प्रेम आनंद, आईटी एक्सपर्ट
आपका प्रोफेशन क्या है? आप आईटी प्रोफेशनल हैं, अकाउंटेंट हैं, कैशियर हैं, एंकर हैं, कंटेंट राइटर हैं, फोटोग्राफर हैं, वीडियोग्राफर हैं, जर्नलिस्ट हैं, शिक्षक हैं, ड्राइवर हैं, वकील हैं, क्लर्क हैं, डिलीवरी पर्सन हैं, पुलिस वाले हैं और जिस किसी भी जॉब में हैं, अब आपकी जगह “जेनेरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीएआई) ले लेगा. यानी नौकरी के नए मौकों पर आफत आ सकती है.
समझिए चैट जीपीटी को
चैट जीपीटी जेनेरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से बना एक चैट बोट है. इसकी फुल फॉर्म चैट जेनरेटिव प्रिट्रेंड ट्रांसफार्मर है. इसे ओपन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा डेवलप किया गया है. इसके द्वारा सरलता से शब्दों के प्रारूप में बात कर सकते हैं और अपने किसी भी प्रकार के सवाल का जवाब प्राप्त कर सकते हैं. जैसे गूगल सर्च काम करता है, ठीक वैसे ही यह भी काम करता है. लेकिन जीपीटी चैट करते समय पूर्व में किए गए सवाल-जवाब को याद रखते हुए क्रमवार तरीके से आगे बढ़ना है, जिससे ऐसा प्रतीत हो कि आप किसी इंसान से चैट कर रहे हों.
हालांकि, इसे 30 नवंबर 2022 को ही लाॅन्च किया गया था. तब इसके पास सिर्फ मार्च 2022 का डेटा ही उपलब्ध था. लेकिन इसे अब माइक्रोसॉफ्ट ने बिंग के साथ जोड़ कर अपने ब्राउजर के साथ लाॅन्च करने की तैयारी कर ली है, जिसे ट्रायल के तौर पर कुछ यूजर्स को उपलब्ध कराया गया है. अब आप बिंग के साथ इस्तेमाल कर वर्तमान समय तक का अपडेटेड सर्च रिजल्ट प्राप्त कर सकते हैं.
अब तक इसके यूजर्स की संख्या 1 मिलियन पहुंच चुकी है. इसकी आधिकारिक वेबसाइट chat.openai.com है. अभी सिर्फ यह अंग्रेजी भाषा में ही इस्तेमाल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद है. हालांकि, आगे बढ़ने पर इसमें अन्य भाषाओं को भी जोड़ने का प्रावधान रखा गया है. आप यहां पर जो भी सवाल लिखकर पूछते हैं, उस सवाल का जवाब चैट जीपीटी द्वारा आपको विस्तार से दिया जाता है. चैट जीपीटी द्वारा आपको निबंध, यू-ट्यूब वीडियो स्क्रिप्ट, कवर लेटर, बायोग्राफी, छुट्टी की एप्लिकेशन आदि लिख कर दी जा सकती है.
चैट जीपीटी की शुरुआत
सैम अल्टमैन द्वारा एलन मस्क के साथ मिलकर वर्ष 2015 में चैट जीपीटी की शुरुआत की गयी थी. 1 से 2 साल के बाद ही मस्क द्वारा इस प्रोजेक्ट को बीच में ही छोड़ दिया गया. इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने 30 नवंबर 2022 को एक प्रोटोटाइप के तौर पर इसे लाॅन्च किया.
चैट जीपीटी की विशेषताएं
इसकी प्रमुख विशेषता यह है कि आपके द्वारा जो सवाल यहां पूछे जाते हैं, उनका जवाब आपको बिल्कुल विस्तार से आर्टिकल के प्रारूप में मिलता है.
• कंटेंट तैयार करने के लिए चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया जा सकता है.
• यहां आप जो भी सवाल पूछते हैं उसका जवाब आपको रियल टाइम में प्राप्त होता है.
• इस सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए किसी भी यूजर से पैसे नहीं लिए जाते हैं, क्योंकि इस सुविधा को बिल्कुल मुफ्त में लोगों के लिए लाॅन्च किया गया है.
• आप इसकी सहायता से बायोग्राफी, एप्लिकेशन, निबंध आदि भी लिखकर तैयार कर सकते हैं.
चैट जीपीटी का इस्तेमाल
चैट जीपीटी का इस्तेमाल करने के लिए आपको इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करना होगा और अपना अकाउंट पंजीकृत करना होगा. अकाउंट बनाने के पश्चात ही आप चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर सकेंगे.
चैट जीपीटी के फायदे
• यहां यूजर द्वारा सर्च किए गए सवाल का सीधा और सटीक जवाब विस्तार से मिलता है.
• जब आप गूगल पर कुछ भी सर्च करते हैं, तो सर्च रिजल्ट के बाद अलग-अलग वेबसाइट दिखाई देती है, परंतु चैट जीपीटी आपको डायरेक्ट संबंधित रिजल्ट पर ले जाता है.
