Ranchi: सरकार की तरफ से सभी विभागों को ये निर्देश है कि हर निर्माण के खर्च का ब्योरा वो निर्माण के आस-पास लिख कर बोर्ड पर लगाएं. ताकि जनता यह जान सके कि सरकार की तरफ से किसी भी योजना पर कितना खर्च किया गया है. इससे उस निर्माण की गुणवत्ता का भी पता चलता है. लेकिन सरायकेल-खरसांवा में यह नियम कोई मायने नहीं रखता. इस बात को पुख्ता एक आरटीआई दस्तावेज कर रहा है.
क्या है मामला
जिले के ग्रामीण विकास विभाग विशेष प्रमंडल की तरफ से सिंधुकोपा-सामरम पुलिया का निर्माण कराया गया. लेकिन विभाग के कार्यपालक अभियंता यह नहीं बताना चाहते कि इस पुलिस के निर्माण में विभाग ने कितना खर्च किया है. उन्होंने आरटीआई के माध्यम से पूछे जाने पर साफ तौर से मना कर दिया. इसके बाद से ही इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ग्रामीण विकास विभाग विशेष प्रमंडल ने इस पुलिया के पीछे कितना खर्च कर दिया है कि सरकारी आदेश के बावजूद कार्यपालक अभियंता खर्च ब्योरा देना नहीं चाह रहे हैं.
आरटीआई के माध्यम से मांगा गया था एस्टीमेट
जिले के आंवलाटांड निवासी प्रफुल्ल महतो ने उनके पंचायत में बन रही सिंधुकोपा-सामरम पुलिया का खर्च का हिसाब जानना चाहा. उन्होंने आरटीआई के माध्यम से विभाग से पुलिया का इस्टीमेट मांगा. जवाब में कार्यपालक अभियंता ने कहा कि पुलिस का एस्टीमेट एक गोपणीय दस्तावेज है. इसे साझा नहीं किया जा सकता है.
वहीं पुलिया निर्माण में भुगतान किए गए मजदूरी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मजदूरी काम में इस्तेमाल किए गए आइटम में शामिल रहता है. तीसरे सवाल में पूछा गया कि जिस मशीन का इस्तेमाल किया गया है उसका विवरण दिया जाए. इसके जवाब में कार्यपालक अभियंता ने लिखा कि यह बताने का दिशा निर्देश उन्हें दिया गया है.