Giridih : झारखंड गठन के बाद से अब तक लोजपा यहां न लोकसभा और ना ही विधानसभा चुनाव जीत सकी है लेकिन अपनी जमीन जरुर तलाश रही है. उल्लेखनीय है कि पार्टी सुप्रीमो रामविलास पासवान की मौत के बाद लोजपा और कमजोर हुई है. दूसरी ओर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार राज के लोकसभा चुनाव में सीट की दावेदारी कर सहयोगी दल को हैरत में डाल दिया है. मालूम हो कि राम विलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो फाड़ हो गई है. इससे पार्टी संगठन कमजोर हुआ. पार्टी के एक गुट पर रामविलास के भाई पशुपति पारस का कब्जा है, जबकि दूसरे गुट पर रामविलास के बेटे चिराग पासवान का कब्जा है. प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार राज केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के सिपहसालार बन गए हैं.
लोकसभा की एक सीट पर लोजपा करेगी दावा
मालूम हो कि गिरिडीह में पहली बार रालोसपा का 30 जून को बड़ा कार्यक्रम होने वाला है. इसमें पार्टी सुप्रीमो सहित राज्यभर के जिला अध्यक्ष पहुंचेंगे. प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार राज के गृह नगर में हो रहे इस कार्यसमिति की बैठक को अहम बताया जा रहा है. कार्यसमिति की प्रस्ताविक बैठक में लोकसभा व विधानसभा चुनाव पर मंथन होना है. माना जा रहा है कि इस बार लोजपा झारखंड की एक लोकसभा सीट पर पार्टी अपनी दावेदारी करेगी.
अब तक पहली जीत की है तलाश
लोजपा को झारखंड में पहली जीत की तलाश विगत दो दशक से है. विगत विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एनडीए गठबंधन से 6 सीटों की मांग की थी लेकिन नहीं मिलने पर गठबंधन से अलग होकर 50 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतार दिया, पर एक सीट भी नहीं जीत पायी. विदित हो कि वर्ष 2005 में लोजपा 38 और 2009 में 10 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. वर्ष 2014 में एनडीए गठबंधन के तहत लोजपा को शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट दिया गया था लेकिन वह तीसरे नंबर पर लटक गई थी. ऐसे में पहली जीत की जमीन तलाश रही लोजपा इस बार क्या गुल खिलाएगी और भाजपा इसे कितनी तरजीह देगी यह समय के गर्त में है.
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