• इसमें एक अन्य शानदार सुविधाएं भी शुरू कर दी गयी हैं. यानी जब आप कुछ सर्च करते हैं और जो रिजल्ट आपको दिखाई देता है, अगर आप उस रिजल्ट से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप इसकी जानकारी भी चैट जीपीटी को दे सकते हैं, उसी के आधार पर इसके द्वारा लगातार रिजल्ट को अपडेट किया जाता रहता है.
• आपसे इस सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए एक रुपये भी नहीं लिए जा रहे हैं, यानी यूजर फ्री में इसका इस्तेमाल कर सकता है.
चैट जीपीटी की खामियां
• वर्तमान समय में चैट जीपीटी द्वारा सिर्फ अंग्रेजी भाषा को ही सपोर्ट किया जा रहा है. हालांकि, भविष्य में अन्य भाषाओं को भी इसमें शामिल किया जा सकता है.
• ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब आपको यहां प्राप्त नहीं हो पाता है.
• इसकी ट्रेनिंग वर्ष 2022 की शुरुआत में ही खत्म हो चुकी है. ऐसे में मार्च 2022 के बाद की जो घटनाएं हैं, उसके बारे में शायद ही आपको यहां जानकारी मिले. हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट बिंग ने इसे अपने सर्च इंजन के साथ अटैच कर लिया है, तो अब आपको ज्यादा रिजल्ट मिल सकते हैं.
• बता दें कि तब तक आप इसका इस्तेमाल फ्री में कर सकेंगे, जब तक यह रिसर्च पीरियड में है. रिसर्च पीरियड पूरा हो जाने के पश्चात इसका इस्तेमाल करने के लिए यूजर को पैसे देने पड़ सकते हैं.
क्या चैट जीपीटी गूगल को पीछे छोड़ देगा
गूगल और चैट जीपीटी में कोई तुलना नहीं की जा सकती है. ये दोनों बिल्कुल अलग-अलग टेक्नॉलजी हैं. हालांकि, इस्तेमाल करने में ऐसा लग सकता है कि दोनों एक ही हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. गूगल एक सर्च इंजन है, जो किसी सिंगल और मल्टीपल के वर्ड के आधार पर उससे मिलता-जुलता संभावित रिजल्ट प्रदर्शित करता है. जब आप गूगल सर्च का इस्तेमाल करते हैं, तब आपने देखा होगा कि गूगल सर्च करने पर रिजल्ट आते ही वहां सर्च के नीचे सर्चिंग रिजल्ट में लगा समय लिखा रहता है, जो ज्यादातर मिली सेकंड में होता है.
जब आप चैट जीपीटी पर चैट करेंगे, तो साधारण चैट करने में भी चैट डीपीटी अभी कई सेकंड का समय लेता है. इसका कारण है गूगल सर्च सिर्फ डाटा प्रदर्शित करता है, जबकि चैट जीपीटी कई सारे रिजल्ट एल्गो एनालिसिस कर चैट के अनुसार उसके जवाब तैयार कर रिजल्ट प्रदर्शित करता है. इस प्रक्रिया में चैट जीपीटी को ज्यादा समय लगता है, इसे और फास्ट करने के लिए अभी काफी सुधार करना होगा. इसकी प्रक्रिया को अभी और सरल बनाना होगा.
फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही कि यह गूगल को पीछे छोड़ सकता है. गूगल सर्च का एल्गो अभी सबसे उन्नत और फास्ट है. गूगल अगर अपने सर्च इंजन के साथ एक चैट बोट जोड़ दे, तो वह चैट जीपीटी से कहीं ज्यादा एडवांस और फास्ट होगा. हालांकि, गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां भी इस पर काम कर रही हैं. बहुत जल्द हमें चैट जीपीटी जैसे कई चैट बोट मिल जाएंगे.
चैट जीपीटी के पास वर्तमान में लिमिटेड इंफॉर्मेशन ही उपलब्ध है और इस पर ज्यादा ऑप्शन भी मौजूद नहीं हैं. इसके द्वारा किसी को सिर्फ उतना ही जवाब दिया जा सकता है जितना जवाब देने के लिए इसे ट्रेंड किया गया है. वहीं, इसके विपरीत गूगल के पास दुनिया भर के अलग-अलग लोगों का डाटा मौजूद है. इसलिए गूगल पर आपको विभिन्न प्रकार की जानकारी ऑडियो, वीडियो, फोटो और शब्द फॉर्मेट में प्राप्त हो जाती है. इसके अलावा चैट जीपीटी की एक खामी यह भी है कि यहां आपको सवालों के जो जवाब मिलते हैं, वे सही हों यह जरूरी नहीं है, परंतु दूसरी तरफ गूगल के पास लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाला एल्गोरिथ्म मौजूद है, जिसके द्वारा वह आसानी से इस बात को समझ जाता है कि यूजर जो सर्च कर रहा है, उसके पीछे यूजर की क्या प्राप्त करने की इच्छा है.
क्या चैट जीपीटी से बढ़ेगी बेरोजगारी
टेक्नोलॉजी की बात की जाए, तो ऐसी कई टेक्नोलॉजी आ चुकी हैं, जिनकी वजह से समय-समय पर इंसानों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है. हालांकि, चैट जीपीटी से भारत में अभी कम से कम 4-5 साल किसी की जॉब जाने का खतरा नहीं है, क्योंकि अभी यह चैट बोट खुद डेवलपमेंट स्टेज में है, यानि इसके द्वारा जारी रिजल्ट की 100 % सटीकता नहीं है. ऐसे में इस पर विश्वास कर पाना मुश्किल है, इसलिए इसे अभी कॉमर्शियल तौर पर उपयोग नहीं किया जा सकता है. इसे काॅमर्शियल इस्तेमाल के लायक बनाने में अभी कम से कम 4-5 साल और लगेंगे.
