Ranchi : रांची जिले के नामकुम प्रखंड के पुगड़ु मौजा स्थित खाता नंबर 93, प्लॉट संख्या 543, 544, 545, 546 और 547 की कुल 9.30 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री कराने वाले न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल का दावा है कि उक्त जमीन खासमहाल की नहीं है. अग्रवाल ने इसकी जमाबंदी करने और विभाग की तरफ से गठित एसआइटी जांच को बंद कराने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भी लिखा है.
लेकिन दस्तावेज प्रमाणित कर रहे हैं कि विष्णु अग्रवाल का दावा गलत है. नामकुम अंचल कार्यालय में मेंहदी हसन के नाम से पंजी-2 में संधारित इस जमीन की जमाबंदी को रद्द करने का प्रस्ताव अंचल अधिकारी, नामकुम ने अनुमंडल पदाधिकारी सदर को भेजा था. एसडीओ की अनुशंसा के साथ यह प्रस्ताव उपायुक्त के न्यायालय में आया. यहां इस मामले को लेकर वाद संख्या 36R8/03-04 राज्य बनाम मोबारक हुसैन एवं अन्य चला.
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डीसी कोर्ट ने वाद पर अपने आदेश में भी बताया था लीज की जमीन
तत्कालीन उपायुक्त के न्यायालय में चले वाद सं. 36R8/03-04 में जमीन का पूरा इतिहास दर्ज है. डीसी के उक्त आदेश में भी उपरोक्त भूमि को लीज की जमीन बताया गया था. उपायुक्त कोर्ट के आदेश पर मेंहदी हसन के नाम से संधारित जमाबंदी को अवैध और आधारहीन करार देते हुए रद्द करने का आदेश जारी हुआ था.
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जानें उपायुक्त कोर्ट ने वाद संख्या 36 आर8/03-04 पर अपने आदेश में क्या कहा
उपायुक्त कोर्ट ने इस वाद पर अपने जजमेंट में कहा है कि सरकार की तरफ से सरकारी अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि प्रश्नगत जमीन के खतियानी रैयत के रूप में खतियान में मौलवी जहरूद्दीन वल्द मो. गनी का नाम दर्ज है. मोहम्मद जहरूद्दीन ने 3 अप्रैल 1929 को इस जमीन पर परमानेंट बिल्डिंग लीज छप्परबंदी सरकार से प्राप्त की थी.
वर्ष 1940 में मौलवी जहरूद्दीन ने उपायुक्त, रांची के न्यायालय से वाद संख्या 83 आर 8/40-41 के जरिए इस जमीन की बिक्री की अनुमति प्राप्त कर दिनांक 20-7-1940 को इसे एक विदेशी डब्ल्यू. एस हिचकाक को बेच दिया. डब्ल्यू. एस हिचकाक इस भूमि के दखलकार बने.
डब्ल्यू. एस हिचकाक ने इस जमीन की वसीयत रामचंद्र मुखर्जी एवं अन्य के नाम कर दी. वर्ष 1958 में डब्ल्यू. एस हिचकाक की मृत्यु के बाद रामचंद्र मुखर्जी और भाग चंद्र जैन ने एडीशनल जुडीशियल कमिश्नर, रांची के न्यायालय में वाद दायर किया. एडिशनल जुडीशियल कमिश्नर, रांची के न्यायालय ने वाद संख्या 6/3 1958 में रामचंद्र मुखर्जी और भाग चंद्र जैन के पक्ष में फैसला दिया.
मेहंदी हसन ने इस आदेश पर आपत्ति दर्ज करायी. लेकिन उनकी आपत्ति कोर्ट में खारिज हो गयी
वर्ष 1986 में मेहंदी हसन की उत्तराधिकारी के रूप में सकीना खातून ने द्वितीय एडिशनल जुडीशियल कमिश्नर के कोर्ट में वाद संख्या एम03/85 दायर किया. दिनांक 25.05.1986 को सकीना खातून का दावा खारिज हो गया.
इस आदेश के विरुद्ध वादी ने मोहम्मद सकीना खातून द्वारा हाइकोर्ट पटना की रांची बेंच में मिसलेनियस वाद संख्या 386/1986 (आर) दायर किया, जो दिनांक 9.9.1998 को खारिज हो गया.
इसके बाद उक्त भूमि की लीज वर्ष 1984 में समाप्त होने के बाद फिर से आयुक्त दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आदेश से 1984 से 2014 तक अगले 30 वर्ष के लिए रामचंद्र मुखर्जी एवं भाग चंद जैन के नाम से लीज स्वीकृत की गयी. लीज डीड में भी भूमि को खासमहाल की बतायी गयी.
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रामचंद्र मुखर्जी के उत्तराधिकारी आशीष कुमार गांगुली बताये गये हैं
रजिस्टर 2 में इस जमीन की एक अन्य जमाबंदी 93/1 मेहंदी हसन के नाम से भी खुली हुई थी, जिसे उपायुक्त रांची ने वाद संख्या 36R8/03-04 में सुनवाई करने के बाद अवैध पाते हुए रद्द कर दिया.
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