Ranchi : झारखंड में अब प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, टीपीसी और पीएलएफआई कमजोर पड़ गये हैं. नक्सली वारदातों में भी कमी आई है. नक्सलियों के प्रभाववाले कई इलाकों में भी नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे हैं. पिछले कुछ वर्षों में पुलिस की ओर से लगातार चलाए गए अभियान की वजह से ऐसा संभव हो सका है. इस वर्ष जनवरी से दिसंबर तक पुलिस की नक्सलियों के साथ 39 मुठभेड़ हुई हैं जिनमें 9 नक्सली ढ़ेर हुए है.
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पिछले साल की तुलना में पुलिस दिखी और मजबूत
पिछले साल की तुलना में पुलिस और मजबूत दिख रही है. नक्सली हमलों की बात करें तो वर्ष 2018 में 9, वर्ष 2019 में 14 जबकि 2020 में अबतक 1 पुलिसकर्मी नक्सली हमले में शहीद हुआ है. वाहनों में आगजनी की बात करें तो वर्ष 2018 में 34, वर्ष 2019 में 23 और वर्ष 2020 में अबतक 16 आगजनी की घटना हुई है. इस वर्ष नक्सली ने पुलिसवालों पर चार बार हमला किया लेकिन पुलिस ने नक्सलियों के मंसूबे को विफल कर दिया.
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196 नक्सलियों पर इनाम घोषित
जानकारी के अनुसार, राज्य में अब मात्र 550 माओवादी बचे हुए हैं. जिनमें से 196 पर इनाम घोषित है. बचे हुए 550 माओवादियों के खात्मे के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बल लगे हुए हैं. इनमें सीआरपीएफ की 122, आईआरबी की 5 और झारखंड जगुआर की 40 कंपनी फोर्स लगी हुई है. 2010 के पूर्व नक्सली हमले करते थे, तो पुलिस सुरक्षात्मक रहती थी. लेकिन अब पुलिस आक्रामक दिख रही है. झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के कोर ग्रुप तक पहुंचने में मिली कामयाबी के बाद सुरक्षा बलों के हौसले बुलंद हैं.
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नक्सलियों के खिलाफ अभियान में बढ़ा सफलता का प्रतिशत
स्थानीय खुफिया इनपुट की मदद से नक्सलियों के खिलाफ अभियान की सफलता का प्रतिशत बढ़ गया है. नक्सलियों के कोडवर्ड और उनकी लोकल भाषा को समझने की वजह से जवानों को काउंटर रणनीति में सफलता मिल रही है. नक्सलियों द्वारा छुपाए गये डेटोनेटर और विस्फोटक भारी मात्रा में बरामद हुए हैं. नक्सलियों द्वारा पुलिस पर हमले के लिए लगाए गए सैकड़ों की संख्या में आईईडी को भी विस्फोट से पहले ही निष्क्रिय करने में जवानों को सफलता मिली है. पुलिस के द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान से नक्सलियों को जान बचाने के लिए नए ठिकानों की तलाश में इधर-उधर भागना पड़ रहा है.
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