NewDelhi : हेट स्पीच को गंभीर अपराध मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल कार्र्वाई करने का निर्देश दिया. SC ने अपने आदेश में कहा कि जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण दे तो सरकारें बिना किसी शिकायत के FIR दर्ज करे. कहा कि हेट स्पीच से जुड़े मामलों में केस दर्ज करने में देर होने पर इसे अदालत की अवमानना करार दिया जायेगा. जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई के क्रम में कहा कि हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गये हैं? यह दुखद है. इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 12 मई की तारीख तय की गयी है.
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Supreme Court directs all the States and Union Territories to ensure that as and when any hate speech is made, they shall take suo moto action for registration of FIR even without any complaints.
Supreme Court makes it clear that such action shall be taken irrespective of the… pic.twitter.com/yFOlG6QQnq
— ANI (@ANI) April 28, 2023
बयान देने वाले के धर्म की परवाह राज्यों को नहीं करनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई करते हुए बयान देने वाले के धर्म की परवाह राज्यों को नहीं करनी चाहिए. कहा कि इसी तरह धर्मनिरपेक्ष देश की अवधारणा को जिंदा रखा जा सकता है. जान लें कि कोर्ट ने अपने 2022 के आदेश का दायरा बढ़ाते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश दिये हैं. यह भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले सिर्फ यूपी, दिल्ली और उत्तराखंड सरकार को यह आदेश दिया था.
यह देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित करने वाला है
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि हेट स्पीच एक गंभीर अपराध है और यह देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित करने वाला है. यह बात साफ की कि न्यायाधीश गैर-राजनीतिक व्यक्ति है. उन्हें पार्टी ए या पार्टी बी से कोई सरोकार नहीं है. उनके दिमाग में केवल भारत का संविधान है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट देश के विभिन्न हिस्सों से दाखिल हेट स्पीच से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
हर रोज टीवी, सार्वजनिक मंचों पर नफरत फैलाने वाले बयान दिये जा रहे हैं
खबरों के अनुसार पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला ने 2022 में कोर्ट में याचिका दाखिल कर नफरत फैलाने वाले बयान देने वालों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी. याचिका पर सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने 21 अक्टूबर 2022 को दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को ऐसे मामलों(हेट स्पीच) में बिना शिकायत के केस दर्ज करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने आज अपने आदेश का दायरा बढ़ा दिया है. मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि हर रोज टीवी और सार्वजनिक मंचों पर नफरत फैलाने वाले बयान दिये जा रहे हैं. क्या ऐसे लोग खुद को कंट्रोल नहीं कर सकते? कहा था कि जिस दिन राजनीति और धर्म अलग हो जायेंगे. नेता राजनीति में धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे. उसी दिन नफरत फैलाने वाले भाषण दिये जाने भी बंद हो जायेंगे.