Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) धनबाद जिले में लगभग डेढ़ सौ अधिक प्री-स्कूल या प्ले स्कूल हैं. परंतु उन्हें सरकार की मान्यता नहीं मिली है. के इन स्कूलों में बच्चों की देखभाल व शुरुआती शिक्षण के नाम पर अभिभावकों से मोटी राशि वसूली जाती है. प्री स्कूल्स में नामांकन के लिए अभिभावकों को दो हज़ार से 10 हज़ार रुपये तक शुल्क वसूला जाता है. मासिक फ़ीस के रूप में भी दो सौ रुपये से दो या तीन हज़ार रुपये तक चुकाना पड़ता है.
लोकल और फ्रेंचाइजी प्ले स्कूल सक्रिय
हालत यह है कि शहर की लगभग हर गली व मोहल्ले में एक प्ले स्कूल मिल जाते हैं. इनमें कुछ स्थानीय स्तर के हैं, जबकि दर्जन भर प्ले स्कूल फ्रेंचाइजी मोड में संचालित हैं, जिनका मुख्यालय दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में बताया जाता है. फ्रेंचाइजी प्ले स्कूल की फीस भी भारी भरकम होती है.
देते हैं डीनोबिली व कार्मेल में नामांकन की गारंटी
बता दें कि प्ले स्कूलों में साढ़े तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों का नामांकन हो सकता है, जहां उन्हें खेल-खेल में अक्षर ज्ञान सिखाया जाता है. संचालक व ट्रेनर बच्चों को डीनोबिली, कार्मेल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, डीएवी जैसे स्कूल्स में इंट्री क्लास के लिए तैयार करते हैं. कुछ प्ले स्कूलों की बड़े स्कूलों से सांठ-गांठ भी है. इसी दम पर वे बड़े स्कूलों में नामांकन की गारंटी लेते हैं. अभिभावक भी झांसे में आ कर प्री स्कूल्स में नामांकन के लिए मोटी फीस चुकाने को तैयार रहते हैं.
प्ले स्कूल संचालन का क्या है नियम
प्ले स्कूल, प्री-नर्सरी, नर्सरी, यूकेजी, एलकेजी के कक्षा संचालन के लिए महिला एवं बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की ओर से झारखंड राज्य प्ले स्कूल (विनियमन एवं नियंत्रण) नियमावली 2017 बनाई गई थी. कक्षा एक से नीचे की कक्षा के लिए सभी सीबीएसई, आईसीएसई, गैर मान्यता प्राप्त और प्ले स्कूलों को इससे मान्यता लेनी है. लेकिन लगभग छह वर्षों से सभी स्कूलों में इस नियम की अनदेखी हो रही है.
विभाग कुछ नहीं कर रहा : महिला व बाल विकास पदाधिकारी
महिला एवं बाल विकास पदाधिकारी स्नेहा कच्छप का कहना है कि विभाग फिलहाल कुछ नहीं कर रहा है. आदेश वर्ष 2017 का था तो उस समय के अधिकारी को कार्रवाई करनी चाहिए थी. विभाग पहले आदेश निकालेगा. उसके बाद मान्यता नहीं लेने वालों पर कार्रवाई करेगी.
मान्यता नहीं लेना गलत बात है: डीईओ
धनबाद जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला शिक्षा अधीक्षक भूतनाथ रजवार कहते हैं कि सभी स्कूलों को महिला एवं बाल विकास से मान्यता लेनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो गलत है.
नियमों की अनदेखी हो रही है : मनोज मिश्रा
झारखंड अभिभावक महासंघ प्रदेश महासचिव मनोज मिश्रा ने कहा कि महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग से मान्यता लेना जरूरी है. लेकिन सभी नियमों की अनदेखी हो रही है.
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