जाएगा.
60:40 का फॉर्मूला स्वाभिमान पर चोट है : स्वस्तिक सुमन
गिरिडीह के जमुआ प्रखंड के निवासी स्वस्तिक सुमन ने कहा कि ठोस नियोजन नीति से ही झारखंड के युवाओं का कल्याण हो सकता है. 60/40 का फॉर्मूला झारखंड के बेरोजगारों के स्वाभिमान पर चोट करने जैसा है. देश के दूसरे राज्यों में लागू नियोजन नीति का हेमंत सोरेन सरकार को अनुकरण करना चाहिए. राज्य सरकार को 90:10 फॉर्मूले पर नियोजन नीति लाने की तैयारी करनी चाहिए.
बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है : अशोक मेहता
हुसैनाबाद के राष्ट्रीय समानता दल के प्रदेश सचिव अशोक मेहता ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड के गठन के इतने वर्षों बाद भी झारखंड को स्थानीय नीति और नियोजन नीति स्पष्ट रूप से नहीं मिल सकी है. किसी भी सरकार ने स्थानीय और नियोजन नीति पर ठोस पहल नहीं की. यह सरकार राज्य के बेरोजगारों को 60/40 के आंकड़ों में उलझा कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का जो षड्यंत्र रच रही है वह गलत है. इससे राज्य में बेरोजगारों के बीच असंतोष पनप रहा है.
सरकार की 60:40 की नीति गलत है, इसे बदले: अविनाश
रांची के एमएड के छात्र अविनाश कुमार ने कहा कि सरकार की 60/40 की नीति बहुत गलत है. इससे राज्य के युवाओं को फायदा नहीं होने वाला है. इससे राज्य के युवा अपने अधिकार पाने से वंचित रहेंगे. सरकार को एक ठोस नीति बनाने की जरूरत है. राज्य अलग हुए 22 साल हो गए. सभी पार्टीयों की सरकार बन चुकी है, लेकिन युवाओं के लिए कुछ नहीं किया गया.राज्य सरकार को इस दिशा में सोचने की जरुरत है. उसे शीघ्र ही कदम उठाना चाहिए.
राज्य के युवाओं को नौकरी देने की मंशा नहीं: प्रियंका
रांची के छात्रा प्रियंका कुमारी ने कहा झारखंड सरकार की मंशा राज्य के युवाओं को नौकरी देने की है ही नहीं. सरकार की नीति बाहर के लोगों को नौकरी देने की है. सरकार को अविलंब 60-40 की नीति वापस लेनी चाहिए और 90- 10 की नीति लागू करनी चाहिए. सरकार पहले झारखंड के बारे में सोचे, फिर किसी और के बारे में. हमलोग पढ़ाई पूरी करके भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं, लेकिन सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है.
हो रहा है बेरोजगारों के भविष्य से खिलवाड़ : मनोज शर्मा
हुसैनाबाद के नियोजन नीति पर हुसैनाबाद के आजसू प्रभारी मनोज शर्मा ने कहा कि झारखंड बनने के पूर्व जो भी व्यक्ति झारखंड के शैक्षणिक संस्थानों से अपनी योग्यता हासिल की है उन्हें झारखंडी माना जाए. नियोजन नीति ऐसी हो कि कोई लाभ से वंचित न हो सके. सिर्फ आरक्षण से किसी को लाभ देना उचित नहीं है. इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए. हर राज्य की अपनी-अपनी नियोजन नीति होती है. झारखंड में भी आपसी समन्वय बनाकर नियोजन नीति तय की जानी चाहिए.
झारखंड में बेरोजगारी चरम पर,सरकार को ध्यान देना चाहिए : श्रवण राणा
रांची के एमएड के छात्र श्रवण राणा ने कहा कि झारखंड में बेरोजगारी चरम पर है और सरकार की गलत नीतियों की वजह से बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है. सरकार को अविलंब इस पर कदम उठाना चाहिए. सही स्थानीय नीति और नियोजन नीति के साथ सरकार को आना चाहिए, ताकि जनता और युवाओं का विश्वास सरकार पर बना रहे. इस समय राज्य में बेरोजगारों की संख्या काफी बढ़ गई है. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में जितनी जल्द हो कदम उठाना चाहिए. जब सभी लोगों ने 60/40 के फर्मूले को नकार दिया है.
