Ashok Madhup
कुछ देशों में खालिस्तान के समर्थन में भारतीय दूतावास पर किए जा रहे प्रदर्शन का विरोध होने लगा है. अच्छा यह है कि खुद प्रदर्शन वाले देशों का सिख समाज इस आंदोलन के पीछे की कहानी जान गया है. यह जान गया है कि इस आंदोलन को बढ़ाने के पीछे पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई का हाथ है. यही कारण है कि वहां का सिख समाज इन आंदोलनकारियों के विरोध में उतर आया. उसने उन्हीं जगहों पर भारत के समर्थन और खालिस्तान के विरोध में प्रदर्शन किया, जहां खालिस्तान के समर्थन में प्रदर्शन हुए थे. लंदन में पिछले रविवार को भारतीय हाई कमीशन में तोड़फोड़ की घटना का विरोध सोमवार को नई दिल्ली में भी किया गया. नई दिल्ली में बड़ी तादाद में सिख ब्रिटिश हाई कमीशन के बाहर जुटे और खालिस्तानियों की हरकत का विरोध किया.
उधर, अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में इंडियन कॉन्स्यूलेट पर हमला किया गया. इसका भी भारतीयों ने विरोध किया. नई दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमीशन के बाहर सिखों ने खालिस्तानियों के खिलाफ बैनर-पोस्टर लहराए और नारेबाजी की. कहा- भारत हमारा स्वाभिमान है. इन सिखों के मुताबिक- तिरंगे का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ऐसा ही सैन फ्रांसिस्को में हुआ. दोनों जगह खालिस्तान के समर्थन में आंदोलन करने वालों के विरुद्ध प्रदर्शन ही नहीं हुए, बल्कि आंदोलनकारियों के विरुद्ध कार्र्वाई की मांग भी की गई. नई दिल्ली में प्रदर्शन के लिए पहुंचे सिखों ने कहा कि पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आएसआई हमारे देश के अमन-चैन को तबाह करने की साजिश रच रही है. हमने हमेशा अपने तिरंगे का सम्मान किया है और लंदन में हुई हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
लंदन के बाद अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भी इंडियन कॉन्स्यूलेट पर हमला किया गया. रविवार को यहां भी खालिस्तान समर्थक जुटे. इन लोगों ने स्प्रे पेंट्स से अमृतपाल को रिहा करो.. लिख दिया. इन लोगों ने कॉन्स्यूलेट के गेट्स तोड़ दिए. वहां खालिस्तान के झंडे लगा दिए. इसके विरोध में भारतीय अमेरिकियों ने हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने खालिस्तान समर्थकों द्वारा किए गये भारतीय राष्ट्रध्वज तिंरगे के अपमान पर गुस्सा जाहिर किया. प्रदर्शन भी किया. दरअसल, पिछले कुछ समय से जानी−बूझी साजिश के तहत खालिस्तान आंदोलन को हवा देने की कोशिश की जा रही है. ब्रिटेन में खालिस्तान के समर्थन में जनमत कराया गया. इसके बाद कुछ जगह के हिंदू मंदिरों पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे गए.
भारत के इन देशों के राजदूतों का बुलाकर आपत्ति जताने के बाद भी कोई प्रभावी कार्रवाई नही हुई. इससे खालिस्तान के समर्थकों के हौंसले बढते गए. पंजाब में अतिवादी अमृतपाल सिंह और उसके साथियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के बाद लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग और अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को में भारत के वाणिज्य दूतावास को खालिस्तान समर्थकों ने जिस तरह निशाना बनाया, उसकी केवल निंदा-भर्त्सना ही पर्याप्त नहीं है.
भारत के विरुद्ध प्रदर्शन के बावजूद ब्रिटेन और अमेरिका सरकारों ने इन उपद्रवियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. न तो लंदन में भारतीय उच्चायोग में कोई सुरक्षा व्यवस्था दिखी और न ही सैन फ्रांसिस्को के वाणिज्य दूतावास में. सबसे खराब बात यह है कि इन दोनों भारतीय ठिकानों पर हमले के लिए जिम्मेदार खालिस्तानियों के विरुद्ध वैसी कार्रवाई नहीं हुई, जैसी अपेक्षित ही नहीं, आवश्यक थी. खालिस्तानियों के उपद्रव और उत्पात की एक लंबे समय से अनदेखी होती चली आ रही है. कनाडा और आस्ट्रेलिया खालिस्तानियों ने एक मंदिरों को निशाना बनाया.
कनाडा और आस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने मंदिरों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की निंदा तो की, लेकिन उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया. अतिवादी अमृतपाल सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इंदिरा गांधी जैसा हश्र करने की धमकी दी. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को ही उसने जाना. उसके बाद का हाल उसे शायद नही मालूम. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद में देश भर में सिखों के सामूहिक कत्ले आम हुए.
दिल्ली में ही तीन हजार से ज्यादा सिख इस हत्याकांड के शिकार हुए. उनकी सम्पत्ति लूट ली गई या जला दी गई. देश भर में 18 हजार से 25 हजार सिख कत्ल कर दिये गए. धीरे−धीरे सिख समाज खालिस्तान की सच्चाई समझ गया. आज वह इसका समर्थक नही, बल्कि विरोधी है.
खालिस्तान समर्थकों के प्रदर्शन के बाद ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों के कई समूहों ने एकजुटता दिखाते हुए पिछले मंगलवार को लंदन स्थित ‘इंडिया हाउस’ के बाहर ‘हम भारतीय उच्चायोग के साथ हैं’ भारतीय उच्चायोग के परिसर में खालिस्तानी चरमपंथियों के हमले के मद्देनजर प्रवासी भारतीयों ने एकजुटता दिखाते हुए यह प्रदर्शन किया. हाल के दिनों में लंदन में देखने को मिला कि कैसे खालिस्तानी तत्व हावी होने लगे और भारतीय उच्चायोग पर तिरंगा उतारने का प्रयास किया गया, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने तिरंगा नहीं उतरने दिया और आज वहां पहले से बड़ा तिरंगा शान से लहरा रहा है.
हमने देखा कि शुरू में भारतीय उच्चायोग के बाहर हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर ब्रिटिश सरकार अनमनी-सी दिखी, लेकिन जब भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त के घर के बाहर सुरक्षा घटाई गयी तो तत्काल लंदन में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा भी बढ़ाई गयी. स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस भी हंगामा करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए हरकत में आई. ब्रिटिश संसद में यह मुद्दा उठ गया और मंत्रियों को भारतीयों की सुरक्षा का आश्वासन देना पड़ गया. इसके अलावा ब्रिटेन के कई सुरक्षा अधिकारी वहां लगातार गश्त कर रहे हैं और मेट्रोपोलिटन पुलिस के वाहन ‘इंडिया प्लेस’के बाहर खड़े हैं.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.
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