जीएआई के कारण किन नौकरियों में आ सकती हैं दिक्कतें
इनवेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन साक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से दुनियाभर में 30 करोड़ नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. यह आंकड़ा सिर्फ अमेरिका और यूरोप का मिलाकर है. सिर्फ अमेरिका की ही बात करें, तो वहां कुल 70% नौकरियों में इंसानों की जगह एआई रोबोट्स ले लेंगे.
वैसी नौकरियों पर खतरा ज्यादा, जहां ह्यूमन एरर्स की संभावना ज्यादा
कैशियर की जॉब: रिपोर्ट के अनुसार, इसका सबसे व्यापक असर बैंकिंग सेक्टर पर पड़ने वाला है, जहां 60% कैशियर की जॉब को खतरा हो सकता है. यानी बहुत जल्द बैंक के कैश काउंटर्स पर आपको इंसानों की जगह एआई रोबोट्स काम करते नजर आएंगे.
अकाउंटेंट : बहुत जल्द आपको अपने अकाउंट और पैसे का ब्योरा रखने के लिए या फिर आईटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) भरने के लिए किसी अकाउंटेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी. ये सभी काम जीएआई रोबोट के जरिए आसानी से किए जा सकेंगे. आपको कम फीस लगेगी और काम भी जल्दी हो जाएगा .
ड्राइवर : ट्रांसपोर्टिंग फील्ड में ड्राइवर्स की जॉब पर खतरा सबसे ज्यादा है. यहां भी करीब 51% से ज्यादा जॉब इंसानों की जगह रोबोट्स ले लेंगे. भारत में जिस तरह से रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया जा रहा है, 5जी- 6जी जैसे फास्ट नेटवर्क जैसी सुविधाएं बढ़ रही हैं, साथ ही महंगी गाड़ियों में ऑटो पायलट मोड देखा और इस्तेमाल भी किया जा रहा है, इससे स्पष्ट है कि बहुत जल्द यह और ज्यादा डेवलप होकर एआई ड्राइवर इंसानों की जगह ले लेगा.
कंटेंट राइटर : कंटेंट राइटर यानी किसी टॉपिक पर कंटेंट तैयार करने का काम भी अब एआई रोबोट करेंगे. आपको किसी टॉपिक पर लेख लिखना हो या फिर कोई खबर बनानी हो, तो आप जीएआई का सहारा ले सकते हैं. यह कुछ ही मिनटों में आपको मनचाहा कंटेंट लिख कर परोस देगा. उदाहरण के लिए चैड जीपीटी एवरेज राइटिंग स्किल वाले लोगों को आर्टिकल्स लिखने में मदद करता है. इससे सबसे ज्यादा चुनौती जर्नलिस्ट्स को मिलेगी.
ट्रांसलेटर : किसी भी कंटेंट को किसी दूसरी भाषा में ट्रांसलेट करने में जीएआई माहिर है. चंद सेकंड में यह आपके कंटेंट को आप जिस भाषा में चाहें ट्रांसलेट कर सकता है. यानी अब आपको इसके लिए अलग से ट्रांसलेटर रखने की जरूरत बिल्कुल नहीं होगी.
साफ-सफाई : साफ सफाई का काम अब ज्यादातर रोबोट्स करने लगे हैं, जो कुछ सालों में इतने डेवलप हो जाएंगे कि आप भी अपने घर पर सफाईवाली की जगह रोबोट रखना पसंद करेंगे.
वेटर : एक रेस्तरां ऐसा भी है, जहां वेटर का काम रोबोट्स करते हैं. इसे आप भविष्य की झलक ही समझिए. बहुत जल्द ऐसी स्थिति आपको आपके आसपास के सभी होटलों में दिखने लगेगी. यह अनोखा रेस्टोरेंट उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर-104 में खोला गया है. सोशल मीडिया पर यहां काम करने वाले रोबोट की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं. रोबोट फर्राटेदार अंग्रेजी में पूछते हैं- खाने में क्या लेंगे? यहां 2 रोबोट वेटर का काम करते हैं. दोनों रेस्टोरेंट में आने वाले ग्राहकों को खाना परोसते हैं.
अंग्रेजी-हिंदी में देते हैं जवाब :
ये रोबोट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करते हैं. हर टेबल की जानकारी रोबोट में फीड की जाती है. फोन पर टेबल नंबर डालने के बाद ये रोबोट टेबल तक पहुंचते और खाना परोसते हैं. तीन घंटे की चार्जिंग के बाद ये पूरे दिन काम कर सकते हैं. ये रोबोट अपने ग्राहकों के सभी सवालों का जवाब अंग्रेजी और हिंदी में भी देते हैं.
