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परती पड़े हैं 57 फीसदी खेत, सिर्फ 6 लाख 79 हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपनी
Ranchi : झारखंड में इस मॉनसून सीजन में अभी तक सामान्य से 38 फीसदी कम बारिश हुई हैं. बारिश की कमी की वजह से कृषि कार्य सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य के 24 में से सिर्फ तीन जिलों साहिबगंज, गोड्डा और सिमडेगा में अभी तक सामान्य बारिश हुई है. जबकि बाकी के 21 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. इससे राज्य में खेती प्रभावित हुई है. वहीं चतरा में लगभग सुखाड़ वाली स्थिति है. मालूम हो कि इस साल राज्य में मॉनसून का प्रवेश भी देर से हुआ है. इस बीच कृषि निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सुखाड़ प्रभावित घोषित किया गया था. हालांकि इस साल पिछले वर्ष की तुलना में स्थिति थोड़ी ठीक है.
राज्य में अब तक सिर्फ 413.4 मिमी वर्षा
मौसम विभाग की ओर से 17 अगस्त को जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 1 जून से 17 अगस्त तक राज्य के 24 में से 21 जिलों में अभी तक वर्षा सामान्य से कम हुई है. चतरा में स्थिति बेहद खराब है. वहां सामान्य से 60 फीसदी कम वर्षा हुई है. अन्य 20 जिलों में भी बारिश की स्थिति अभी तक ठीक नही है. अब तक पूरे राज्य में 668.6 मिमी वर्षा होनी चाहिए थी. लेकिन अबतक सिर्फ 413.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई है. ऐसे में सामान्य से 38 फीसदी कम वर्षापात दर्ज की गयी है. खेतों में धान की रोपनी लायक पानी जमा नहीं होने की वजह से धान की बुआई भी काफी कम हुई है.
38 फीसदी खेत में ही धान की बुआई : डॉ रमेश कुमार
बीएयू के प्रोफेसर डॉ रमेश कुमार ने बताया कि राज्य में 17 अगस्त तक 6.79 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (38%) में धान की बुआई हो सकी है. वहीं करीब 12.9 लाख हेक्टेयर खेत में अन्य खरीफ फसलों जैसे दलहन, मक्का, तिलहन और मोटे अनाज का आच्छादन हुआ है, जो लक्ष्य का सिर्फ 43 फीसदी है.
अभी तक 57 फीसदी खेत परती पड़े हैं
डॉ रमेश कुमार ने बताया कि राज्य में इस साल कुल 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ फसल की खेती का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें अकेले 18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान फसल लगाने का लक्ष्य था. इस वर्ष पहले देर से मॉनसून आया. फिर शुरुआती दिनों में राज्य भर में सामान्य से काफी कम वर्षापात का नकारात्मक असर खेती-बाड़ी पर पड़ा है. राज्य में कम वर्षा की वजह से खरीफ फसलों का आच्छादन सिर्फ 43 फीसदी ही हो सका है. यानी अभी तक 57 फीसदी खेत परती पड़े हैं.
लक्ष्य से कम मक्का, दलहन, तिलहन व मोटे अनाज की खेती
उन्होंने बताया की धान बुआई की स्थिति तो और खराब है. राज्य में 17 अगस्त तक लक्षित 18 लाख हेक्टेयर में से सिर्फ 6 लाख 79 हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो सकी है. इसी तरह राज्य में तीन लाख 12 हजार 560 हेक्टेयर में मक्का की खेती का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 17 अगस्त तक 2 लाख 15 हजार 267 हेक्टेयर में ही मक्का की फसल लगाई जा सकी है. डॉ रमेश कुमार ने बताया कि दलहन की बात करें तो राज्य में इस वर्ष 6 लाख 12 हजार 900 हेक्टेयर में दाल लगाने के लक्ष्य की तुलना में 2 लाख 69 हजार हेक्टेयर में ही दलहन की फसल लगाई जा सकी है. इसी तरह 60 हजार हेक्टेयर की तुलना में सिर्फ 24 हजार 228 हेक्टेयर में तिलहन फसलों को लगाया जा सका है. वहीं मोटे और अन्य अनाजों के लिए इस वर्ष 42 हजार हेक्टेयर लक्ष्य निर्धारित था, जिसकी तुलना में 22 हजार हेक्टेयर (53.8%) में आच्छादन हुआ है.
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