Ranchi : झारखंड में राज्य सरकार के आठ विश्वविद्यालय हैं. जिनमें से एक भी विश्वविद्यालय नेशनल इस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में टॉप 50 में नहीं आते हैं. इन सभी विश्वविद्यालयों में साल में करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. विश्वविद्यालय के कुलपति हर साल इसमें सुधार करने की बात करते हैं. लेकिन इनमें कोई सुधार नहीं होता है. जिससे राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय अपना स्थान नहीं बना पा रहे हैं. इतना ही नहीं एनआईआरएफ द्वारा तय मानकों को पर भी आठों विश्वविद्यालय खरा नहीं उतर पा रहे हैं.
एनआईआरएफ रैकिंग के लिए पांच पारामीटर सेट किया, इसके आंकलन के बाद ही अंक दिया जाता है. इस अंक के आधार पर संस्थान की रैंकिंग होती है. यूजीसी नेक और एनआईआरएफ का विश्वविद्यालय के लिए कई मानक तय किए हैं. वहीं एंटी मानकों में सुविधा भी उपलब्ध करनी होती है. लेकिन टाइम मानकों के आधार पर सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जाती है, जिस वजह से भी रैंकिंग में या ग्रेडिंग में ज्यादा अंक विश्वविद्यालय नहीं बना पाती है.
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ये है नेशनल इस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) का पारामीटर
टीचिंग, लर्निंग और रिसोर्स
रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस
ग्रेजुएशन आउटकम
आउटरीच और इन्क्लूसिविटी
उपलब्ध सुविधाएं
शिक्षकों की कमी की ये है सबसे बड़ी वजह
झारखंड के विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और विश्वविद्यालय प्रोफेसर की भारी कमी है. जिस वजह से विश्वविद्यालय में शोध और शोध पत्र पब्लिश का कार्य बहुत ज्यादा या तय मानकों के आधार पर उतना नहीं हो पाता है. जिसके कारण विश्वविद्यालय अपनी रैंकिंग ठीक नहीं कर पाती है. कई ऐसे विश्वविद्यालय भी हैं, जहां विश्वविद्यालय प्रोफेसर है ही नहीं. वहीं झारखंड के विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर की पदोन्नति भी नहीं हो रही है.
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