Ranchi : विपक्षी दलों के नेता अक्सर यह सवाल उठाते रहे हैं कि बाबूलाल मरांडी कुतुबमीनार से कब कूदेंगे. आखिरकार आज बुधवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसका जवाब दे ही दिया. प्रदेश भाजपा मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम तो कुतुबमीनार से कूद ही चुके थे, लेकिन भाजपा ने बचा लिया. गौरतलब है कि जब बाबूलाल मरांडी झाविमो के अध्यक्ष थे, तब अक्सर मीडिया यह सवाल उठाती थी कि क्या वे वापस भाजपा में शामिल होंगे. इसपर बाबूलाल हमेशा कहते थे कि भाजपा में जाने के बजाये वे कुतुबमीनार से कूदना पसंद करेंगे. 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद वे भाजपा में शामिल हो गये. तब से विपक्षी दल के नेता यह सवाल उठाते हैं कि बाबूलाल कुतुबमीनार से कब कूदेंगे. (पढ़ें, हजारीबाग : सरस्वती विद्या मंदिर में हर्षोल्लास से मना स्वतंत्रता दिवस)
सीएम कर रहे फ्रॉडिज्म तो जनता का क्या होगा
बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोरेन परिवार पर कई आरोप लगाये. उन्होंने कहा कि सोरेन परिवार ने राज्य में नाम बदल-बदल कर काफी मात्रा में गरीब आदिवासियों की जमीन लूटी है. सोरेन परिवार ने 2002 में रांची में एक जमीन खरीदी. इसमें शिबू सोरेन को शिव सोरेन, हेमंत सोरेन को हेमंत कुमार सोरेन, दुर्गा सोरेन को दुर्गा प्रसाद सोरेन और बसंत सोरेन को बसंत कुमार सोरेन बताया गया है. बाबूलाल ने कहा कि जब राज्य का सीएम ही फ्रॉडिज्म कर रहा तो जनता का क्या होगा. ऐसे व्यक्ति के सीएम रहते राज्य से अपराध और लूट कैसे खत्म होगा. इसीलिए भाजपा को इस भ्रष्टाचारी और लुटेरी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेना पड़ा है. 17 अगस्त से 10 अक्टूबर तक राज्य के 81 विधानसभा क्षेत्रों में संकल्प यात्रा निकालेंगे और जनता के सामने इस सरकार की असलियत लायेंगे.
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अफसर बेलगाम, थानों-अंचलों में रिश्वत के बिना काम नहीं होता
बाबूलाल ने कहा कि इस राज्य में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है. राज्य प्रायोजित भ्रष्टाचार है. अफसर बेलगाम है. थाना-अंचलों में बिना रिश्वत कोई काम नहीं होता है. हेमंत सरकार सिर्फ आदिवासियों के नाम पर राजनीति कर रही है. आदिवासी मुख्यमंत्री के राज्य में सिर्फ आदिवासी ही लूटे जा रहे हैं. कहा कि ईडी की जांच होती है तो सीएम कहते हैं कि आदिवासी हैं, इसलिए तंग किया जा रहा है. वे खुद को आदिवासियों का मसीहा कहते हैं. अगर कुछ गलत नहीं किया है तो ईडी को जाकर सबकुछ सच क्यों नहीं बतातें.
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