Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) सदर अस्पताल में इन दिनों लंबी दूरी तय कर पहुंचने वाले मरीजों को भर्ती होने के बावजूद इलाज के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है. शायद सदर अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ ने ठान रखी है कि प्रतिदिन तीन लोगों का ही इलाज करना है. इसके अलावा मरीजों को इलाज के लिए दूसरे दिन तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है.
मात्र प्लास्टर के लिए 4 दिन तक लगाता रहा चक्कर
कतरास के 15 वर्षीय रोहित सोनकर को विगत 1 अप्रैल को खेलते समय दाएं पैर की उंगली में फ्रैक्चर आ गया. वह उसी दिन सुबह सदर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें भर्ती भी कर लिया और प्लास्टर कराने को कहा. परंतु प्लास्टर कराने के लिए रोहित को 4 दिन इंतजार करना पड़ा. रोहित के मामा राजा सोनकर ने बताया कि प्लास्टर करने वाले स्टाफ प्रतिदिन सिर्फ 3 मरीजों का ही प्लास्टर करते हैं. चौथे के लिए उन्हें अगले दिन का समय दिया जाता है. इस वजह से उन्हें अपनी बारी के इंतजार में 4 दिन बीत गए. वह बताते हैं कि पिछले 4 दिनों से वह सदर अस्पताल के डॉक्टर मुकेश प्रसाद और अन्य स्टाफ से भांजे के पांव के प्लास्टर के लिए गिड़गिड़ाते रहे. इसके बाद 5 अप्रैल को प्लास्टर किया गया. उन्होंने बताया कि 11 अप्रैल से रोहित का एग्जाम है. परिवार वाले काफी चिंतित हैं. वह कतरास के जीएनएम प्लस टू हाई स्कूल में 9 वीं क्लास का छात्र है.
एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के भरोसे मरीज
दरअसल सदर अस्पताल इन दिनों एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है, जिसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है. अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि यहां प्रतिदिन ऑर्थो से जुड़े लगभग 8 से 10 मामले पहुंचते हैं. परंतु मात्र 4 या 5 मरीज का इलाज संभव हो पाता है. डॉक्टर के अभाव में मरीजों को भर्ती तो करा लिया जाता है, लेकिन समय पर उनका प्लास्टर या ऑपरेशन नहीं हो पाता है.
समय का अभाव और भीड़ के कारण परेशानी
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ संजीव कुमार का कहना है कि डॉक्टरों और स्टाफ की कमी है. इस कारण हम मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं दे पाते. फिलहाल ऑर्थोपेडिक में डॉक्टर मुकेश प्रसाद सेवा दे रहे हैं. समय का अभाव और भीड़ के कारण मरीजों को थोड़ी परेशानी हो रही है.