Jamshedpur ( Sunil Pandey) : आदिवासी भूमिज समाज में शादी-ब्याह की रस्म दूसरे समाज से भिन्न होती है. समाज की शादी में मंडप की बेदी गोलाकार की बजाय त्रिकोण होती है. वहीं पंडित की बजाय समाज के लाया शादी की रस्म निभाते हैं. मंगलवार को छोटाबांकी ग्राम में आदिवासी भूमिज समाज, एमजीएम संगठन के सक्रिय सदस्य हरमोहन सिंह की भतीजी की शादी इसी रीति रिवाज के अनुसार लाया सोनाराम भूमिज वर अजय सरदार व वधू गंगा सिंह की शादी करायी गई. लाया सोनाराम भूमिज ने बताया कि आदिवासी भुमिज समाज में बिना ब्राम्हणों के शादी रस्में पूरी होती है.
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त्रिकोण होती है मड़वा की वेदी
सोनाराम भूमिज ने बताया कि शादी में त्रिकोण बेदी तीन दिशाओं को रेखांकित करती है. जिसमे पूर्व दिशा के कोण में शाल, दक्षिण दिशा के कोण में सिदा और उत्तर दिशा के कोण में महुवा का डाल लगाया जाता है. जिसकी मान्यता क्रमश: इष्ट देवता, बाबा और मां के रूप में होती है मौके पर संगठन के अध्यक्ष जगदीश सिंह, सचिव घसीराम सिंह, कोषाध्यक्ष रजनीकांत सिंह, सक्रिय सदस्य सतीश सिंह, हरमोहन सिंह , कृष्ण सिंह, हरिपदो सिंह, दीनबंधु भूमिज, धनंजय सिंह आदि उपस्थित थे.
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