डिलीवरी : एआई ड्रोन्स का नाम तो आपने सुना ही होगा. दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अमेजन सामानों की डिलीवरी ड्रोन से देने की तैयारी कर रही है. इसका प्रयोग भी अब अंतिम चरण में है. बहुत जल्द यानी वर्ष 2027 तक आपको ऑनलाइन ऑर्डर की डिलीवरी ड्रोन से मिलने लगेगी. यानी कि डिलीवरी पर्सन की जगह बहुत जल्द ड्रोन्स लेने वाले हैं.
इसके अलावा लास्ट माइल डिलीवरी सर्विस चलाने वाली कंपनी जिप का कहना है कि अब ड्रोन लॉजिस्टिक्स सेगमेंट में प्रवेश कर रहे हैं. इसके लिए टीएसएडब्ल्यू ड्रोन के साथ करार किया गया है. पहले चरण में चार शहरों में 200 ड्रोन तैनात करने की योजना है, जिसे सबसे पहले दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई और पुणे में शुरू किया जाएगा.
ज्यूडिशियरी क्षेत्र की नौकरियों पर भी आ सकता है संकट
टोरंटो यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर केविन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक उद्यमिता कार्यक्रम चलाते हैं. उनके मुताबिक, चैट जीपीटी एमबीए डिग्री वाले किसी भी व्यक्ति से बेहतर जवाब देने में सक्षम है. वे कहते हैं कि ज्यादातर कंपनियों ने उपभोक्ताओं से बातचीत करने के लिए चैटबॉट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. ऐसे में एआई से टेलीमार्केटिंग सेक्टर से जुड़े लोगों को भी बड़ा खतरा है. शोध में पता चला कि एआई न्यायाधीशों की जगह तो नहीं ले सकता, लेकिन कोर्ट में इसका कई जगह अच्छा इस्तेमाल हो सकता है. इसे किसी भी किताब के कानून बताने और पुराने फैसलों की रिसर्च के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. दुनिया के कुछ देशों में जजों द्वारा एआई का इस्तेमाल कर फैसले सुनाने के मामले सामने आ चुके हैं.
फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और फोटो वीडियो एडिटिंग
फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और फोटो वीडियो एडिटिंग का भी काम करने में जीआई रोबोट्स बहुत जल्द सक्षम किए जा रहे हैं. इन क्षेत्रों की नौकरियां भी प्रभावित होंगी. दुनियाभर की सरकारें एआई के क्षेत्र में निवेश को प्रमोट करना चाहती हैं. खासकर विकसित देश इसमें काफी रुचि दिखा रहे हैं. उनका कहना है कि इससे प्रॉडक्टिविटी बढ़ेगी और इकॉनमी में बढ़ोतरी होगी.
बेहतरीन कल्पनाशीलता ही है एआई की ताकत
एआई की सबसे बड़ी ताकत इसकी बेहतरीन कल्पनाशीलता है. हाल ही में आपने सोशल मीडिया पर बाइडन और पुतिन की वायरल तस्वीर देखी होगी, जिसमें बाइडन और पुतिन समुद्र तट (बीच) पर हाथ में हाथ डाले दौड़ लगा रहे हैं, तो किचन में एक साथ खाना पका रहे हैं. इतना ही नहीं वो बीच पर एक साथ रेत के महल भी बनाते हुए दिखे. इसके अलावा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को कहीं पुलिस दौड़ा रही है, तो कहीं पुलिस ट्रंप को गिरफ्तार कर रही है. ऐसे फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. दरअसल, यह दिखने में असली जैसी तस्वीर जीएआई के जरिए ही बनाया गया था. इस मामले में भी एआई का जवाब नहीं, लेकिन जरा सोचिए क्या होगा जब चुनाव का समय हो और किसी नेता/जनप्रतिनिधि का फर्जी वीडियो और फोटो वायरल हो जाए. यह चुनाव के नतीजों को भी प्रभावित करने की क्षमता रखता है. इस तरह से एआई की कल्पनाशीलता तो असीमित है, लेकिन यह अपने साथ कई बुरी संभावनाएं भी समेटे हुए है.
एआई का भारत, चीन, नाइजीरिया, वियतनाम, केन्या में नौकरियों पर असर कम रह सकता है
गोल्डमैन साक्स की एक रिपोर्ट कहती है कि एआई का असर अलग-अलग सेक्टर पर अलग-अलग होगा. उदाहरण दिया गया है कि 46% एडमिनिस्ट्रेटिव और 44 % लीगल काम ऑटोमैटेड हो सकता है, लेकिन कंस्ट्रक्शन में 6 % और मेंटनेंस में 4% जॉब ही इससे प्रभावित हो सकते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हांगकांग, इजराइल, जापान, स्वीडन और यूएस में एआई का सबसे अधिक असर होगा, जबकि भारत, चीन, नाइजीरिया, वियतनाम और केन्या में इसका असर नौकरियों पर अपेक्षाकृत कम रह सकता है.
एआई हमारे काम के अनुरूप काम करे : मिशेल डनलैन
जीएआई को लेकर ब्रिटेन की टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी मिशेल डनलैन ने कहा है कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) हमारे काम के अनुरूप काम करे, उसमें व्यवधान पैदा न करे. इससे हमारा काम बेहतर हो, न कि यह हमारा काम छीन ले. वहीं, ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के ऑक्सफर्ड मार्टिन स्कूल में फ्यूचर ऑफ वर्क डायरेक्टर कार्ल बेनेडिक्ट फ्रे ने कहा कि साफ तौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि जेनरेटिव एआई से कितने लोगों की नौकरी जाएगी.
