NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई दोपहर बाद शुरू हुई. बता दें कि इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की विशेष बेंच कर रही है. मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को जानकारी दी कि सरकार इस केस में हलफनामा दाखिल करेगी.
Supreme Court asks Centre to file affidavit in a batch of petitions challenging certain provisions of Places of Worship (Special Provision) Act, 1991, that prohibit the filing of a lawsuit to reclaim a place of worship or seek a change in its character from what prevailed on… pic.twitter.com/0fzS4xsmZK
— ANI (@ANI) December 12, 2024
अब नये मुकदमे दर्ज नहीं किये जा सकेंगे
इस पर सीजेआई ने केंद्र को निर्देश दिया कि वे अपना जवाब दाखिल करें और उसकी प्रति याचिकाकर्ताओं को दें. सुप्रीम कोर्ट ने 4 सप्ताह में जवाब मांगा. साथ ही कहा कि जब तक केंद्र(सरकार) द्वारा जवाब दाखिल नहीं किया जाता, तब तक मामले की सुनवाई संभव नहीं है. इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की सुनवाई के दौरान अब किसी भी तरह के नये मुकदमे दर्ज नहीं किये जा सकेंगे.
कोर्ट का आदेश, सभी पक्ष अपने तर्क तैयार रखें
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, हम यह बात स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि अगली सुनवाई तक कोई भी नयी याचिका दायर नहीं की जा सकती. साथ ही SC ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अगली सुनवाई में अपने तर्क पूरी तरह तैयार रखें, जिससे कि यह मामला जल्द से जल्ज निपटाया जा सके.
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को बाहर रखा गया था.
यह अधिनियम(प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991) धार्मिक स्थलों की स्थिति को 15 अगस्त 1947 के आधार पर संरक्षित करता है और उसमें बदलाव करने पर रोक लगाता है. हालांकि, इसमें अयोध्या विवाद को बाहर रखा गया था. जान लें कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के क्रम में राम जन्मभूमि विवाद से जुड़े फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कई मुद्दे कोर्ट के समक्ष उठाये गये हैं. इसकी विस्तृत जांच की जायेगी.
पूजा स्थल अधिनियम, 1991, धार्मिक स्थलों की स्थिति को 15 अगस्त 1947 के आधार पर संरक्षित करता है और इसमें बदलाव करने पर रोक लगाता है. हालांकि, इस कानून में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को बाहर रखा गया था.