Jamshedpur (Sunil Pandey) : स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की ओर से विधायक सरयू राय के विरुद्ध दायर मानहानि का मुकदमा बुधवार को कोर्ट ने खारिज कर दिया. उक्त मुकदमा चाईबासा की एमपी-एमएलए कोर्ट में बीते 10 मई को दायर किया गया था. मंत्री की ओर से दायर मुकदमें में दिए गए सबूत एवं तथ्यों को परीक्षण के दौरान कोर्ट ने नन मेंटनेबुल (सुनवाई योग्य नहीं) करार दिया तथा मुकदमें को खारिज कर दिया. मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा विधायक सरयू राय के विरुद्ध आरोप लगाया गया था की विधायक सरयू राय द्वारा राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण उनके द्वारा उनके सोशल मीडिया (ट्विटर एवं फेसबुक) हैंडल एवं स्थानीय समाचार पत्रों में गलत जानकारी एवं असत्य तथ्य प्रसारित किया गया है. मंत्री पर प्रतिबंधित हथियार रखने तथा उसका उपयोग किए जाने की बात याचिका में कही गई थी. इससे पहले इस मामले में मंत्री बन्ना गुप्ता के अधिवक्ता प्रकाश झा ने मंत्री की ओर से 3 मई को लीगल नोटिस भेजकर तीन दिनों में विधायक से जवाब मांगा गया. जवाब नहीं देने पर 10 करोड़ की मानहानि का मुकदमा दायक करने की बात कही गई. हालांकि मंत्री की ओर से इस मामले में मानहानि (सिविल) की बजाय क्रिमिनल केस दायर किया गया.
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जेएम ऋषि कुमार की अदालत में हुई सुनवाई
जनप्रतिनिधियों के लिए बने विशेष न्यायालय के न्यायिक दंडाधिकारी ऋषि कुमार की अदालत में शिकायतवाद दायर किया गया था. न्यायालय द्वारा शिकायतकर्ता के एस.ए एवं कोर्ट में जमा किये गए दस्तावेज का परीक्षण किया गया. जिस पर कोर्ट ने शिकायकर्ता बन्ना गुप्ता की शिकायतवाद को “नन मेंटनेबुल” करार दिया गया साथ ही कोर्ट में शिकायतकर्ता बन्ना गुप्ता द्वारा उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों से अदालत ने यह नहीं पाया कि आरोपी बनाए गए विधायक सरयू राय के खिलाफ सुनवाई के लिए पर्याप्त साक्ष्य एवं सामग्री उपलब्ध है. अत: कोर्ट ने विधायक सरयू राय के विरुद्ध दायर शिकायतवाद (सं. 182/2023) को ख़ारिज कर दिया. विधायक सरयू राय की और कोर्ट में अधिवक्ता अनिंदा मिश्रा, सौरव सिन्हा, प्रतीक शर्मा एवं महादेव शर्मा पक्ष रखा.
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सिविल की बजाय क्रिमिनल केस दायर किया
मंत्री बन्ना गुप्ता के अधिवक्ता की ओर से 3 मई 2023 को भेजे गए लीगल नोटिस में विधायक सरयू राय पर मंत्री बन्ना गुप्ता की सार्वजनिक छवि खराब करने का आरोप लगाया गया था. साथ ही 10 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा करने की बात कही गई थी. हालांकि नोटिस मिलने के बाद विधायक ने नोटिस की जगह कूड़ेदान बताते हुए जवाब देने की बजाय मामला कोर्ट में ले जाने की चुनौती दी. 10 करोड़ की मानहानि (सिविल) का केस करने की बजाय अधिवक्ता की ओर से शोसल मीडिया पर बदनामी का हवाला देते हुए क्रिमिनल केस दायर किया.
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