कंपनियों को एआई रोबोट्स क्यों हैं पसंद
1. ये वन टाइम इन्वेस्टमेंट पर मिल जाते हैं.
2. इंसान की तुलना में गलती होने की संभावना बहुत कम रहती है.
3 . इन्हें हर महीने सैलरी और पीएफ नहीं देना पड़ते
4 . ये थकते नहीं और न ही बीमार पड़ते हैं.
5. ये लगातार कई घंटों तक काम कर सकते हैं.
6 . इन्हें वीकली ऑफ या किसी पर्व त्योहार पर अवकाश नहीं चाहिए.
7 . इनसे रिमोट सिस्टम से काम लिया जा सकता है और ये समय के पाबंद होते हैं.
@ इस तरह से कम लागत के ये रोबोट्स प्रोडक्टिविटी को कई गुना बढ़ा देते हैं.
अगर आप स्मार्ट हैं तो चैट जीपीटी से कमा सकते हैं पैसे
चैट जीपीटी द्वारा आधिकारिक तौर पर अभी इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि आप इसके द्वारा पैसे कमा सकते हैं. हालांकि, इन तरीकों से आप चैट जीपीटी से पैसे कमा सकते हैं.
दूसरों के होमवर्क करके पैसे कमाएं
यूट्यूब ऑटोमेशन वीडियो बनाकर पैसा कमाएं
ऑनलाइन पैसे कमाने के लिए कंटेंट क्रिएट करें
इनकम करने के लिए आर्टिकल लिखें
बिजनेस नेम सजेस्ट कर पैसे कमाएं
बिजनेस के लिए स्लोगन सर्च कर पैसा कमाएं
ईमेल करके पैसे कमाएं
ऑनलाइन सर्विस बेचकर पैसे कमाएं
हाईलाइटर
”चैट जीटीपी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा है. अगर एआई एक समंदर है, तो चैट जीटीपी सिर्फ एक बूंद है. एआई मेंअभी इससे भी कई बड़ी- बड़ी संभावनाएं छिपी हैं, जो फिलहाल रिसर्च का विषय है.
एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता
मशीन का किसी इंसान की तरह सोचना, कल्पना करना, निर्णय लेना, रिजल्ट बताना और एक्टिविटी करना, इसे ही हम एआई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहते हैं. यह वर्चुअल वर्ल्ड में एक जीवित आयाम की तरह काम करता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बदल देगा भविष्य की सूरत. इसका गलत इस्तेमाल पूरी मानव प्रजाति को भी खत्म करना की क्षमता रखता है. आपके स्मार्ट वाच से लेकर स्मार्ट होम, स्मार्ट ऑफिस स्मार्ट किचन, स्मार्ट बस, स्मार्ट ट्रैन, स्मार्ट एयरबस, ये सब अभी एआई का 1-5% ही इस्तेमाल कर रहे हैं.
एआई में हैं असीमित संभावनाएं
एआई और 6जी, दोनों तकनीक मिलकर मनुष्य के जीवन को आसान और उन्नत बनाएंगे. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. आप घर बैठे ऑफिस में काम कर सकेंगे. घर बैठे विदेशों में चलाएंगे बस. पायलट घर बैठे उड़ा सकेंगे विमान. सैनिकों को बॉर्डर पर जाने की जरूरत नहीं. वर्चुअल सैनिक पहरा देंगे, बॉर्डर पर जरूरत पड़ने पर युद्ध भी करेंगे. बदल जाएगी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था. वर्चुअल टीचर देंगे बच्चों को शिक्षा. एआई से लैस रोबोट बनेंगे वकील और जज. मौसम की भविष्यवाणी सटीक होगी, जिससे किसानों को मदद मिलेगी. छोटी- मोटी बीमारियों का इलाज व ऑपरेशन भी एआई रोबोट करेंगे. अंतरिक्ष में रिसर्च के लिए भी भेजे जाएंगे एआई रोबोट, जो अन्य किसी भी ग्रह या पिंड का अध्ययन करने में सक्षम होंगे.
कुछ क्षेत्रों में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर, कुछ में कम होंगे
एक शोधकर्ता के मुताबिक, वर्तमान में इंसानी क्षमताएं 800 से ज्यादा प्रोफेशन्स में काम आती हैं. रिसर्च में प्रयोग के बाद कहा कि एआई का ज्यादा इस्तेमाल करने से 10 -15 सेक्टर के लोगों के सामने नौकरी का संकट खड़ा हो जाएगा. शोधकर्ताओं का कहना है कि एआई की मदद से कई ऐसे काम भी किए जा सकते हैं, जिनको करना इंसानों के बस की बात नहीं है. कई काम ऐसे हैं, जिनको एआई के जरिये इंसानों से बेहतर तरीके से किया जा सकता है. कम बजट की गाड़ियों में भी ऑटो पायलट मोड उपलब्ध होगा. कुछ क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, तो कुछ क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम होंगे.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स की शुरुआत
ऐसा माना जाता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत मैक्कार्थी ने 1955 में की थी. इंटरनेट के मामले में हम भले 5जी यानी पांचवीं जेनरेशन तक पहुंच गए हैं लेकिन एआई के मामले में हम आज भी प्रथम चरण में ही हैं.
