![](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/07/WEB-BANNER-021.jpg)
Kiriburu: धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 124वीं पुण्यतिथि आदिवासी कल्याण केन्द्र, मेघाहातुबुरु के तत्वावधान में संयुक्त रुप से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मेघाहातुबुरु स्थित भगवान बिरसा की स्मारक पर आदिवासी समाज के दिउरी नाजीर सिंकु, सेलाय हेस्सा और भीमसेन मारला द्वारा पारम्परिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना की गई. तत्पश्चात मेघाहातुबुरु के सीजीएम आरपी सेलबम, किरीबुरु के महाप्रबंधक राम सिंह, मुखिया पार्वती किड़ो, मुखिया प्रफुल्लित ग्लोरिया तोपनो, मुखिया लिपि मुंडा, पूर्व प्रमुख जीरेन सिंकु, उप मुखिया सुमन मुंडू, कमिटी के पदाधिकारी रोयाराम चाम्पिया, संदीप तीयू, जगन्नाथ चातर, मनोज बिरुली, बीरबल गुड़िया, अमर सिंह सुन्डी, निर्मल पूर्ति, सरगेया अंगारिया, वीर सिंह मुंडा, अर्जुन सिंह पूर्ति, गोपी लागुरी आदि दर्जनों ने माल्यार्पण किया.
सम्मानित अतिथियों ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के सपने आज भी अधूरे हैं. भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था. 19वीं शताब्दी में उन्होंने उलगुलान का बिगुल फूंक दिया था. 1894-95 में उन्होंने अंग्रेजों की लागू जमींदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था के साथ जंगल-जमीन की लड़ाई छेड़ दी थी. उनका आंदोलन आदिवासी अस्मिता और संस्कृति को बचाने के लिए भी था. जल-जंगल-जमीन के लिए बिरसा ने सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक तौर पर लड़ाई लड़ी. उनका बढ़ता प्रभाव देख अंग्रेजी सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. 9 जून 1900 को 25 वर्ष की आयु में रांची जेल में उनकी मृत्यु हो गई थी. लेकिन आज भी भगवान बिरसा और उनके उद्देश्य जीवंत हैं.
इसे भी पढ़ें –कुछ कर दिखाने की चाह, सारंडा के बहदा गांव में सोलर लाइट के नीचे पढ़ रहे बच्चे
![](https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/07/neta.jpg)