पूर्व अध्यक्ष, पूर्व सचिव और एग्जाम कंट्रोलर जैसे अधिकारियों पर गाज गिरना तय !
Ranchi : छठी सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया पूरी करने में जिन अधिकारियों की भूमिका अहम थी, उनपर गाज गिरनी तय मानी जा रही है. परीक्षा में कथित तौर पर हुई धांधली को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया है, उसमें ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करना भी शामिल है. इन अधिकारियों में जेपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन रहे सुधीर त्रिपाठी, एग्जामिनेशन कंट्रोलर रहे ज्ञानेंद्र कुमार और तत्कालीन सचिव रहे जगजीत सिंह आदि का नाम शामिल हैं. हालांकि ऐसे अधिकारी फिलहाल राज्य सरकार में अहम पदों पर हैं.
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परीक्षा प्रक्रिया में तीन अधिकारियों की भूमिका रही है अहम
1 अप्रैल, 2019 से 26 सितंबर, 2020 तक जेपीएससी के अध्यक्ष रहे पूर्व मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी अब झारखंड कर्मचारी सेवा आयोग (जेएसएससी) के अध्यक्ष बने हैं. सुधीर त्रिपाठी 4 नवंबर 2020 को जैक के अध्यक्ष बनाये गये है. ज्ञानेंद्र कुमार छठी सिविल परीक्षा की पूरी प्रक्रिया में एग्जाम कंट्रोलर के पद पर थे. बाद में उन्हें ही आयोग के सचिव का अतिरिक्त पद (23 जनवरी 2019) दिया गया है. वहीं परीक्षा में बढ़ते विवाद को देखते हुए तत्कालीन सचिव रहे जगजीत सिंह को बाद में गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग का विशेष सचिव बनाया गया था.
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मेरिट लिस्ट (रिजल्ट) रद्द कर नये सिरे से बनाने का कोर्ट ने दिया है निर्देश
बता दें कि हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए छठी सिविल सेवा परीक्षा की पूरी मेरिट लिस्ट (रिजल्ट) को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने नये सिरे से लिस्ट बनाने का निर्देश आयोग को दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन अधिकारियों के कारण छठी जेपीएससी रिजल्ट तैयार करने में गलतियां हुई है, उसकी जिम्मेवारी तय करते हुए राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करें. कोर्ट का मानना है कि यह इसलिए जरूरी है,ताकि दोबारा ऐसी गलती अधिकारी नहीं कर सकें.
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