Jamshedpur (Sunil Pandey) : जमशेदपुर के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. एके लाल की बर्खास्तगी को झारखंड हाई कोर्ट ने गलत करार दिया. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को डॉ. लाल को पुनः उनके पद पर बहाल करने का आदेश दिया. अपनी बर्खास्तगी को डॉ. एके लाल ने अप्रैल 2022 में झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उक्त मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन मुखोपाध्याय की बेंच ने की. डॉ. लाल की ओर से इस मामले में पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत में बर्खास्तगी को गलत ठहराए जाने के संबंध तर्कसंगत पक्ष रखा. जिसे अदालत ने जायज ठहराते हुए आदेश पारित किया. इस संबंध में पुछे जाने पर डॉ. लाल ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से 31 मार्च 2022 को बर्खास्त कर दिया गया था. जिसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अदालत के निर्णय पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया.
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विधायक सरयू राय ने पुरजोर तरीके से उठाया था मामला
डॉ. एके लाल के सरकारी पद पर रहते हुए विधानसभा का चुनाव लड़ने का मामला विधायक सरयू राय ने पुरजोर तरीके से उठाया था. इसके लिए उन्होंने विधानसभा में भी आवाज उठायी थी. साथ ही स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर एक दोष सिद्ध अधिकारी का बचाव करने का आरोप लगाया था. साथ ही मंत्री के खिलाफ सदन में विशेषाधिकारी हनन का नोटिस भी दिया था. अपने प्रस्ताव में उन्होंने झारखंंड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियम-186 का जिक्र करते हुए कहा था कि झारखंंड सरकार के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री ने सभा को जानबूझकर गुमराह करने, सभा की अवमानना करने, सभा सदस्य के नाते मेरे विशेषाधिकार का हनन करने, दोष सिद्ध अधिकारी का बचाव करने तथा मंत्री पद पर रहते हुए विधि के विरूद्ध आचरण किया है. जो अवमानना एवं विशेषाधिकार उल्लंघन की कार्रवाई चलाने के लिए पर्याप्त है.
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2005 में बन्ना गुप्ता एवं डॉ. एके लाल ने समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लड़ा था चुनाव
विधायक सरयू राय ने अपने विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव में कहा था कि जमशेदपुर के डॉ. एके लाल एवं मंत्री बन्ना गुप्ता ने 2005 में एक ही पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने था. डॉ. एके लाल ने जहां बिहार के 80-झंझारपुर विधान सभा सीट से चुनाव लड़ा था. वहीं बन्ना गुप्ता उसी वर्ष 49-जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा से प्रत्याशी थे. इससे स्पष्ट है कि मंत्री का दोष सिद्ध अधिकारी से पुराना राजनीतिक संबंध है. इसी वजह से मंत्री न केवल दोष सिद्ध अधिकारी का बचाव करते रहे हैं, बल्कि उन्हें पदोन्नत एवं प्रोत्साहित भी करते रहे हैं.
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डॉ. एके लाल ने सरकारी पद पर रहते हुए चुनाव लड़ा
विधायक सरयू राय ने आरोप लगाया था कि मंत्री ने दोष सिद्ध अधिकारी को बर्खास्त करने की कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी करने के बदले फिर से बिहार सरकार को और वहां के संबंधित निर्वाचन पदाधिकारी को कतिपय दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेज दिया है. जबकि इसी तरह का निर्देश स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंंड सरकार ने (पत्रांक 1008 (3), दिनांक 19.09.2014 और पत्रांक 30(3), दिनांक 12.01.2015 समाहर्त्ता, मधुबनी, बिहार तथा जिला पदाधिकारी सहित जिला निर्वाचन पदाधिकारी को भेजा था. जांच में डॉ. एके लाल के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने का जिक्र है. जिसके लिए उन्हें दोषी ठहराया गया है. जांच अधिकारी ने पहले ही उनकी बर्खास्तगी की अनुशंसा की थी. बाद में सरकार ने डॉ. लाल को बर्खास्त कर दिया.
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