छात्रों पर लाठी चार्ज गलत,इससे युवाओं में सरकार के प्रति आक्रोश : कोमल
रांची के एमएससी की छात्रा कोमल ने कहा कि सरकार का अपने राज्य के ही छात्रों पर लाठीचार्ज करवाना बहुत गलत है. इसकी घोर निंदा की जानी चाहिए. राज्य के युवा नौकरी के लिए परेशान हैं और वे अपनी बात रखने सरकार के पास गए थे, लेकर उनकी बात सुने बिना उन पर लाठीचार्ज करा दिया गया. आने वाले चुनाव में यहां के युवा भी सरकार को सबक सिखाएंगे. मालूम होना चाहिए कि झारखंड का निर्माण यहां की जनता की हित के लिए किया गया है. लोगों का सपना था कि झारखंड अलग राज्य का गठन होगा तो राज्य की सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी. पर ऐसा नहीं दिख रहा है.
झारखंड सरकार ही है सभी समस्याओं की जड़ : अरविंद सिंह
हुसैनाबाद के नियोजन नीति पर समाज एवं राजनीति सुधारक अरविंद सिंह (गोल्हना हैदरनगर) ने कहा कि झारखंड में मामला चाहे 1932 खतियान से जुड़ी स्थानीय नीति का हो या नियोजन नीति में 60/40 का हो. सभी समस्याओं की जड़ झारखंड सरकार ही है. यदि सरकार की मंशा साफ है तो विधानसभा से संविधान संशोधन का एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजें. जिसका मुख्य बिंदु संविधान से जाति एवं धर्म शब्द को हटाना. यदि यह दोनों शब्द संविधान से बाहर किया जाता है सारी समस्याएं स्वत: खत्म हो जाएंगी और समतामूलक भारत का निर्माण होगा.
सरकार की नीति जनता नकार रही : पिंगुवा
चाईबासा के छात्र राजकमल पाट पिंगुवा ने कहा कि झारखंड होने के बावजूद झारखंडी नहीं बन पा रहे हैं. यह दुखद है. सरकार जिस तरह से नियोजन नीति बनाने का प्रयास कर रही है, उसे पूरी तरह से जनता नकार रही है. झारखंड में बाहरी लोगों का बोलबाला चल रहा है. इसके कारण यहां के आदिवासी मूलवासियों को अधिकार नहीं मिल पा रहा है.
झारखंडियों के हित में बने नीति : सुशील
चाईबासा के कोल्हान विश्वविद्यालय के छात्र सुशील कुमार महतो ने कहा कि झारखंड में नियोजन नीति बनना अति आवश्यक है. लेकिन झारखंडियों के हित के लिए नियोजन नीति बने, न कि बाहरी लोगों के प्रवेश का द्वार खोल दे. सरकार ने जिस तरह से नियोजन नीति की रणनीति तैयार की है. वह कहीं ना कहीं झारखंडियों को दूर करने वाला रणनीति बनाया है.
झारखंडी का ही बोलबाला हो : मंजीत हांसदा
चाईबासा के कोल्हान विश्वविद्यालय के छात्र प्रतिनिधि मंजीत हांसदा ने कहा कि जिस तरह से झारखंड में नियोजन नीति तैयार की गई है, इससे यह साबित होता है कि बाहरी लोगों का बोलबाला चलेगा. बिहार में बिहारियों का बोलबाला होता है तो झारखंड में भी झारखंडी का ही बोलबाला होना चाहिए. सभी सरकारी नौकरी में झारखंडी को ही नौकरी दी जाए.
