Ghatshila (Rajesh Chowbey) : घाटशिला महाविद्यालय में प्रसिद्ध दार्शनिक, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी एवं विद्वान ईश्वर चंद्र विद्यासागर की 204वीं जयंती मंगलवार को मनाई गई. इतिहास एवं भौतिक विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ आरके चौधरी ने विद्यासागर के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर किया. इस मौके पर प्राचार्य ने कहा कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर महान समाज सुधारक एवं परोपकारी व्यक्तित्व के थे. उनका जन्म 26 सितंबर 1820 को बंगाल के मिदनापुर जिले के वीर सिंघा गांव में हुआ था. उनके बचपन का नाम ईश्वर चंद्र बंधोपाध्याय था. ”विद्यासागर” की उपाधि उन्हें संस्कृत शिक्षा में मिली थी. जिसका अर्थ है ”ज्ञान का सागर”. वे बंगाल के पुनर्जागरण के स्तंभों में से एक थे. नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कई स्थानों पर बालिका विद्यालय की स्थापना की थी.
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1856 में हुआ था विधवा पुनर्विवाह कानून पारित
हिंदू समाज में विधवाओं की दयनीय स्थिति देख उन्होंने विधवा पुनर्विवाह के लिए जनमत तैयार करवाया. उनके प्रयास से ही वर्ष 1856 में विधवा पुनर्विवाह कानून पारित हुआ. इतना ही नहीं उन्होंने अपने इकलौते पुत्र का विवाह एक विधवा से करवा कर तत्कालीन समाज के बीच एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में भौतिक विज्ञान विभाग के शिक्षक डॉ कन्हाई बारिक एवं इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ कुमार विशाल ने भी उनके जीवनी पर प्रकाश डाला. फिजिक्स ऑनर्स की छात्रा निवेदिता शील में स्वागत गीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ कंचन सिंहा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन शंकर महाली ने किया. इस मौके पर डॉ एसके सिंह, डॉ दिलचंद राम, प्रो मोहम्मद सज्जाद, प्रो राम विनय कुमार श्याम के अलावे काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे.
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