- झारखंड सरकार की ‘निःशुल्क कफन’ योजना पर भड़की भाजपा
- जनता को मुफ्त दवा, राशन और वैक्सीन की जगह कफन बांटने की योजना अफसोसजनक : कुणाल षाड़ंगी
Ranchi: सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में संपन्न कैबिनेट मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक में पारित प्रस्तावों पर भारतीय जनता पार्टी ने विरोध जताया है. भाजपा ने सरकार की “निःशुल्क कफन” योजना पर गहरा ऐतराज जताते हुए इसे शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. भाजपा में इस निर्णय को अपरिपक्वता की पराकाष्ठा बताते हुए इसकी तुलना “अंधेर नगरी चौपट राजा” से कर दिया.
न दवा, न दुआ जनता को बस कफन के काबिल समझा
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला है. कुणाल षाड़ंगी ने इस विषय पर शायराना अंदाज़ में हेमंत सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि “हुज़ूर ने ना दवा और न दुआओं के काबिल समझा, बेचारी जनता को बस कफ़न के काबिल समझा”. इस शायरी के बाद वर्चुअल बयान जारी करते हुए कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा, जब किसी सरकार की प्राथमिकता जन स्वास्थ्य ना होकर के मृत्यु और कफ़न तक सीमित रह गई है.
स्वास्थ्य मंत्री ताबड़तोड़ बंद करवा रहे अस्पताल
राज्य में व्याप्त कोरोना की दूसरी लहर और संभावित तीसरी लहर को लेकर सरकार के पास कार्ययोजनाओं का अभाव स्पष्ट झलक रहा है, किंतु सरकार के जिम्मेदार मंत्री वर्तमान परिस्थिति को राजनीतिक अखाड़ा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. भाजपा ने कैबिनेट के निर्णय का विरोध जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ताबड़तोड़ अस्पतालों को बंद करवा रहे हैं, प्रबंधकों पर दमनकारी कार्रवाई की जा रही है. ऐसे में सरकार की प्राथमिकता जन स्वास्थ्य ना होकर महज़ केंद्र सरकार के विरोध तक सीमित रह गई है.
जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही सरकार
कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची की दूसरी सूची के अनुसार जन स्वास्थ्य और सफाई, अस्पताल और औषधालय राज्यों के अधिकार में आते हैं. इनपर कार्य योजनाओं के साथ सुधार करने की जगह हेमंत सरकार लगातार जनता की भावनाओं और सेहत से खिलवाड़ कर रही है.
जनता को गुमराह कर रहे हैं स्वास्थ्य मंत्री
बीजेपी ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को भी आड़े हाथों लेते हुए कोरोना संक्रमण काल में जनता को गुमराह कर के टीकाकरण से वंचित करने का आरोप लगाया. भाजपा प्रवक्ता ने स्वास्थ्य मंत्री से टीकाकरण और वेंटिलेटर के आंकड़े को सार्वजनिक करने की मांग की है, ताकि आमजनों को यह जानकारी हो सके कि मोदी सरकार द्वारा भेजी गयी वैक्सीन और अस्पतालों के लिए वेन्टीलेटरों का कितना सार्थक उपयोग हुआ.