1943 वॉरेन मैककुलोच और वाल्टर पिट्स ने एक मॉडल आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स का प्रस्ताव रखा.
1949 डोनाल्ड हेब ने न्यूरॉन्स के बीच कनेक्शन की ताकत को अपडेट किया, जिसे अब हेबियन लर्निंग कहा जाता है.
1950 एलन ट्यूरिंग ने पहली बार कंप्यूटिंग मशीनरी और इंटेलिजेंस द्वारा मशीन की सीखने की क्षमता का परीक्षण किया, जिसे ट्यूरिंग टेस्ट कहा जाता है.
1955 एलेन नेवेल और हर्बर्ट ने लॉजिक थिओरिस्ट नाम से पहला एआई प्रोग्राम बनाया.
1956 पहली बार डार्टमाउथ सम्मेलन में जॉन मैक्कार्थी द्वारा पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नाम अपनाया गया और इस प्रकार एआई एक एकेडमिक क्षेत्र के रूप में गढ़ा गया.
1966 में शोधकर्ताओं ने एल्गोरिथ्म विकसित करने पर बल दिया, जो गणितीय समस्याओं को हल कर सकता है.
1966 में जोसेफ वीजेनबाम ने एलिजा नाम से पहला चैटबॉट बनाया था
1972 जापान में वॉबोट-1 नाम का पहला बुद्धिमान ह्यूमनॉइड रोबोट बनाया गया था.
1997 आईबीएम डीप ब्लू ने विश्व शतरंज चैंपियन गैरी कास्प्रोव को हराया और विश्व स्तरीय चैंपियन को हराने वाला पहला कंप्यूटर बन गया.
2002 पहला एआई वैक्यूम क्लीनर बनाया गया
2006 एआई व्यापार की दुनिया में आया. एप्पल, ब्लैकबेरी, गूगल ने भी एआई का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
2012 में गूगल की शुरुआत गूगल नाऊ एक भविष्यवाणी के रूप में उपयोगकर्ता को जानकारी प्रदान करने में सक्षम हो.
2015-2022 चैट जीपीटी
एआई और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में है बेहतर भविष्य
ऐसा नहीं है कि एआई सिर्फ नौकरी के अवसर कम करेगा, इस क्षेत्र में 40% तक नौकरियां बढ़ने की संभावना है. यदि आप एआई से जुड़ी मशीन लर्निंग में रुचि रखते हैं, तो अभी से खुद को इस क्षेत्र में कुशल बनाना शुरू कर दीजिए. भारत में एआई का बहुत बड़ा बाजार है और यह काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है. एआई उद्योग स्वास्थ्य देखभाल, वित्त, परिवहन और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों को तेजी से बदल रहा है. मशीन लर्निंग, प्राकृतिक भाषा प्रोसेसिंग और कंप्यूटर विजन जैसी एआई टेक्नोलॉजी का उपयोग इंटेलिजेंट सिस्टम विकसित करने के लिए किया जा रहा है, जो डेटा की विशाल मात्रा का विश्लेषण और व्याख्या कर सकती है, नियमित कार्यों को ऑटोमेट कर सकती है और उचित निर्णय ले सकती है. दक्षता, सटीकता और लागत-प्रभावशीलता की आवश्यकता एआई अपनाने को विवश कर रही है. आईएमएआरसी ग्रुप के अनुसार, भारत में वर्ष 2022 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मार्केट 680.1 मिलियन यूएस डॉलर का था. 2023 से 2028 के बीच एआई का मार्केट कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) 33.28% रहने का अनुमान है.
भारत में हो चुकी है एआई वर्चुअल न्यूज एंकरिंग की शुरुआत
भारत की पहली एआई वर्चुअल न्यूज एंकर का नाम सना है. यह न्यूज के प्रसारण में एक क्रांतिकारी कदम है. ह्यूमन इंटेलिजेंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनोखे मिश्रण ने आपके न्यूज का अनुभव बदलने की शुरुआत कर दी है. हाल ही में इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023 के दौरान ग्रुप की पहली बॉट कॉलेबोरेटिव एआई एंकर सना को लॉन्च किया था. उस दौरान कली पुरी ने कहा था कि मैं आपको एक नए भविष्य से रू-ब-रू कराने जा रही हूं. यह हमारी पहली बॉट एआई कॉलेबोरेटिव एंकर है, जो बहुत होनहार, दिलकश, एजलेस, कभी न थकने वाली और कई भाषाएं बोलने वाली एंकर है.
उन्होंने कहा था कि मैंने इस एआई तकनीक से जो एक चीज सीखी है, वह यह कि इंसानों और एआई के बीच कोई प्रतियोगिता नहीं है, कम से कम अभी तक तो नहीं, लेकिन इंसान और एआई का यह गठजोड़ यकीनन एक जादू करेगा. भविष्य सुनहरा है. इस दौरान सना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी. पीएम से मिलकर एंकर सना ने कहा था कि मेरी ऑन दि जॉब लर्निंग शुरू हो गई है. 2024 तक मैं देश की सबसे अच्छी जर्नलिस्ट होने की कोशिश करूंगी. सना ने जल्द ही पीेएम मोदी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू की इच्छा भी जतायी थी.
