Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने इको सेंसेटिव जोन के दस किलोमीटर की परिधि में बिना नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (एनबीडबल्यूएल) की अनुमति के चल रहे औद्योगिक प्रतिष्ठानों और माइनिंग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
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इसे लेकर प्रार्थी उमाशंकर सिंह ने जनहित याचिका दायर की है. हाईकोर्ट अब 15 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. सोमवार की सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में किसी भी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, फॉरेस्ट या नेशनल पार्क के दस किलोमीटर के दायरे में इको सेंसेटिव जोन बनाने का निर्देश दिया है.
इको सेंसेटिव जोन में एनबीडब्ल्यूएल की अनुमति के बिना माइनिंग और औद्योगिक गतिविधि नहीं हो सकती. लेकिन झारखंड में कई इको सेसेंटिव जोन में औद्योगिक गतिविधि और खनन कार्य किया जा रहा है. इसके लिए एनबीडब्ल्यूएल अनुमति नहीं ली गयी है. प्रार्थी के अधिवक्ता सोनल तिवारी ने अदालत को बताया कि हजारीबाग के वन प्रमंडल पदाधिकारी ने मुख्य वन संरक्षक को एक पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि कोडरमा वन्य प्राणी क्षेत्र में 37, हजारीबाग में 31,गौतम बुद्ध वन्य प्राणी क्षेत्र में एक, पारसनाथ और तोपचांची वन्य प्राणी क्षेत्र में नौ औद्योगिक इकाइयां बिना अनुमति के चल रही हैं. सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि अगर इको सेंसेटिव जोन में औद्योगिक गतिविधि और माइनिंग हो रही है, तो उस पर रोक लगायी जाए.
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