17 को मुख्य मंदिर लौटेंगे भगवान जगन्नाथ
घुरती रथ के साथ मेले का होगा समापन
Ranchi : मौसी घर मेहमानी पर आये भगवान जगन्नाथ स्वामी के दर्शन के लिए आज शनिवार की सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा है. पुजारियों ने मौसी बाड़ी में सुबह पांच बजे नेम-निष्ठा से दैनिक-पूजन आरती भगवान को खीर और हलुवा आदि का भोग लगाया. इसके बाद मंदिर का पट आम भक्तों के लिए खोल दिया गया. दिन चढ़ने के साथ दर्शनार्थियों की कतार लग गयी. मौसम साफ रहने से भीड़ भी अत्याधिक रही. भक्तों ने दोपहर 12:10 बजे तक दर्शन-पूजन किया. इसके बाद पट बंद कर दिया गया. फिर दिन के तीन से श्रद्धालुओं जगन्नाथ स्वामी के दर्शन करने आ रहे हैं, जो रात आठ बजे तक चलेगा. रात साढ़े आठ बजे आरती और भोग लगाने के बाद पट बंद कर दिया जायेगा. इधर मेले में भी भारी भीड़ उमड़ी है. मौत का कुंआ, कई तरह के झूले और सर्कस आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. रथ मेला सुरक्षा समिति के लोग भी सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने को लेकर मुस्तैद हैं.
16 को श्रद्धालु लगायेंगे विशेष भोग
मौसी बाड़ी में 16 जुलाई की रात भगवान जगन्नाथ स्वामी को खिचड़ी का विशेष भोग लगाया जायेगा. साल में सिर्फ इसी दिन भगवान को खिचड़ी का भोग निवेदित किया जाता है. मान्यता है कि घर लौटने से एक दिन पूर्व लक्ष्मी ने खिचड़ी बनाकर जगन्नाथ स्वामी को खिलाया था. इसी भाव को आत्मसात कर भक्त खिचड़ी का विशेष भोग परंपरागत तरीके से भगवान को अर्पित करते हैं.
17 को मुख्य मंदिर लौटेंगे भगवान जगन्नाथ
मौसी घर मेहमानी पर आये भगवान जगन्नाथ स्वामी 17 जुलाई को बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा संग मुख्य मंदिर लौटेंगे. उनकी अगुवानी को लेकर मेला परिसर एक बार फिर गुलजार होगा. मौसी बाड़ी में बुधवार को दिन के तीन बजे मौसी बाड़ी में भगवान के दर्शन के बाद विग्रहों को रथारूढ किया जायेगा. पूजा-आरती के बाद भगवान की वापसी यात्रा शुरू होगी. श्रद्धालु रथ खींच और घकेल कर मुख्य मंदिर ले जायेंगे. फिर भगवान जगन्नाथ समेत अन्य विग्रहों को मुख्य मंदिर में आरूढ़ किया जायेगा. इसके बाद पूजा-अर्चना और मंगल आरती उतारी जायेगी.
नित्य लग रहा छिलका रोटी का भोग
मौसी बाड़ी में भगवान जगन्नाथ को हर दिन खास भोग लगाया जा रहा. मंदिर के पुजारी कौस्तुभधर मिश्रा, श्रीराम महंती, रामेश्वर पाढी, सरयूनाथ मिश्र आदि पुरोहित पूजन-आरती कर भगवान को भोग निवेदित कर रहे हैं. पुजारी कौस्तुभ ने बताया कि सुबह हलुआ, दोपहर में दाल-भात और सब्जी और रात आठ बजे भगवान को छिल्का रोटीव खीर का भोग लगाया जा रहा.
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