विश्व शांति के लिए प्रार्थना से शुरू हुई तीसरे दिन की श्रीमद्भागवत कथा
Rajganj : भागवत समिति राजगंज के तत्वावधान में आठ दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई. पूज्य सुरेंद्र हरिदास महाराज जी ने भक्तों को ‘जय जय राधा रमण हरि बोल ‘ भजन श्रवण कराया. उन्होंने कहा कि मनुष्य को अहंकार से दूर रहना चाहिए और भगवान के प्रति दीन बन कर रहना चाहिए. श्रावण मास में जो भी मनुष्य हरि की कथा सुनता है उसके जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं. महाराज ने कहा कि राजा परिक्षित को श्राप लगा कि सातवें दिन तुम्हारी मृत्यु सर्प के डसने से हो जाएगी. जिस व्यक्ति को पता चल जाए कि उसकी मृत्यु सातवें दिन हो जाएगी तो वह क्या करेगा, क्या सोचेगा.
राजा परीक्षित ने उसी क्षण अपना महल छोड़ दिया. अपना सर्वस्व त्याग कर मुक्ति का मार्ग खोजने निकल पड़े गंगा के तट पर. गंगा के तट पर पहुंचकर जितने भी संत महात्मा थे, सब से पूछा कि जिस की मृत्यु सातवें दिन है, उस जीव को क्या करना चाहिए. किसी ने कहा गंगा स्नान करो, किसी ने कहा गंगा के तट पर आ गए हो इससे अच्छा क्या होगा, हर कोई अलग अलग उपाय बता रहा था.
तभी वहां भगवान शुकदेव जी महाराज पधारे, जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे तो उनको राजा ने साष्टांग प्रणाम किया. शुकदेव जी से राजा ने प्रश्न किया कि जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो, उसे क्या करना चाहिए. किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए.
अब शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुए परीक्षित से कहा कि जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है, उसको श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए. उसका कल्याण निश्चित है. श्रीमद भागवत में 18000 श्लोक, 12 स्कन्द और 335 अध्याय हैं, जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा, वह अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है. राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रार्थना की आप ही मुझे श्रीमद भागवत का ज्ञान प्रदान करे और मेरे कल्याण का मार्ग प्रशस्त करे. कथा को सफल बनाने में भागवत समिति राजगंज एवं समाज के सभी लोगों का सहयोग सराहनीय रहा.