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Kasmar (Bokaro) : कसमार प्रखंड के मंजूरा गांव में 18 अप्रैल को आदिवासी कुड़मि समाज ने धूमधाम से सरहुल मनाया. गांव के नाया(पुजारी) जानकी महतो गुलिआर ने गांव के जाहेर थान में खीर का भोग चढ़ाकर पूजा अर्चना कर झागड़ हाड़ी से सर पर पानी डालते हुए घर तक आएं. इस दौरान अपने पुरखों के वासस्थल भुतपिढ़ा के समक्ष नाया को बैठा कर गांव की महिलाओं व बच्चियों ने शरीर पर तेल व हल्दी लगा सिर पर पानी डाल आशीर्वाद लिया. नाया ने ग्रामीणों के बीच सखुआ फूल बांटा. मंजूरा गांव में भोक्ता पूजा के बाद सरहुल मनाने की परंपरा चली आ रही है. परब के माध्यम से भूमिगत जलस्तर का अनुमान व होने वाली वर्षा का पूर्वानुमान लगातें हैं. इसके लिए नाया जाहेरथान में कांसा के लोटा में पानी भरकर उसे 5 दिनों तक घर में रखता है. इसके बाद लोटा का जल स्तर से अनुमान लगाया जाता है कि इस साल वर्षा का क्या स्तर रहेगा. मौके पर उमाचरण गुलिआर, हीरालाल केसरिआर, टुपकेश्वर केसरिआर, प्रवीण केसरिआर, सहदेव टिडुआर, पियूष बंसरिआर, जनक केसरिआर, गणेश केसरिआर, कमल जालबानुआर, दुर्गा पुनअरिआर, द्वारिका केसरिआर, कुलेश्वर केसरिआर, लालमोहन गुलिआर, निरंजन केसरिआर, रूपेश हिन्दइआर, अजीत टिडुआर, सुरेश हिन्दइआर, जंगबहादुर केसरिआर आदि मौजूद थे.
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