- बालू के इस खेल में पिस रहे अबुआ आवास लाभुक
- रात-रात भर जाग अधिक कीमत में खरीद रहे बालू
Hazaribagh : बालू माफियाओं ने बालू कारोबार करने के लिए नया उपाय ढूंढ लिया है. किसी की नजर न पड़े, इसके लिए रात भर बालू का अवैध कारोबार देखे जा रहे हैं. इस खेल में संबंधित विभाग की मिलीभगम की बात सामने आती रही है. बालू परिवहन पर कोर्ट की रोक के बावजूद जिले में पांच गुनी अधिक कीमत पर बालू बिक्री का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. बालू माफियाओं के इस खेल से खासकर अबुआ आवास बनाने वाले लाभुक काफी परेशान हैं.
इस संबंध में शहरवासियों का कहना है कि बालू क्षेत्र में रहने वाले लोगों का बालू पर पहला अधिकार बनता है. सरकार और कोर्ट का भी दायित्व बनता है कि पहले बालू क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही बालू घाटों की लीज या ठेका दें. आम लोगों को सरकारी प्रावधान के अनुसार बालू मुहैया होना चाहिए था, लेकिन 5000 से 6000 रुपये प्रति 100 सीएफटी की दर से बालू खरीद रहे हैं. इसके लिए भी रात-रात भर जगना पड़ता है, जिसके बाद ही बालू मिल पाता है. बालू माफियाओं का साफ कहना है कि रात में जब उच्च अधिकारी सो जाएंगे, तभी बालू आपके घर पर पहुंचाया जाएगा और उसी वक्त पैसा भी लिया जाएगा. ऐसे में बालू गाड़ी आने के इंतजार में खरीदार रात भर टकटकी लगाए इंतजार करते रहते हैं.
पुलिस से लेकर खनन विभाग की मिलीभगत : सूत्र
बालू के इस अवैध कारोबार में वर्दीधारियों की भूमिका भी कुछ कम नहीं है. सूत्र बताते हैं कि पेट्रोलिंग के नाम पर वर्दीधारी समय से निर्धारित स्थानों पर पहुंच जाते हैं और बालू के इस खेल में शामिल हो जाते हैं. अगर बालू लदा ट्रैक्टर लेकर चालक ने भागने की कोशिश की, तो उसका पीछा कर पकड़ने के बाद पैसे लेकर छोड़ देते हैं. हालांकि, उन्हें कोई मोटी रकम नहीं मिलती. प्रत्येक ट्रैक्टर 100 से 200 लेकर ये वर्दीधारी अपने ईमान को बेच देते हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि बालू माफियाओं की खनन टीम से भी मिलीभगत रहती है और अवैध बालू परिवहन के एवज में उन्हें समय से नजराना भी पहुंचा दिया जाता है. यही कारण है कि बालू को पांच गुनी अधिक कीमत पर बेचा जाता है और आम लोगों की जेब पर बालू की ज्यादा कीमत का भार पड़ता है.
रात गहराते ही शुरू हो जाता है अवैध परिवहन
बालू के इस काले कारोबार की सच्चाई जानने के लिए जिले के कई स्थानों पर ‘शुभम संदेश’ की टीम ने देर रात व अलसुबह सघन पड़ताल की. इसमें देखा गया कि केरेडारी, पदमा, इचाक, कटकमसांडी, कटकमदाग, बड़कागांव समेत कई जगहों से रात के 11 बजे से ट्रैक्टर से बालू की खेप निकलनी शुरू हो जाती है. वहीं, नेशनल पार्क इचाक, पेलावल पबरा मोड़, सलगावां ओवरब्रिज, बड़कागांव रोड, कुंडलवादी, संत कोलंबा कॉलेज मोरागी, छड़वा डैम, बैहमर गेट के अलावे कई जगहों पर बालू की मंडी बनी हुई है. यहां पर बालू लदे ट्रैक्टर खड़े किए जाते हैं और फिर यहीं से बाल की खरीब-बिक्री का कारोबार चलता है. वहीं, ऑर्डर के अनुसार गांव-गांव और शहर में जाकर एजेंट के माध्यम से खरीदार तक बालू पहुंचाया जाता है.
केस सं. 1
पदमा थाना क्षेत्र के चतरा-हजारीबाग रोड पर संबंधित विभाग की एक सफेद रंग की टाटा सूमो गाड़ी खड़ी थी. इनके कंधे पर अवैध बालू परिवहन को रोकने की जिम्मेवारी है. लेकिन, वर्दीधारी बालू लदे ट्रैक्टर को रुकवा कर कुछ बात करते दिखते हैं और फिर वहां से बालू लदा ट्रैक्टर लेकर चालक चला जाता है.
केस सं. 2
एनएच-33 रांची-पटना रोड पर सात नंबर पीसीआर वैन ओवरलोड बालू लदे ट्रैक्टर को ओवरटेक कर रोकती है. इसके बाद वैन में बैठे पुलिस कर्मी ट्रैक्टर चालक से कुछ बात करते दिखते हैं. हालांकि, बालू के वैध या अवैध की जानकारी ली जा रही थी या फिर कोई और कहानी है, इसकी तस्दीक नहीं हो सकी.
केस सं. 3
कटकमदाग थाना से लगभग तीन किमी की दूरी पर सलगावां ओवरब्रिज के पास मंडी में एक दर्जन से अधिक अवैध बालू लदा ट्रैक्टर खड़े थे. वहीं, केरेडारी थाना क्षेत्र के हेंदेगिर, पचड़ा एवं नावा खाप व पेटो नदी से बालू का अवैध खनन हो रहा है. ये बालू बड़कागांव व केरेडारी की कई कंपनियों में पहुंच रहा है.
केस सं. 4
पेलावल-पबरा रोड पर बालू लदे कई ट्रैक्टर इधर-उधर खड़े थे. ट्रैक्टर चालक बेखौफ होकर बालू की ढुलाई कर रहे थे. यहां से थाना की दूरी मात्र आधा किलोमीटर है. वहीं, लोहसिंघना थाना से महज आधा किमी की दूरी पर न्यू एरिया के पास और मेन रोड पर बालू लदे कई ट्रैक्टर खुलेआम दौड़ते दिखे.
क्या कहते हैं अबुआ आवास लाभुक
अबुआ आवास बनाने वाले लाभुक कटकमसांडी के मुजाहिद अंसारी ने बताया कि सरकार ने अबुवा आवास के लिए निर्धारित रेट तय किया है. इस रेट में दो रूम और एक बरामदा बनाना है. लेकिन आधी कीमत, तो बालू की खरीदारी में ही चली जाती है. बचा हुआ पैसा मिस्त्री, मजदूर को दे दिया जाता है. फिर छरी, लोहा, ईंट, खरीदने के लिए महाजन से कर्ज पर पैसा लेते हैं. अगर कर्ज नहीं मिला, तो आवास अधूरा ही रह जाता है.
क्या कहते हैं संवेदक
संवेदक दीपक कुमार मेहता ने बताया कि सरकार के द्वारा सड़क, नाली एवं भवन की योजना चल रही है. इसमें इंजीनियर के द्वारा बनाए गए प्राक्कलन के आधार पर रेट तय कर दिया जाता है. लेकिन, बालू महंगा मिलने के कारण काम करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में खनन विभाग के डीएमओ के मोबाइल पर कॉल कर पक्ष लेने का प्रयास किया गया, पर उन्होंने फोन का कोई जवाब नहीं दिया.
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