- बाढ़ की चपेट में आए करीब दो दर्जन गांव, ढहे मकान व दुकान
- क्षेत्र में जल प्रलय सा नजारा
Chandil (Dilip Kumar) : …और सोमवार की देर रात अचानक ईचागढ़ समेत विधानसभा क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांवाें में चांडिल डैम का पानी काल बनकर पहुंच गया. 14 सितंबर से लगातार हो रही बारिश के बाद चांडिल डैम का जलस्तर 183.80 मीटर के पार तक पहुंच गया था, जो अब तक का सर्वाधिक जलस्तर है. डैम का जलस्तर बढ़ने के बाद सोमवार की रात को ही विधानसभा क्षेत्र के ईचागढ़, पातकुम, कालीचामदा, बाबूचामदा, सालबनी, लुसाडीह, मैसाड़ा, बांकसाई, कारकीडीह, कुम्हारी, उदाटांड, ओडिया, अंडा, दुलमी, दयापुर, झापागोड़ा, वनगोड़ा, लावा, काशीपुर समेत करीब दो दर्जन गांवों में डैम का पानी पहुंच गया. बिना पूर्व सूचना के आधी रात के बाद अचानक घरों में डैम का पानी घुसने से विस्थापित परिवार परेशान हो गए. लोग घर का सामान छोड़ कर जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे. इस दौरान लोगों की लाखों रुपये की संपत्ति पानी में बह गया. सोमवार की रात विस्थापित परिवारों के लिए आफत की रात बन गई.
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पानी में बह रहे मां-बेटे को बचाया
सोमवार की रात अचानक पानी बढ़ने से परेशान विस्थापित परिवार क्या करें, क्या ना करें की स्थिति में आ गए थे. जलस्तर लगातार बढ़ते रहने के कारण ईचागढ़ गांव के बर्तन दुकानदार प्रेम साव अपनी मां को लेकर घर से निकले और सुरक्षित स्थान की ओर जाने लगे. इसी दौरान पानी की तेज लहर में दोनों बहने लगे. सामने आम के पेड़ को किसी तरह पकड़कर दोनों उसपर चढ़ गए और अपनी जान बचाई. इसके बाद हल्ला सुनकर लोग पहुंचे और दोनों को सुरक्षित बाहर निकाला. वहीं मकानों में पानी भर जाने के बाद विस्थापित परिवारों के कई मकान गिर गए. ईचागढ़ के सहदेव कंसारी का मकान पानी में ध्वस्त हो गया. इसी गांव के जूता-चप्पल के दुकानदार सुबोध साव और करीम अंसारी की दुकान की दीवार भी पानी में बह गयी. दीवार गिरने से दोनों दुकान के कुछ जूता-चप्पल भी पानी में बह गए. रात में अचानक पानी भरने के कारण लोग अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर नहीं ले जा सके. लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला और पूरा गांव जलमग्न हो गया.
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बाबूचामदा व कुम्हारी में स्थिति भयावह
झमाझम बारिश के बीच चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ने के कारण ईचागढ़ प्रखंड के बाबू चामदा में ग्रामीणों की स्थिति भयावह हो गई थी. गांव में डैम का पानी घुसने के बाद बाबू चामदा गांव के करीब 28 परिवार स्कूल की छत डेरा डाल दिए थे. जान बचाने के लिए घर-परिवार का सरा सामान छोड़कर स्कूल की छत पर डेरा डाले विस्थापित परिवारों की सहायता के लिए सहयोग के हाथ भी काफी बढ़े. ऐसी ही स्थित काली चामदा, मैसाड़ा, बुरुहातु, कुम्हारी समेत अन्य कई गांवों की भी थी. लोग गांव के बाहर ऊंचे स्थानों में तिरपाल के सहारे रात गुजारी. इस दौरान सबसे दयनीय स्थिति मेवशी, खस्सी, मुर्गा आदि की थी. गोहाल में बंधे मवेशी भी डैम के पानी की चपेट में आए थे. ग्रामीणों को सबसे मुश्किल उन्हें बाहर निकालने में हुई. वहीं कुम्हारी में आधी रात के बाद अचानक आए कृत्रिम जलप्रलय के बाद लोग सामान के साथ सड़क पर आ गए. भेड-बकरी और मवेशियों के साथ विस्थापित गांव के बाहर सुरक्षित स्थानों में तंबू में किसी प्रकार रात गुजारी.
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