बच्चों के लिए एआई के इस्तेमाल को लेकर क्या गाइडलाइन है?
यूनिसेफ की रिकमेंडेशन के मुताबिक, सरकारों, पॉलिसी मेकर्स और बिजनेस को एआई इनेबल्ड टूल्स बनाते समय बच्चों से जुड़ी 9 जरूरतों का ध्यान रखना जरूरी है.
– एक एआई सिस्टम जो बच्चों के डेवलपमेंट को सपोर्ट करे.
– एक इन्क्लूसिव सिस्टम तैयार हो.
– बच्चों के बीच भेदभाव को बढ़ावा देने वाला सिस्टम न हो
– बच्चों के डेटा और प्राइवेसी को प्रोटेक्ट करें
– बच्चों की सेफ्टी सुनिश्चित करें
– यह स्पष्ट हो कि एआई बच्चों पर क्या असर डाल रहा है.
– बच्चों को एआई में होने वाले डेवलपमेंट्स के लिए तैयार करना
– एक ऐसा माहौल तैयार करना कि हर कोई बाल केंद्रित एआई डेवलप करने में अपना योगदान दे सके.
इंडिया एआई की वेबसाइट के मुताबिक, जहां तक सेफ्टी, प्राइवेसी और मॉनिटरिंग की बात है, वहां पेरेंट्स को जिम्मेदारी लेनी होगी. उन्हें यह देखना होगा कि बच्चों के डेटा और प्राइवेसी का कितना एक्सेस कब और किसे देना है. साथ ही जरूरी है कि ऐप डेवलपर्स पेरेंट्स को यह स्पष्ट तौर पर बताएं कि डेटा किस चीज के लिए इकट्ठा कर रहे हैं और उसका इस्तेमाल किस चीज के लिए किया जाएगा.
एआई की स्कूलों में एंट्री के बाद शिक्षा का प्रारूप कैसे होगा
आज एआई की एप्लिकेशन्स ने पढ़ने, समझने के साथ ही शिक्षा की पहुंच को दूर-दराज तक पहुंचाने का काम किया है. कंप्यूटर और स्मार्ट फोन और उसमें मौजूद टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा अब और भी आसान हो जाएगी. एआई हमारे क्लास रूम्स को स्मार्ट क्लास रूम्स में बदल देगा.
प्ले-स्कूल और उच्च शिक्षा में एआई
एआई स्कूल में आ जाएं, तो स्कूल प्रशासन का काम बहुत आसान और कम हो जाएगा, शिक्षक ज्यादा समय बच्चों पर लगा पाएंगे. हाल ही में आयी एक स्टडी के अनुसार, साल 2027 तक स्कूलों में एआई का प्रयोग 47.5% तक बढ़ जाएगा. इस बढ़ती तकनीक का असर प्ले-स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा में भी देखने को मिलेगा. इसके जरिए बच्चे या छात्र सीखने वाले ऐप और रोबोट के जरिए शिक्षा को आसानी से अपनाने लगेंगे, जिससे पढ़ाई में सुधार के चांस भी ज्यादा होते हैं.
एआई के जरिए ग्रेडिंग सिस्टम और फाइलिंग करने की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी. इसमें होमवर्क चेकिंग और लिटरेचर पढ़कर बच्चे को अपनी प्रतिक्रिया देने में बहुत समय लग जाता है. ऐसे में एआई की बदौलत कम समय लगेगा और टीचर बच्चों को ज्यादा समय दे पाएंगे.
प्रिंटेड किताबों की जगह होंगे डिजिटल लर्निंग टूल्स
एक सर्वे के मुताबिक, अमेरिका के 75 प्रतिशत टीचर्स मानते हैं कि डिजिटल लर्निंग टूल्स पूरी तरह से जल्द ही प्रिंटेड किताबों की जगह ले लेंगे. एआई की वजह से किताबें डिजिटल रूप ले सकती हैं, जिसमें बच्चे ज्यादा बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकेंगे. एक प्लेटफार्म है नेटेक्स लर्निंग. इसके जरिए लेक्चरर और प्रोफेसर डिजिटल करिकुलम और कंटेंट को अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर डाल सकते हैं, जिसमें वीडियो, ऑडियो और एक ऑनलाइन असिस्टेंट भी मौजूद होता है. एआई की मदद से इसमें वीडियो कांफ्रेंसिंग भी की जाती है.
