Ghatshila (Rajesh Chowbey) : घाटशिला प्रखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के झांटीझरना पंचायत अंतर्गत प्रसिद्ध शिवालयों में एक काशीडांगा शिव मंदिर है. घाटशिला प्रखंड मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर पहाड़ों तथा जंगलों के बीच से होकर श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि हजारों वर्ष पूर्व जब पांच पांडव एवं माता कुंती के साथ अज्ञातवास में थे. उस दौरान इस पहाड़ी इलाके में काशी विश्वनाथ को साक्षी मानकर यहां शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना की थी. इस मंदिर में सावन के महीने के प्रत्येक सोमवार को झारखंड, बंगाल, ओडिशा से हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं. दूसरी और चौथी सोमवारी को कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि काशीडांगा गांव के आसपास गांव का नाम फूलझोर, टेरापानी, सिंदियाम, बलियाम है.
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शुरू में झोपड़ी बनाकर पूजा-अर्चना शुरू हुई
एकमात्र ऐसा गांव है जहां शिव मंदिर स्थापित है. उस गांव का नाम काशीडांगा है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह मंदिर काशी विश्वनाथ के रूप में स्थापित है. मंदिर कमेटी के सुमन कश्यप ने बताया कि यहां की शिवलिंग की आकृति कंबोडिया के म्यूजियम में रखा हुआ है. कुंभ मेले में जूना अखाड़ा के संन्यासियों ने भी बताया था कि इस आकृति का शिवलिंग पांडवों द्वारा स्थापित की गई है. इतना ही नहीं अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडवों ने इसी तरह 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापित कर पूजा अर्चना की थी. यहां के पुजारी चंदू हेम्ब्रम संथाली हैं. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज यहां मकई लगाने के लिए हल चला रहे थे, उसी दौरान उन्हें यह शिवलिंग यहां स्थापित मिला था. उस समय झोपड़ी बनाकर पूजा-अर्चना शुरू की गई. इसके बाद धीरे-धीरे भव्य मंदिर का निर्माण हुआ. विधायक के द्वारा सामुदायिक भवन बनाया गया. पेयजल की सुविधा हुई. क्षेत्र के एक विख्यात मंदिर के रूप में काशीडांगा शिव मंदिर को जाना जाता है.
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