- अब तक बेहतर चिकित्सा, शुद्ध पेयजल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व रोजगार क्यों नहीं मिला?
Kiriburu (Shailesh Singh) : विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही सारंडा के गांवों में समस्याओं को अब तक दूर नहीं किये जाने का मुद्दा गरमाने लगा है. सारंडा के गांवों के लोगों ने समस्याओं की सूची तैयार कर ली है. गांव में वोट मांगने आने वाले नेताओं से वे लोग सवाल करने के लिए तैयार हैं. ग्रामीणों की सूची में बेरोजगारी सबसे ऊपर है. इस क्षेत्र में लौह अयस्क की बड़ी-बड़ी खदान हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. गांव में नेताओं के आने पर पूछा जाएगा कि ग्रामीणों को बेहतर चिकित्सा सुविधा, शुद्ध पेयजल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अब तक क्यों नहीं मिल रही है. गांवों का विकास कौन करेगा और बेरोजगारों को रोजगार कौन देगा. यह सबसे बड़ा मुद्दा जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत सारंडा के गांवों से उठेगा. उल्लेखनीय है कि सारंडा स्थित सेल की चार खादानों समेत टाटा स्टील व लगभग दर्जन भर लौह अयस्क खदानों से डीएमएफटी फंड में हजारों करोड़ रुपये के बावजूद सारंडा में विकास की किरण गांवों तक नहीं पहुंच पायी है. बेरोजगारों को रोजगार तक नहीं उपलब्ध हो रहा है.
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डीएमएफटी फंड से अधिकारियों व ठेकेदारों को ही हुआ फायदा
सारंडा में डीएमएफटी फंड से अब तक जो विकास योजनाएं प्रारम्भ की गई हैं वह आज तक पूर्ण नहीं हो पाई है. उसमें भी मनमाना प्राक्कलन बना ठेकेदारों व अधिकारियों को लाभ पहुंचाने का ही कार्य किया गया है. डीएमएफटी फंड अधिकारियों व ठेकेदारों के लिये कुबेर का खजाना जैसा हो गया है. गौरतलब हो कि सेल की किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, गुवा, चिड़िया एवं टाटा स्टील की विजय-टू खदान प्रबंधन हर वर्ष लगभग ढाई-तीन सौ करोड़ रुपये डीएमएफटी फंड में दे रही है. इसके अलावे सारंडा की अन्य प्राईवेट कंपनियां भी अपना-अपना पैसा डीएमएफटी फंड में वर्ष 2011-12 से जमा कराते आयी थी. लेकिन, किसी पार्टी के नेता ने डीएमएफटी फंड से विकास की बातें नहीं की. न ही इस पर कोई सवाल उठाया. इन सबका खामिया जाता राजनीतिक दल के नेताओं को भुगतना पड़ेगा. ग्रामीण हर एक मुद्दे पर नेताओं से सवाल करने के लिए तैयार हैं. खदान से प्रभावित गांवों समेत सारंडा के तमाम गांवों का सर्वांगीण विकास करना है, लेकिन सारंडा की सच्चाई यह है कि यहां के लोगों को पीने के लिये शुद्ध पेयजल, बेहतर सड़क, चिकित्सा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बिजली, यातायात, संचार, रोजगार, शौचालय आदि की कोई भी सुविधा नहीं है. सभी ग्रामीणों को अब तक शौचालय की सुविधा नहीं मिली है. अब भी अधिकांश ग्रामीण खुले में शौच करते हैं.
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