Anshuman Tiwari
जेब में लेकर ख़सारे.. कहां गया मिडिल क्लास, बाज़ार सजाए कंपनियां पुकारती रह गईं. जीडीपी के शोर में मांग की रोशनी क्यों नहीं दिखी? किस्सा पुराना है, हकीकत का इलहाम होते-होते एक और दीपावली गुज़र ली. मौका है सबसे ताज़ा बही खाता देखने का, तो यह रहा हिसाब किताब हमारी आपकी जेब का. वाया इनकम टैक्स.
ये जो हिसाब की किताब है ..
– 2023 में करीब 7.9 करोड़ इंडीविजुअल टैक्स रिटर्न आए जिनमें 63% शून्य टैक्स वाले थे.
– साल 2019 से 2023 के बीच भारत में वेतन की सालाना बढ़ोतरी दर केवल 7.2% रही है. अपने-अपने गांव-शहर में इस दौरान महंगाई की तपिश का हिसाब आप खुद लगा लीजिये.
– इनकम टैक्स के हिसाब से 2023 में 3.8 करोड वैतनिक (salaried) रिटर्न फाइल हुए. प्रति फाइलर वेतन था 9.3 लाख रुपये. इसमें बहुत से रिटर्न शून्य टैक्स वाले भी रहे हैं.
– 2023 के आंकडों के अनुसान वैतनिक करदाता, कुल पर्सनल इनकमटैक्स में 51% का हिस्सा रखते हैं मगर जीडीपी के अनुपात में भारत में वेतन आय केवल 13.1% है.
व्यक्तिगत टैक्सपेयर के इनकम टैक्स रिटर्न में घोषित आय के आधार पर एक इनकम पिरामिड बनाया जाए तो मिडिल क्लास की तस्वीर उभरती है. इस पिरामिड में सबसे सबसे ज्यादा 47.2% लोग 5 लाख से 15 लाख की सालाना आय वाले हैं. करीब 19 फीसदी लोग शून्य से पांच लाख की आय में आते हैं. भारी महंगाई के बीच इसी मिडिल क्लास से तो उम्मीद की जाती है कि वह अपनी खरीद से कंपनियों और जीएसटी का खजाना भर दे?
पर्सनल इनकम टैक्स के आंकडों को और गहरे खोदें तो पता चलता है कि पर्सनल इनकम टैक्स संग्रह का 73% हिस्सा केवल 38 लाख टैक्सपेयर से आता है जो रिटर्न फाइल करने वालों की भीड़ का केवल 5% है. इतने से लोग कितनी ही त्योहारी शॉपिंग कर लेंगे?
कहने को इनकम टैक्स को सब पता है क्योंकि लेन देन में पैन नंबर जरुरी है. मगर इसके बाद भी टैक्स देने वालों की तादाद न बढ़ रही. 2023 तक चार सालों में रिटर्न बढने की सालना गति भी केवल 4.5% है. इसमें भी ज्यादातर जीरो टैक्स वाले रिटर्न हैं.
इनकम टैक्स की रोशनी में भारतीयों की कमाई का यह पहलू सबसे दिलचस्प है. वित्त वर्ष 2019 से 2024 के बीच पर्सनल इनकम में कैपिटल गेंस का हिस्सा तीन गुना बढकर 4.2% से करीब 15% पर पहुंच रहा है. ज्योफ्रीज की रिपोर्ट बताती है कि लांग और शार्ट कैपिटल गेंस रिपोर्ट करने वाले करदाताओं की संख्या भी इसी दौरान चार से पांच गुना बढ़कर 39 लाख और 47 लाख हो गई. अर्थात शेयर बाजार में हालिया तेजी से पैसा बना है. इसलिए बाज़ार गिरेगा तो आएंगे कई घर ज़द में… ताजा कमाई पर सरकार की निगाहें हैं. जुलाई में आए बजट में कैपिटल गेंस पर टैक्स दर बढ़ा दी गई.
भरे बाजार की वीरानी….
मुद्दत से मैं सोच रहा था अब समझा हूं.
जेब और आंख के खालीपन में क्या रिश्ता है – शारिक कैफी.
डिस्क्लेमरः लेखक आर्थिक मामलों के वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह टिप्पणी उनके सोशल मीडिया एकाउंट एक्स से लिया गया है.