Chaibasa (Sukesh Kumar) : झारखंड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने ईडब्ल्यूएस के लिए राज्य और जिला रोस्टर में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की संकल्प पत्र को जारी कर दिया है. जिससे झारखंड सरकार की मंशा स्पष्ट हो गई कि हेमंत सोरेन की सरकार की प्राथमिकता में कौन है. जबकि झारखंड के सात जिले के खतियानधारी मूलवासी या सदान जिला रोस्टर से वंचित है. उनके लिए झारखंड सरकार ने उन सात जिले में युक्तियुक्त ओबीसी आरक्षण बनाना जरूरी नहीं समझा. यह प्रतिक्रिया झारखंड पुनरुत्थान अभियान के संयोजक सन्नी सिंकु ने सोमवार को आयोजित एक बैठक में दी है.
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झारखंड सरकार को तमिलनाडु व कर्नाटक से सीखना चाहिए
ईडब्ल्यूएस आरक्षण के मामले में झारखंड सरकार को तमिलनाडु और कर्नाटक से सीखना चाहिए था. जिस राज्य में वहां के वासगीत के आधार पर की गई नियोजन या आरक्षण को सबसे ऊपर रखा है. यही कारण है कि उस राज्य में ईडब्ल्यूएस आरक्षण को अब तक लागू नहीं किया गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जाहिर कर दिया कि उनकी प्राथमिकता में झारखंडी नहीं है. अगर सचमुच झारखंडियों के प्रति उनको संवेदना होती तो झारखंड के नियोजन नीति को अब तक निर्धारित कर दिया होता. क्योंकि राज्य की नियोजन नीति या राज्य के पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ देने का विशेष अधिकार राज्य सरकार को ही होता है.
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विरोध प्रदर्शन में ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं से शामिल होने की अपील की
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके अधिकारियों को पता है किसी भी राज्य का नियोजन नीति का निर्धारण करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 (6) और 16(6) के तहत उस राज्य के सरकार का विशेष अधिकार है. इसीलिए झारखंड के विभिन्न प्रमंडल और जिला में छात्र-छात्राओं के द्वारा 60-40 का विरोध करना संविधान सम्मत है. आगामी 6 अप्रैल को कोल्हान चाईबासा में छात्र संघर्ष समिति द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन का झारखंड पुनरुत्थान अभियान समर्थन करती है. खासकर पश्चिमी सिंहभूम जिला के ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं, प्रबुद्ध वर्ग, सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं से अपील है कि ओबीसी वर्ग अधिक से अधिक संख्या में भाग लें. क्योंकि छात्र संघर्ष समिति आपकी हितों की रक्षा करने का बीड़ा उठाया है. बैठक में झारखंड पुनरुत्थान अभियान के संयोजकगण क्रमश: अमृत मांझी, संदीप बिरुली, नितिन जामुदा, अलविन एक्का, संजय और अन्य उपस्थित थे.
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