Patna: 3 जुलाई यानि की आज जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. नीतीश सरकार को कोर्ट के फैसले का इंतजार है. बता दें कि पटना उच्च न्यायालय ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के मामले में पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन मामले में राज्य सरकार को SC से राहत नहीं मिली थी. कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि- पहले हाईकोर्ट का फैसला आने दें. जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि पहले 3 जुलाई को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई होने दीजिए, राहत नहीं मिलने पर आप यहां आ सकते हैं.
सात जनवरी से चल रही थी जातीय जनगणना
बिहार में जातिय जनगणना सात जनवरी से चल रहा था. अधिकारी डोर टू डोर जाकर लोगों से उनकी जाति की समीक्षा कर रहे थे. पहले चरण की गणना जनवरी तक चली थी.वहीं दूसरे चरण की गणना एक अप्रैल 2023 से शुरू हुआ था. लेकिन इसी बीच इस पर रोक लग गई थी.
जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी में हमेशा से रहे हैं एक मत
वहीं जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में हमेशा से एक मत रहे हैं. जब बिहार में एनडीए की सरकार थी, तब भी मुख्यमंत्री ने उस वक्त नेता प्रतिपक्ष रहे तेजस्वी के साथ दिल्ली जाकर पीएम से मुलाकात की थी. हालांकि गणना कराने को लेकर केंद्र कभी भी राजी नहीं हुआ. राज्य सरकार इसे अपने बलबूते करवा रही थी.
बिहार में क्यों की जा रही जातीय जनगणना
दरअसल बिहार में ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहे थे. उनका कहना है कि जातीय जनगणना होने से दलितों और पिछड़ों की संख्या का पता चलेगा. जिससे सरकार उनके लिये कई तरह की योजनाएं बनायेगी.
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