Hazaribagh: लंबे समय से बीमार चल रहे सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी का बीते दिनों दिल्ली के एम्स में निधन हो गया था. उनके आकस्मिक निधन पर शनिवार को स्थानीय मंजूर भवन में शोक सभा का आयोजन किया गया. अध्यक्षता सीपीआई (एम) के जिला सचिव ईश्वर महतो और संचालन गणेश कुमार सीटू ने किया. सीटू ने कहा कि सीताराम येचुरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रमुख नेता थे. वे वामपंथी नीतियों और सामाजिक न्याय की वकालत के लिए जाने जाते रहे. विशेष रूप से मजदूर वर्ग के सामने आने वाली चुनौतियों और भारत में प्रगतिशील सुधारों की आवश्यकता पर उन्होंने काफी बल दिया था.
येचुरी ने नेता नहीं, बल्कि नीति बदलो का नारा दिया थाः मेहता
वहीं, पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त, 1952 को तमिलनाडु के चेन्नई में एक तेलगु भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी के नेतृत्व में पार्टी ने व्यावहारिकता और हठधर्मिता के बीच की खाई को पाटते हुए, बदलते राजनीतिक परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाया और अपनी वैचारिक जड़ों को बनाए रखा. उन्होंने नेता नहीं, बल्कि नीति बदलो का नारा दिया था. शोक सभा को बीमा कर्मचारी महासंघ के महासचिव जेसी मित्तल, बिहार स्टेट सेल्स मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के सचिव सुदीप चटर्जी, डीवीसी श्रमिक यूनियन के नेता हरेंद्र सरकार, राजपत्रित कर्मचारी महासंघ के नेता रामविलास सिंह, बैंक इमप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के नेता चंद्रशेखर आजाद, सीपीआई के जिला सचिव अनिरुद्ध प्रसाद, सीपीएम के तपेश्वर राम, विपिन कुमार सिन्हा, सुरेश कुमार दास, गुलाब साहू, वरिष्ठ अधिवक्ता गुलाम जिलानी, महेंद्र राम, अधिवक्ता शंभू कुमार, डॉ अनवर हुसैन, निजाम अंसारी, मजीद अंसारी, शौकत अनवर सहित कई संगठनों के नेताओं ने भाग लिया.
सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफर
सीताराम येचुरी ने 1974 में जेएनयू में रहते हुए स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. वे 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हुए. 1975-77 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. आपातकाल हटाने के बाद, वे 1977 और 1978 के बीच तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. येचुरी 1984 में केंद्रीय समिति और 1992 में सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो के सदस्य बने. उन्होंने 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार और 2004 में यूपीए सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. येचुरी 19 अप्रैल 2015 को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव चुने गए थे. वे 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सांसद भी रहे.
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