Aditya Kumar
Ganwa (Giridih) : आम तौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाने वाले रोग फाइलेरिया के उन्मूलन के लिये एमडीए यानी सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम 10 फरवरी से प्रखंड में शुरू होगा. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी चंद्रमोहन कुमार ने बताया कि फाइलेरिया मुक्ति अभियान के दौरान गावां प्रखंड में 1 लाख 26 हजार लोगों को निर्धारित दवा सेवन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से ग्रस्त लोगों को दवा नहीं खिलायी जायेगी. इस अभियान को लेकर प्रखंड में कुल 165 बूथ बनाये गये हैं. हर बूथ पर दो कर्मी सेविका व सहिया मौजूद रहेगी.
घर-घर भ्रमण कर फाइलेरिया की दवा खिलायेंगी सेविका व सहिया
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी चंद्रमोहन कुमार ने बताया कि अभियान के दौरान करीब 165 बूथ के कर्मी घर-घर भ्रमण करेंगे. हर दिन कम से कम 20 घरों में जाकर दवा खिलाने का लक्ष्य है. कर्मी सेविका व सहिया अपनी निगरानी में डायथाइलकार्बामाजिन (डीईसी) और एल्बेंडाजोल यानी कृमि मारने की दवा खिलायेंगे. दवा पूरी तरह सुरक्षित है. कुछ लोगों में दवा का मामूली रिएक्शन जैसे उल्टी, खुजली व बुखार आदि हो सकता है. ठीक होने के लिये किसी खास दवा की भी जरुरत नहीं पड़ती. आधे से एक घंटे में सब कुछ नार्मल हो जाता है.
दवा खाने से फाइलेरिया से बच सकता हैं
फाइलेरिया के बारे में डॉ चंद्रमोहन कुमार ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम हर डेढ़ साल में एक बार चलाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस बार 100 प्रतिशत लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य बनाया गया है. ताकि गावां प्रखंड को फाइलेरिया मुक्त बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया के कारण हाथीपांव हो जाने के बाद इलाज नहीं है. दवा का सेवन करके ही संक्रमण से बचा जा सकता है. दवा से होने वाले संभावित रिएक्शन के बारे में कहा कि अमूमन नहीं होता है. कुछ लोगों को बुखार, उल्टी आदि हो सकती है. घबराने जैसी कोई बात नहीं. इसके बावजूद स्थिति पर नजर रखने के लिए जिला और प्रखंड स्तर पर रैपिड रिएक्शन टीम का गठन किया गया है. टीम में डॉक्टर भी शामिल रहेंगे.
खाली पेट नहीं खानी है दवा,अलग-अलग उम्र के लिए डोज भी अलग
चिकित्सा पदाधिकारी चंद्रमोहन कुमार ने कहा कि फाइलेरिया की दवा खाली पेट नहीं खानी चाहिए. बताया कि अलग-अलग उम्र के लिए डोज भी अलग होते हैं. दो साल से कम उम्र के बच्चों को दवा नहीं खिलायी जायेगी. दो से पांच साल तक के बच्चों को डीईसी की एक और एल्बेंडाजोल की एक गोली खिलायी जाएगी. एल्बेंडाजोल को चबा कर खाना है. छह से 14 साल के बच्चों को डीईसी की दो और एल्बेंडाजोल की एक टेबलेट दी जायेगी. वहीं 15 साल या उस से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन और एल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई जायेगी.
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