Kamrul Arfi
Balumath (Latehar): मुस्लिम धर्मावलंबियों का पवित्र माह-ए-रमजान चल रहा है. रमजान के महीने के तीन अलग-अलग अशरे होते हैं. पहले अशरे को रहमत का अशरा माना गया है. दूसरे अशरे को मगफिरत का व तीसरे एवं अंतिम अशरे को निजात का अशरा माना गया है. 2023 के रमजान के आगाज के साथ पहला अशरा 10वीं रमजान को मुकम्मल हो रहा है. माह ए रमजान के शुरू होते ही रमजान के मौके पर अदा की जाने वाली विशेष नमाज-ए-तरावीह से बालूमाथ की फिजा गुलजार हो रही है. इस साल बालूमाथ के शहरी क्षेत्र के 6 मस्जिदों समेत 16 स्थानों पर नमाज -ए-तरावीह का एहतेमाम किया गया. नमाज -ए-तरावीह में नमाज के हालत में खड़े होकर पवित्र कुरान को सुनना अहम सुन्नत में शामिल है.
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नमाज-ए-तरावीह की अलग अहमियत- मौलाना अब्दुल वाजिद
लातेहार जिला जमीयत-ए-उलेमा के सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल वाजिद ने बताया कि रमजान के चांद नजर आने के बाद शुरू होने वाले नमाज-ए-तरावीह की एक अलग अहमियत है. इसमें मुसलमान दिन में रोजा रखने के बाद रात की नमाज के उपरांत घंटों खड़े होकर अपने रब को राजी करने के लिए नमाज-ए-तरावीह का एहतेमाम करता है. मौलाना जुबैर कासमी ने कहा कि तमाम महीनों में रमज़ान का महीना सबसे अफजल है. अल्लाह इस महीने में अपने बंदों के लिए अजर बढ़ा देता है. एक नेकी के बदले कई नेकियों से अल्लाह नवाजता है. मस्जिद-ए-मुस्तफा के इमाम मौलाना तौकीर अफनदी ने बताया कि बरकतों और रहमतों के माह-ए-रमजान में अल्लाह ने खास तौर पर गरीबों का ख्याल रखने का हुक़्म दिया है. गरीबों की ज़रूरतों का ख्याल रखना हर साहब-ए-निसाब के लिए ज़रूरी है. ज्ञात हो कि रमजान के पूरे महीने में नमाज-ए-तरावीह में कुरान मुकम्मल सुन लेने के पश्चात सुरह-ए-तरावीह पढ़ी जाती है. यह सिलसिला ईद की चांद नज़र आने तक चलता रहता है.
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