नियोजन नीति के विरोध में उतरे छात्र, आंदोलन की बनाई रणनीति
आदिवासी हो समाज महासभा क्लब भवन हरिगुटू में महेंद्र जामुदा की अध्यक्षता में 60/40 अनुपात में नियोजन नीति के विरोध को लेकर शनिवार को बैठक की गई. इसमें चाईबासा व आसपास के सभी मेंस हॉस्टल और इंस्टीट्यूट के छात्र उपस्थित थे. बैठक में छात्रों ने अपनी-अपनी बातों को रखते हुए कहा कि आने वाले समय में अगर हम सभी छात्र एकजुट नहीं हुए तो हमारा अस्तित्व खत्म हो जाएगा. बाहरी लोग यहां के रोजगार में भर जाएंगे. ऐसे में सभी को एकजुट होकर इस नियोजन नीति का विरोध करना चाहिए. बैठक में चाईबासा में विरोध प्रदर्शन करने, जुलूस निकालने और मुख्यमंत्री का पुतला दहन करने पर सहमति बनी. महेंद्र जामुदा ने बताया कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एसडीओ को सौंपा जाएगा. इस प्रदर्शन में कोल्हान भर के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहेंगे. बैठक में मुख्य रूप से सिरजोन हाईबुरु, रेयांस सामड, दुलुराम कुंकल, अशोक मुंडरी, संदीप बिरूवा, श्रीकांत महतो, अभय महतो, शिशिर बिरूवा, राहुल बिरूवा, प्रद्युमन महतो, सेलाय सुंडी, मनित लाल कोंदांगकेल अन्य उपस्थित थे.
60: 40 फार्मूले की नीति सिर्फ छलावा ही है : ताला हेंब्रम
पाकुड़ के छात्र ताला हेंब्रम का कहना है कि 60/40 फार्मूले की नियोजन नीति सिर्फ छलावा है. इस नियोजन नीति को लागू होने पर युवाओं को नुकसान पहुंचेगा. इसकी जगह 1932 की खतियान आधारित नियोजन नीति लागू किया जाए. पढ़ाई-लिखाई के बाद यहां के युवाओं को नौकरी की तलाश में बाहर का रुख करना पड़ता है. झारखंडी होने के नाते राज्य की नौकरियों पर पहला हक उनका है. दूसरे राज्यों की भांति झारखंड में भी नियोजन नीति बनाई जाए.
नियोजन नीति पर सटीक निर्णय जल्द ले सरकार : सनातन टुडू
पाकुड़ के छात्र सनातन टुडू का कहना है कि हेमंत सरकार नियोजन नीति पर सटीक निर्णय नहीं ले पा रही है. इससे छात्रों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. पढ़ाई-लिखाई कर छात्र नौकरी की आस लगाए बैठे हैं. राज्य में नौकरी नहीं मिल रही है. नौकरी की प्रतीक्षा करते-करते उम्र ही बीत जाएगी. 60/40 फार्मूले की नियोजन नीति मान्य नहीं है. इसलिए सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरुत है. वह जल्द से जल्द सभी पक्षों से बात कर एक सर्वमान्य नीति बनाए.
छात्र-छात्राओं और युवाओं में निराशा बढ़ेगी : उत्पल मंडल
पाकुड़ के छात्र उत्पल मंडल ने बताया कि 60/40 के फार्मूले की नियोजन नीति से युवाओं और छात्र-छात्राओं को नुकसान है. इसके लागू होने पर छात्र-छात्राओं व युवाओं में निराशा बढ़ेगी. हम सभी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है. नियोजन नीति की आड़ में सरकार छात्र-छात्राओं की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है. सरकार को इस मामले से राजनीति से ऊपर उठकर सोचने की जरुरत है. इस समय राज्य में बहुत से पद रिक्त हैं. उन पदों को भरना जरुरी है.
आंदोलन से सरकार में बौखलाहट: निशांत कुमार
देवघर के छात्र निशांत कुमार ने कहा कि झारखंडी छात्रों के द्वारा फिजिकल और डिजिटल आंदोलन चलाए जा रहे हैं जिससे सरकार बौखलाहट आ गई है .सरकार के इस रवैया से नियोजन नीति के खिलाफ छात्र संगठन एकजुट होकर दुमका में मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर रही है. इससे सरकार की आंख खुलनी चाहिए. उसे जितनी जल्दी हो नियोजन नीति तैयार कर राज्य के बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने का मार्ग प्रशस्त करनी चाहिए.