भविष्य के शिक्षक एआई से लैस रोबोट्स होंगे
हमारा भविष्य तकनीक का है और ऐसे में एआई टीचर्स शिक्षा के तरीके को बिल्कुल बदल सकते हैं. ये ऐसे टीचर्स होंगे, जिन्हें कभी छुट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी और काम पर भी लेट आने का भी कोई सवाल नहीं. यह बिना गलती के असरदार तरीके से कम काम करेगा और किसी भी बच्चे या छात्र को जाति, रंग आदि भेदभाव का सामना भी नहीं करना पड़ेगा. यह किसी भी एक बच्चे के लिए फेवर जैसी चीज नहीं करेगा और हर बच्चे को निजी तौर पर गाइड करने का काम भी करेगा. लेकिन, इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि एआई कभी भी बच्चों में रचनात्मक सोच और उन्हें क्रिएटिव कार्यों के लिए उस तरीके से प्रोत्साहित नहीं कर सकता है, जैसे एक आम अध्यापक. साथ ही, एक आम टीचर ही बच्चों को इंसानी दिमाग और उनके व्यवहार की अच्छी समझ दे सकते हैं, जो शायद ही बच्चे मशीन लर्निंग के जरिए सीख पाएं.
भारत के सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेंकेंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) ने एआई को अपनी शिक्षा प्रणाली में अपनाने का फैसला किया है. उनके मुताबिक, इसके जरिए आज की तेजी से बढ़ती और डिमांडिंग टेक्नोलॉजी से रूबरू होने में बच्चों को शुरुआत से ही मदद मिलेगी. क्योंकि, आज के डिमांडिंग टाइम में बच्चों को हर तरीके से स्मार्ट और एडवांस होना जरूरी है.
एआई के जरिए तैयार हो रहे सटीक पाठ्यक्रम
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को समझते हुए उनके लिए जरूरी और सटीक पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं. कोई छात्र कैसे सीख पा रहा है, इस पर गहन अध्ययन के आधार पर उनके लिए मॉडल बनाकर सिखाने का नया पैटर्न विकसित किया गया है. वास्तव में यह एक क्रांति की तरह है, जिससे हर दिन लाखों छात्र लाभान्वित हो रहे हैं.
एआई के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
भारतीय आईटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी नैसकॉम का मानना है कि एआई लोगों की नौकरी छीनेगा नहीं, बल्कि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगा. नैसकॉम की रणनीतिक रिव्यू रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि टेक के क्षेत्र के अंतर्गत एआई रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर प्रदान करने वाला क्षेत्र है. इसके साथ-साथ भारतीय टेक इंडस्ट्री वित्त वर्ष 2023 के अंत तक 245 बिलियन डॉलर जितना बड़ा हो सकता है, जिसकी वजह से उम्मीद लगाई जा रही है कि एआई का क्षेत्र और बड़ा ही होगा.
रोजगार के अवसर देने वाला फरिश्ता है एआई
मीडिया से बातचीत के दौरान नैसकॉम की प्रेसीडेंट देबजानी घोष ने कहा कि जब भी दुनिया में कुछ नया होता है, तो सबसे पहले लोग उसकी तरफ नेगेटिव तरीके से ही रिएक्ट करते हैं. जब ऑटोमेशन की टेक्नोलॉजी को दुनिया में इंट्रोड्यूस किया गया था, तो बहुत से लोगों का मानना था कि यह टेक्नोलॉजी उनसे उनकी नौकरियां छीन लेगी और टेक के क्षेत्र में नौकरी मिल सके, इसके लिए लोगों को खुद की क्षमताओं को बढ़ाना होगा.
हर चीज के लिए जरूरी है टेक्नोलॉजी
टेक महिन्द्रा के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर सीपी गुरनानी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं जेनरेटिव एआई को लेकर बहुत खुश हूं. यह कभी नौकरियां छीन नहीं सकता बल्कि हमेशा रोजगार के नए अवसर ही प्रदान करेगा. टेक्नोलॉजी हर चीज के लिए बहुत जरूरी है और वह सभी चीजों के दिल की तरह है.
एआई नहीं ले सकता इंसानों की जगह
टीसीएस में एंटरप्राइज ग्रोथ ग्रुप के प्रेसीडेंट कृष्णन रामानुजम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह सोचना कि एआई और ऑटोमेशन से लोगों की नौकरियां चली जाएंगी, अब पुरानी बात हो चुकी है. मैंने खुद चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया है और मुझे नहीं लगता कि यह लोगों से उनकी नौकरियां छीन सकता है. यह बेहतर सुविधाएं और प्रक्रिया को ज्यादा आरामदायक बना सकता है, लेकिन कभी भी इंसानों की जगह नहीं ले सकता.
भावनाओं का अभाव सबसे बड़ी कमी
मशीन आखिर मशीन ही रहेगी, उसमें इमोशन्स या भावनाएं डालने की अब तक किसी भी प्रक्रिया का पता नहीं चल सका है. इंसानी भावनाएं सीधे इंसान की चेतना से जुड़ी होती हैं. चेतना विज्ञान, वह विज्ञान है, जहां इंसानी सोच समाप्त होती है, वहां से चेतना विज्ञान की शुरुआत होती है. अब तक ऐसा कोई उदाहरण या प्रयोग सामने नहीं आया है, जिसमें किसी भी मशीन में भावनाएं होने की बात सामने आई हो. एआई के मामले में अभी विज्ञान सिर्फ अपने आस-पास उपलब्ध चीजों की कुछ हद तक नकल करने मे समर्थ हो पाए हैं. एआई मशीन इमोशन होने का दिखावा कर सकता है, लेकिन उसमें इमोशन नहीं डाला जा सकता, यही बात इंसान और एआई मशीन को अलग करती है. यही एआई की सबसे बड़ी खामी है.
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