- भाजपा नेताओं को संकुचित मानसिकता से बाहर आना चाहिए
- मैंने किसी का नाम नहीं लिया था, मगर आदित्य साहू को तकलीफ होना ही प्रमाण
Ranchi : प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि भाजपा और इसके नेता संकुचित मानसिकता से ग्रसित हैं. इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि राज्य गठन के बाद पिछले 23 साल के दौरान झारखंड और यहां के लोगों की ऐसी स्थिति क्यों बनी है और इसके लिए जिम्मेवार कौन है. यदि भाजपा और इसके नेताओं के मन में झारखंड के हित में थोड़ी-सी भी सकारात्मक भावना बची हो, तो उन्हें संकुचित मानसिकता के दायरे से बाहर निकलना चाहिए. सिर्फ सत्ता के दृष्टिकोण से झारखंडियों को देखने से बाज आना चाहिए. यहां के भाजपा नेताओं की बेचैनी बहुत ज्यादा बढ़ गयी, जबकि उन्होंने किसी का भी नाम नहीं लिया था. मैंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वैसे लोग प्रत्येक राजनीतिक दल में हैं. भाजपा नेता और राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू द्वारा इस संबंध में कही गयी बातें इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भाजपा में वैसे नेताओं की संख्या कहीं ज्यादा है, जिनकी जमीन मामलों में संलिप्तता है. जमीन के अवैध कारोबार में संलिप्त हैं. यह बातें तिर्की ने कांग्रेस भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही.
जमीन मामले में ऐसे लोग लिप्त हैं जिन्हें झारखंड से कोई लेना-देना नहीं रहा
उन्होंने कहा कि झारखंड में जल, जंगल और जमीन की लूट मची है. उस पर भी जमीन के मामले में अनेक वैसे स्वार्थी तत्व संलिप्त हैं, जिन्हें झारखंड से कोई लेना-देना नहीं है. वैसे लोग केवल जमीन और कमाई के दृष्टिकोण से ही झारखंड को देखते हैं. भले ही इससे झारखंड की कितनी भी दुर्गति हो. वैसे तत्वों के कारण ही आज झारखंड में स्थिति ऐसी है, जहां आम लोगों के हित और कल्याण से ज्यादा गलत तरीके से अवांछित तत्वों द्वारा जमीन की बिक्री और जंगल की कटाई जैसे धंधे चमक रहे हैं.
राज्यहित में आमने-सामने चर्चा करे भाजपा
तिर्की ने कहा कि राजनीतिक दृष्टिकोण से हटकर राज्य हित में भ्रष्टाचार और घोटाले को लेकर बीजेपी आमने-सामने चर्चा करे. राजनीति में रहने का यह मतलब नहीं है कि प्रत्येक मुद्दे को राजनीति के चश्मे से ही देखा जाए. मेरा मानना है कि चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो या उसका नेता-कार्यकर्ता, उसका उद्देश्य जनहित में आम लोगों की भलाई और कल्याण के लिये काम करना है. इसके लिये सत्ता एक माध्यम बनकर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष की भी अपनी बहुत बड़ी भूमिका है, लेकिन सत्ता के लिये वैसी छटपटाहट नहीं होनी चाहिये जैसी अभी झारखंड भाजपा के नेताओं में है. यहां कंबल ओढ़ कर घी-तेल पीने की बात नहीं है. भाजपा नेताओं को भी अपने गिरेबान में झांक कर अपनी कमियों को देखना चाहिए.
यह जमीन लूट एक-दो साल की कहानी नहीं
तिर्की ने कहा कि यह राज्य 2000 में बना. तब से लेकर आज तक यहां जमीन लूट जारी है. यह किसी शासनकाल की बात नहीं है. झारखंड में सबसे लंबे समय तक भाजपा शासन में रही. इसलिए वह भी बच नहीं सकती है. रांची में भू-माफियाओं और प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा जमीन लूट निरंतर जारी है. रांची, खूंटी सहित कई क्षेत्रों में जमीन गलत तरीके से लूटी गयी.
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