Ranchi : कोल विद्रोह के 193 वर्ष बुधवार को पूरे होने पर महानायकों को याद किया गया. आदिवासी महासभा के बैनर तले करमटोली धुमकुड़िया भवन में कई आदिवासी संगठनों के लोग जुटे. सभी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद कर जमीन बचाने का संकल्प लिया. लोगों ने कहा कि झारखंड बनने के बाद से आदिवासी जमीन तेजी से लूटी जा रही है. जमीन के मूल दस्तावेज, खतियान, खाता औऱ प्लॉट नंबर में हेरफेर कर दिया गया है. आदिवासी महासभा के संयोजक देव कुमार धान ने आरोप लगाया कि राज्य में गरीब आदिवासियों की जमीन की लूट जारी है. आदिवासियों की धार्मिक जमीन भूईहरी, डाली कतारी, औऱ पहनई जमीन में हेरफेर कर खरीद बिक्री हो रही है. इसे रोकने प्रयास नहीं हो रहा है.
आदिवासी समुदाय अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है
आदिवासी समुदाय के बलकु उरांव ने कहा कि राज्य में आदिवासी समुदाय अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, क्योंकि झारखंड में आदिवासी समुदाय के हक अधिकार की बात कोई नहीं सुन रहा है. जमीन विवाद निबटारा के लिए थाना, अंचल औऱ उपायुक्त कार्यालय में दिये गये आवेदनों को नजर अंदाज कर दिया गया है. खुलेआम आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है. झारखंड प्रदेश आदिवासी सरना पडहा समाज के मुख्य संरक्षक रमेश उरांव ने कहा कि आदिवासियों की पहचान जमीन से है. आदिवासी समाज के हाथ से सारी जमीन निकल जा रही है. फर्जी दस्तावेज बनाकर गरीबों की जमीन लूटी जा रही है. मौके पर बलकु उरांव, फूलचंद तिर्की, परनु उरांव, बुधुवा चरित्र, नारायण उरांव समेत अन्य उपस्थित थे.