Chandwa : झारखंड सरकार की मंशा थी कि सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को गांव में ही स्वास्थ्य लाभ मिले. इसी उद्देश्य से सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर चंदवा के लोहरसी गांव में अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन का निर्माण करवाया. मगर वर्षों वहां डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई. वर्षों बंद रहने के कारण यह अस्पताल भवन खंडहर में तब्दील होने की कगार पर पहुंच गया. लोहरसी के ग्रामीण नरेंद्र कहते हैं कि एक-डेढ़ साल पहले भवन की मरम्मत कराई गई और रंग रोगन कर उसे बैठने लायक बनाया गया. अस्पताल के सुचारू रूप से संचालन के लिए यहां एक सीएचओ, एक एएनएम और एक एमपीडब्ल्यू के साथ एक नर्स को प्रतिनियुक्त किया गया. भवन निर्माण में लाखों रुपये खर्च कर दिए गए, मगर एक एमबीबीएस डॉक्टर को प्रतिनियुक्त नहीं किया गया, न ही पर्याप्त मात्रा में दवाई ही उपलब्ध कराई जाती है. डॉक्टर और दवा के नहीं रहने के कारण अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है.
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सिर्फ बीपी-शुगर और बुखार की होती है जांच
ग्रामीणों का कहना है कि यहां न तो डॉक्टर और न दवाई ही रहता है. यहां सिर्फ बीपी-शुगर और बुखार की जांच होती है. कुछ भी होने पर ग्रामीणों को बाहर जाना पड़ता है. स्वास्थ्य कर्मियों के रहने के लिए आवास तो बनवाया गया है, मगर वह रहने लायक नहीं है. पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. मजबूरन स्वास्थ्य कर्मियों को किराये पर रहना पड़ता है. जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो चिकित्साकर्मियों के रहने के लिए बना आवास खंडहर में तब्दील हो जायेगा.
अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र लोहरसी में डाॅक्टर नहीं रहने के बारे में जब सीएचसी प्रभारी डाॅ. एनके पांडे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डाॅक्टरों की कमी है. सीएचसी चंदवा में भी मात्र तीन ही डाॅक्टर हैं. डाॅक्टर बड़ाईक को सप्ताह में दो दिन वहां रहना है. व्यवस्था में सुधार कराने का प्रयास किया जा रहा है.
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