नीति में कई बदलाव किए गए हैं, सबका भला होगा : प्रेम कुमार
देवघर के छात्र प्रेम कुमार ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट से रद्द होने के बाद हेमंत सोरेन ने न्यायालय के सुझाव पर नियोजन नीति में कई बदलाव किए हैं. जिसके तहत 60% सीट आरक्षित हैं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग सहित झारखंड सहित पूरे देश भर के छात्रों के लिए 40 प्रतिशत ओपन कर दिया गया है. जिससे कि सभी का ध्यान रखा गया है. ऐसे भी राज्य में रहने वाले सभी युवाओं को नौकरी मिलनी चाहिए. सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है.
सरकार की मनसा रोजगार देने की नहीं : विशाल कुमार शर्मा
देवघर के छात्र विशाल कुमार शर्मा ने कहा कि झारखंड सरकार जानबूझकर ऐसी नियोजन नीति बनाती है,जो कोर्ट से खारिज कर दी जाती है. सरकार की मनसा रोजगार देने की नहीं है. छात्रों की मांग है कि सरकार ठोस नियोजन नीति लाकर हम छात्रों को रोजगार दे ताकि छात्र रोजगार पा सके. राज्य गठन के इसने साल हो गए हैं. अभी तक नियोजन नीति का नहीं बनाना नेताओं की अदूरदर्शिता को दर्शाता है. राज्य सरकार को शीघ्र ही नीति बनानी चाहिए.
सरकार को परेशानी में डालने के लिए काफी : प्रकाश मंडल
देवघर के छात्र प्रकाश मंडल ने कहा कि 23 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन छात्रों ने विधानसभा घेराव का
आयोजित किया गया. यह सरकार को परेशानी में डालने के लिए काफी था. वहीं इस दौरान छात्रों को पुलिस की लाठियों भी खानी पड़ी. बावजूद इसके हम छात्रों का आंदोलन कम नहीं हुआ है. आंदोलन आगे भी जारी रहेगा. सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए. जब सभी के 60/40 के फार्मूले को खारिज कर दिया है तो सरकार को इसपर सोचने की जरुरत है.
झारखंड सरकार की मंशा साफ नहीं : संजीव पासवान
पाकुड़ के छात्र संजीव पासवान का कहना है कि नियोजन नीति को लेकर झारखंड सरकार की मंशा साफ नहीं है. यही वजह है कि बार-बार नियोजन नीति में बदलाव किया जाता है. कभी 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति लागू करने का राग अलापा जाता है तो कभी 60/40 फार्मूले की नियोजन नीति. नियोजन नीति मामले में अबतक की स्थिति से यही लगता है कि छात्र-छात्राओं को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है.सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिए.
सरकार बरगलाने का काम कर रही है : चंद्रशेखर घोष
पाकुड़ के छात्र चंद्रशेखर घोष का कहना है कि झारखंड सरकार 60/40 फार्मूले की नियोजन नीति की चर्चा कर छात्र-छात्राओं को बरगलाने का काम कर रही है. इसके पूर्व 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति लागू करने का राग अलाप रही थी. अब उसे छोड़कर 60/40 की नियोजन नीति लागू करना चाह रही है. इस नियोजन नीति के लागू होने पर बाहरी लोगों को प्रश्रय मिलेगा. सरकार को इस दिशा में सोचने की जरुरत है. नहीं तो आंदोलन और तेज होगा.
स्थानीय लोगों को रोजगार कम मिलेगा : अनिल मुर्मू
पाकुड़ के छात्र अनिल मुर्मू का कहना है कि 60/40 फार्मूले की नियोजन नीति लागू होने पर स्थानीय लोगों को रोजगार कम मिलेगा. इसका फायदा राज्य में रहने वाले दूसरे राज्य के लोगों को मिलेगा. सरकार वैसा नियोजन नीति बनाए जिसका फायदा छात्र-छात्राओं को मिले. सरकार को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए. झारखंड बनने का उद्देश्य भी यही था कि राज्य के विकास के साथ यहां के युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके. नेताओं ने इसका वादा भी किया था.
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