Ranchi: कोरोना के गंभीर संक्रमित मरीजों को प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है. प्लाज्मा की डिमांड को देखते हुए रिम्स की तरफ से पिछले 24 दिनों में 30 कैंप लगाये गये हैं. इन कैंपों में कुल 581 लोगों ने अपना एंटीबाडी टाइटर जांच कराया है. इनमें से 115 लोगों का प्लाज्मा लिया गया है. यानी कि करीब 20 प्रतिशत लोगों का प्लाज्मा लिया है. इन कैंपों के अलावा रिम्स ब्लड बैंक में प्रतिदिन करीब 20 लोगों के एंटीबॉडी टाइटर की जांच की जा रही है. जिनमें से औसतन दो या तीन लोग प्लाज्मा डोनेशन के लिये फिट पाये जा रहे हैं. रिम्स ब्लड बैंक के अनुसार प्रतिदिन 30 से अधिक प्लाज्मा की डिमांड की जा रही है. अधिकतर को उपलब्ध करा दिया जा रहा, हालांकि कुछ रेयर ब्लड ग्रुप हैं उन लोगों को परेशानी हो रही है.
प्लाज्मा डोनेट करना हो तो रिम्स में ही करायें टाइटर
अगर किसी व्यक्ति को प्लाज्मा डोनेट करना हो तो उन्हें रिम्स में ही एंटीबॉडी टाइटर जांच करानी चाहिए. कई लोग प्राइवेट लैब से जांच करा कर आ रहे हैं उन्हें रिम्स में दोबारा जांच कराना पड़ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस स्केल से प्राइवेट लैब जांच रहे हैं रिम्स को उसके एलिजिबिलिटी का पता नहीं है. रिम्स में टाइटर लेने का मानक अलग है, प्राइवेट लैब अलग मानक से रिपोर्ट दे रहे हैं. ऐसे में प्राइवेट लैब से जांच कराने वाले लोगों का पैसा बर्बाद हो रहा है.
मध्यम लक्षण वाले मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी कारगर
विशेषज्ञों की मानें तो प्लाज्मा गंभीर स्थिति में कारगर नहीं हो रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार प्लाज्मा वैसे मरीजों के लिए लाभकारी है जिनमें संक्रमण के मध्यम लक्षण हैं. प्लाज्मा के उपयोग से मध्यम लक्षण के मरीजों को गंभीर स्तिथि में जाने नहीं देता. उन्होंने बताया कि जल्द ही आईसीएमआर प्लाज्मा के उपयोग को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर सकता है.